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एलोपैथी से हटकर अन्य उपचारों के विकल्प की तरफ देखने का समय आ गया है

त्वरित उपचार से छुटकारा पाना होगा!

TFI Desk द्वारा TFI Desk
10 February 2023
in स्वास्थ्य
एलोपैथी

Source- TFI

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आज का दौर ऐसा है कि लोगों को अपनी प्रत्येक समस्या का समाधान त्वरित रूप से चाहिए। यह समय ही दो मिनट वाले इंस्टेंट मैगी का है, चुटकी बजाइए और झटपट सारा काम हो जाए। कुछ ऐसी ही स्थिति चिकित्सा पद्धति की भी है। लोग चाहते हैं कि उन्हें कोई भी रोग हो तो तुरंत ही इससे छुटकारा भी मिल जाए। इसके लिए अधिकतर लोग एलोपैथी का सहारा लेते हैं। आपको यदि कभी सिर में दर्द होता होगा तो एलोपैथी दवाई की गोली लेकर इससे छुटकारा पाने का प्रयास करते होंगे। हर छोटी से लेकर बड़ी बीमारी के लिए तमाम तरह की दवाईयां आज उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग बड़े स्तर पर लोग करते हैं। लेकिन समय-समय पर एलोपैथी के हर तरह के दुष्परिणाम भी सामने आते रहते हैं, जिसके कारण अब इसके विकल्प पर ध्यान केंद्रित करने का समय आ गया है।

और पढ़ें: हाल के शोध से पता चला है कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का भी इलाज संभव है

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प्राचीन ज्ञान, विज्ञान और संस्कृति के वैश्विक विस्तार की अमर गाथा

योग से जोड़ो, आयुर्वेद से संवारो: विश्व-व्यवस्था का भारतीय दर्शन

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बीमारी को जड़ से खत्म नहीं करता एलोपैथी

एक समय ऐसा था जब हमारे पास आधुनिक समय की सर्जरी यानी शल्य चिकित्सा की सारी पद्धतियां उपलब्ध थीं। हमारे पूर्वजों ने बीमारियों को दबाने के स्थान पर इनका जड़ से उपचार करने पर अधिक ध्यान दिया करते थे। वहीं आज के समय में एलोपैथी पर लोग अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। एलोपैथी चिकित्सा से लाभ होना तो निर्विवाद है। परंतु इसके साथ समस्या ये है कि एलोपैथी रोगों को जड़ से खत्म नहीं करती है बल्कि उसे दबा देती है। इसके दुष्प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं। आज एलोपैथी चिकित्सा का व्यापार तो बहुत तेजी से बढ़ रहा है और पूरी दुनिया पर इसका एकछत्र राज है। जबकि इससे पुरानी उपचार पद्धतियां जैसे आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी इत्यादि इसकी तुलना में बहुत अधिक प्रभावी तो हैं ही इसके साथ ही लोगों के स्वास्थ्य पर इनका दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है। वहीं आज के समय में इंटीग्रेटेड मेडिसिन एक उभरते हुए विकल्प के रूप में सामने आ रहा है। मोदी सरकार के द्वारा भी इंटीग्रेटेड मेडिसिन के विकल्प को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं।

इसी दिशा में बड़ा कदम आगे बढ़ाते हुए हाल ही में नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में Integrated Medical Centre की शुरुआत हुई है। इस विभाग में डॉक्टर आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा दोनों का उपयोग कर मरीजों का इलाज करेंगे। सरकार की योजना एम्स दिल्ली में भी एकीकृत चिकित्सा विभाग बनाने की है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने सभी सरकारी अस्पतालों विशेषकर देश के सभी AIIMS में एकीकृत चिकित्सा केंद्र खोलने का निर्णय लिया है।

और पढ़ें: भारत का आयुर्वेद उद्योग फार्मा कंपनियों की बैंड बजाने के लिए पूरी तरह तैयार है

इंटीग्रेटेड मेडिसिन के बारे में जानिए

अब यहां आपके मन में यह प्रश्न अवश्य ही उठ रहा होगा कि आखिर यह इंटीग्रेटेड मेडिसिन है क्या? और कैसे यह एलोपैथी चिकित्सा पद्धति के एक विकल्प के रूप में सामने आ रही है?

यह एक ऐसी पद्धति है जिसका उद्देश्य व्यक्ति के संपूर्ण जीवन को स्वस्थ बनाए रखना होता है, न कि बीमार होने पर केवल दवा देकर कुछ समय के लिए ठीक कर दिया जाता है। इंटीग्रेटेड मेडिसिन का उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा का उपचार करना है। इसके अलावा इंटीग्रेटेड मेडिसिन में पारंपरिक चिकित्सा के साथ-साथ ध्यान, संगीत और कला के द्वारा कई प्रकार की थेरेपी भी की जाती हैं।

