Sehwag tweet: बचपन में ही हमने एक अंग्रेज़ी कहावत को बोल बोलकर कंठस्थ कर लिया था एक्शन स्पीक्स लाउडर दैन वर्ड्स यानी शब्दों से अधिक मोल आपके कार्यों में है। वीरेंद्र सहवाग तो इसके जीते जागते उदाहरण हैं। भले ही क्रिकेट का मैदान उन्होंने त्याग दिया हो परंतु आज भी उन्होंने अपने विरोधियों की कुटाई करना नहीं छोड़ा है। हाल ही में अडानी-हिंडनबर्ग प्रकरण पर जब भारत के कथित सुपरस्टार्स चुप्पी साधे हुए थे, वही Sehwag ने स्पष्ट जवाब देते हुए tweet किया, “गोरों से इंडिया की तरक्की बर्दाश्त नहीं होती। भारतीय बाजार की मौजूदा हालत एक सोची समझी साजिश का हिस्सा लगती है। कोशिश कितनी भी कर लें पर हमेशा की तरह भारत और मजबूत होकर निकलेगा।”
Funny to see so many English guys being poor losers. #Runout . pic.twitter.com/OJOibK6iBZ
— Virender Sehwag (@virendersehwag) September 24, 2022
बता दें कि उद्योगपति गौतम अडानी के समूह ने वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों को ‘‘भारत, उसकी संस्थाओं और विकास की गाथा पर सुनियोजित हमला” बताते हुए कहा था कि आरोप ‘‘झूठ के सिवाय कुछ नहीं” हैं। अपने 413 पन्नों के प्रत्युत्तर में अडानी समूह ने कहा था कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ‘‘मिथ्या धारणा बनाने” की ‘‘छिपी हुई मंशा” से प्रेरित है ताकि अमेरिकी कंपनी को वित्तीय लाभ मिल सके। अभी आप इनके वर्तमान स्टॉक मार्केट दामों को उठाकर देख लीजिए, वे कहीं से भी गलत प्रतीत नहीं होते।
इसके अतिरिक्त अडानी समूह ने यह भी बताया कि यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अवांछित हमला नहीं है बल्कि भारत, भारतीय संस्थाओं की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता तथा भारत की विकास गाथा एवं महत्वाकांक्षाओं पर एक सुनियोजित हमला है।
परंतु इन सबका वीरेंद्र सहवाग के धाकड़ स्वभाव (Sehwag tweet) से क्या लेना देना? असल में अपने ट्वीट में सहवाग ने हिंडनबर्ग का कहीं भी नाम नहीं लिया परंतु उनके ट्वीट मात्र से ही हिंडनबर्ग के भारतीय प्रशंसकों को इतनी तेज़ जलन हुई कि सभी सहवाग के हैंडल पर ज्ञान देने पहुंच गए, मानो सहवाग ने सीधे उनके आकाओं पर हाथ डाल दिया हो। सूची तो अनंत है परंतु सबका भावार्थ एक था कि आखिर हिंडनबर्ग को बोला तो बोला कैसे? कहीं रवीश कुमार, सहवाग का यह ट्वीट पढ़ लेते तो अपने हृदयाघात का ही लाइव प्रसारण कर देते! ऐसे में यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि सहवाग ने एक बार फिर से अपने विरोधियों को घुमाके मारा है।
लेकिन सहवाग का यह स्वभाव अभी से नहीं है। सहवाग प्रारंभ से ही मुखर स्वभाव के रहे हैं। यहां तक कि अपने संस्कृति को लेकर उन्होंने कभी भी, किसी भी मंच पर कोई समझौता नहीं किया है। उदाहरण के लिए कुछ माह पूर्व जब इंग्लैंड और भारत की महिला क्रिकेट टीमों के बीच हुए वनडे सीरीज़ के अंतिम मैच में दीप्ति शर्मा ने Mankading करके टीम को मैच जिताया था तो अंग्रेज़ी समर्थक और कुछ क्रिकेटर बिदक गए थे और भारत को शिष्टाचार का पाठ पढ़ाने लगे थे। उस पर तंज कसते हुए सहवाग ने अपने क्लासिक अपर कट की भांति ट्वीट किया था कि “कमाल है, इन अंग्रेज़ी चोमुओं को एक रन आउट से इतनी तकलीफ हो रही है!”
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