इंटीग्रेटेड पद्धति में सामान्य तौर पर कुछ ऐसा होता है कि एक चिकित्सक द्वारा किसी भी व्यक्ति को ठीक करने के लिए दवाइयों के साथ-साथ योग और व्यायाम करने के परामर्श भी दिए जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति मानसिक तनाव से पीड़ित है तो उसे योगाभ्यास करने का परामर्श दिया जाता है और आज के समय में यह पद्धति बहुत अधिक लोकप्रिय होती जा रही है। इंटीग्रेटेड पद्धति के इलाज के तहत पोषण, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक तीन स्तर पर उपचार किया जाता है। पोषण के स्तर पर इस पद्धति में अच्छा भोजन करने, विटामिन और मिनरल जैसी चीजों का सेवन करने के लिए भी सुझाया जाता है। मनोवैज्ञानिक स्तर पर मानसिक तनाव कम करने के लिए ध्यान जैसे रास्तों को अपनाने के परामर्श दिए जाते हैं। शारीरिक स्तर पर अगर देखा जाए तो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग और व्यायाम करने के लिए सुझाया जाता है।

इसे कई पहलुओं में विभाजित किया जा सकता है।

1. आयुर्वेद

भारत के इतिहास को यदि हम उठाकर देखेंगे तो सदियों से कई तरह की बीमारियों के उपचार में आयुर्वेद का विशेष महत्व रहा है। तीन हजार से भी अधिक वर्षों से आयुर्वेद हमारे स्वास्थ्य की देखभाल कर रहा है। आयुर्वेद का जन्म भारत में हुआ। इसके सूत्र हमें ऋग्वेद और अथर्ववेद में मिलते हैं।

2. योग

योग सनातन धर्म द्वारा विश्व को दी गई सबसे बड़ी देन है। योग की उत्पत्ति हजारों वर्ष पूर्व हुई थी। योग एक ऐसी आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिससे आप अपने शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का प्रयास करते हैं, अर्थात इसमें जुड़ाव अनुभूति करते हैं।

जब आयुर्वेद और योग एक साथ आते हैं, तो चिंता, अस्थमा, गठिया, पाचन संबंधी समस्याएं, एक्जिमा, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर जैसी कई जानलेवा बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है।

3. Naturopathy यानी प्राकृतिक चिकित्सा

नेचुरोपैथी का वर्णन वेदों और अन्य प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। पुराने समय में नेचुरोपैथी की सहायता से ही रोगों का उपचार होता था। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इससे शरीर को कोई हानि नहीं पहुंचती। नेचुरोपैथी के तहत प्रकृति के पांच मूल तत्व पृथ्वी, अग्नि, आकाश, जल और वायु का प्रयोग किया जाता है। इन पांच तत्वों के माध्यम से व्यक्ति को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करवाई जाती है।

और पढ़ें: स्तन कैंसर के इलाज के लिए टाटा मेमोरियल सेंटर ने किया क्रांतिकारी आविष्कार

4. एक्यूपंक्चर

एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति को वैकल्पिक चिकित्सा उपचार के अंतर्गत उपयोग में लाया जाता है। एक्यूपंचर सूइयों के द्वारा किया जाने वाला एक सफल उपाय है। इसमें डॉक्टर रोगी को के रोग का पता लगाकर उस विशेष स्थान पर सुइयां लगाते हैं। इससे शरीर की ऊर्जा को संतुलित करके समस्या का निवारण किया जाता है। एक्यूपंक्चर की सहायता से दर्द से राहत मिल सकती है और इसके अलावा भी कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं में एक्यूपंक्चर थेरैपी सहायक सिद्ध हो सकती है।

5. होम्योपैथी

होम्योपैथी वह चिकित्सा पद्धति है जो धीरे-धीरे अपना प्रभाव डालती है परंतु कई बीमारियों का जड़ से उपचार कर सकती है। होमियोपैथी व्यक्ति के संपूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने पर बल देती है। इस प्राचीन पद्धति से बुखार, खांसी, गठिया और डायबिटीज जैसी अनेक रोगों का उपचार किया जाता है।

6. अस्थिचिकित्सा (Osteopathic)

अस्थि चिकित्सा मनुष्य के अस्थि-पंजर के जोड़-तोड़ मिलाकर रोग मुक्त करने की एक विधि है। इसके चिकित्सक परीक्षण से अस्थियों के स्थान का वास्तविक ज्ञान उंगुलियों से टटोलकर, रीढ़ व नाड़ी दबाकर स्थितियों का पता लगाकर चिकित्सा करते हैं। रीढ़ की समस्या जैसी दुर्लभ जटिलताओं का उपचार ऑस्टियोपैथी से किया जा सकता है।

7. काइरोप्रैक्टिक (Chiropractic)

काइरोप्रैक्टर में रीढ़ की हड्डियों या जोड़ों में आई समस्या को बिना दवा और सर्जरी के ठीक किया जाता है। इस उपचार पद्धति में काइरोप्रैक्टर नामक थेरेपिस्ट अपने हाथों के प्रयोग से आपको हड्डियों, मांसपेशियों और जोड़ों की परेशानियों में राहत प्रदान करता है। इसमें हाथों से रीढ़ की हड्डियों में आए अंतर को सेट किया जाता है, जिससे मरीज को दर्द में राहत मिलती है।

इंटीग्रेटेड मेडिसिन के क्षेत्र में डॉ कल्लोल गुहा काफी लंबे समय से बहुत बेहतर काम कर रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर गुहा के चैनल की वीडियो पर जा सकते हैं।

और पढ़ें: भारत बना विश्व का सबसे बड़ा दवाखाना 

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