Singer Mithoon Biography in Hindi: अगर आप 90 के दशक में जन्मे हैं तो फिर आपके लिए संगीत और मनोरंजन की कोई कमी नहीं रही होंगी। ये वो समय था जब हाथ में स्मार्टफोन और Spotify नहीं, सोनी एरिक्सन या नोकिया के फोन और एयरटेल या हच सर्विस होती थी, जिसके लिए लोग उतनी ही मारामारी करते थे, जितना आज नेटफ्लिक्स या अमेजन प्राइम की सर्विस के लिए करते हैं। यह वो समय था जब फिल्में चाहे जैसी भी हो, उनका संगीत अद्वितीय होता था और कई गीत तो अपने समय से काफी आगे के हिसाब से बने हुए थे और उन सब में एक कॉमन फ़ैक्टर थे- मिथुन शर्मा! इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि कैसे मिथुन शर्मा (Singer Mithoon Biography in Hindi) अपने आप में भारतीय संगीत के सबसे अनमोल रत्नों में से एक हैं, जिन्हें अभी भी उनकी उचित पहचान मिलनी बाकी है।
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Singer Mithoon Biography in Hindi – मिथुन और बॉलीवुड
वंशवाद को तो वैसे हेय की दृष्टि से देखा जाता है, चाहे राजनीति हो या फिर फिल्म उद्योग। परंतु ऐसे कई अपवाद हैं, जो भले ही वंशवादी हो परंतु चमकते अपने योग्यता के बल पर ही हैं और मिथुन शर्मा उन्हीं में से एक हैं। कम ही लोगों को ज्ञात है कि मिथुन शर्मा एक बड़े ही प्रसिद्ध संगीत घराने से संबंध रखते हैं। उनके दादा पंडित रामप्रसाद शर्मा ऐसे व्यक्ति थे, जो कई प्रसिद्ध संगीतज्ञों को प्रशिक्षित कर चुके थे। उनके पिता नरेश शर्मा भी एक चर्चित संगीतज्ञ रहे, जो अपने भ्राता प्यारेलाल शर्मा के साथ मिलकर बहुचर्चित संगीतज्ञ जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की एक धुरी बने।
मिथुन मात्र 20 वर्ष के थे, जब उन्होंने संगीत उद्योग में कदम रखा और फिल्म “ज़हर” एवं “कलयुग” के सुप्रसिद्ध गीत “वो लम्हे” एवं “अब तो आदत” को अपना संगीत दिया। परंतु एक मौलिक संगीतकार के रूप में उनका आधिकारिक डेब्यू हुआ वर्ष 2006 में, जब उन्होंने दो नई फिल्मों “अनवर” एवं “बस एक पल” को अपना संगीत दिया। “बस एक पल”, “तेरे बिन”, “तोसे नैना लागे”, “आँखें तेरी” जैसे गीतों का संगीत उन्होंने तब रचा, जब वो मात्र 21 वर्ष के ही थे और आज भी जब वे गीत कानों में पड़ते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे कल ही बने थे।
फिल्म “अनवर” तो कुछ कारणों से वर्ष 2007 में प्रदर्शित हुई परंतु उक्त फिल्मों के संगीत ने मिथुन का प्रभाव बॉलीवुड में काफी हद तक बढ़ा दिया। परंतु अधिकतम निर्माता या निर्देशक न जाने क्यों उन्हें आजमाने को तैयार ही नहीं थे। इसके कारण मिथुन को छोटे मोटे प्रोजेक्ट्स से ही संतुष्ट होना पड़ा, जिनमें से कुछ फिल्में इमरान हाशमी के साथ ही होती थी। परंतु संयोग ऐसा बना कि फिल्म हिट हो या नहीं मिथुन का संगीत कभी फ्लॉप नहीं होता था।
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मिथुन के सुरीले सुर
फिर आया वर्ष 2011, जब मिथुन को “मर्डर” फ्रेंचाइजी के द्वितीय संस्करण में काम करने का अवसर मिला। उन्होंने केवल दो गीतों के लिए संगीत दिया और दोनों ही उस समय के अनुसार ब्लॉकबस्टर सिद्ध हुए और इन्हीं में से एक गीत था “दिल संभल जा ज़रा, फिर मोहब्बत करने चला है तू”, जिसने अरिजीत सिंह को बॉलीवुड में एक जाना माना नाम बना दिया।
परंतु वर्ष 2013 के समक्ष ये सब फीका पड़ गया। मिथुन के काम से प्रभावित होकर निर्देशक मोहित सूरी ने उन्हें अपने आगामी फिल्म “आशिक़ी 2” में अवसर दिया, जहां उनका साथ देने के लिए अंकित तिवारी और जीत गांगुली जैसे संगीतज्ञ भी थे। मिथुन ने केवल एक संगीत और उसके एक अन्य रूप को संगीत दिया। परंतु वही गीत इतना लोकप्रिय हुआ कि उसने संगीतज्ञ मिथुन एवं गायक अरिजीत सिंह को रातों रातों स्टार बना दिया। जी हां, यह गाना “तुम ही हो” था, जिसके लिए मिथुन को अपना सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का प्रथम फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला।
फिर क्या था, मिथुन को कई प्रोजेक्ट्स और मिले। परंतु उन्होंने कमर्शियल जगत से प्रभावित होकर अपने संगीत से कभी समझौता नहीं किया। इसलिए फिल्म चले न चले परंतु मिथुन का संगीत गारंटी के साथ सुपरहिट रहता था। उदाहरण के लिए फिल्म “हाफ गर्लफ्रेंड” और फिल्म “राधे श्याम” एक फिल्म के रूप में कितनी भी बेकार हो परंतु उसका संगीत अद्भुत था क्योंकि कमान तो मिथुन ही संभाल रहे थे। यहां तक कि अजय देवगन द्वारा निर्देशित उनकी दूसरी फिल्म “शिवाय” की सफलता में मिथुन की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका थी क्योंकि उसके गीत “बोलो हर हर हर” एवं “दरखास्त” में उन्हीं के सुरीले सुर जो उपस्थित थे।
2019 से बदल गई किस्मत
परंतु वर्ष 2019 उनके करियर का टर्निंग पॉइंट रहा। मिथुन इतने उत्कृष्ट कम्पोज़र होते हुए भी अधिकतम फ़िल्मकारों के प्रिय नहीं थे और कुछ बार वे अपने अधिकारों को लेकर बड़े बड़े स्टार, जैसे सलमान खान से भी भिड़ चुके थे। परंतु जब फिल्म “कबीर सिंह” आई तो अपने संगीत से मिथुन ने सबका मुंह पुनः बंद करा दिया। उसके एक गीत “तुझे कितना चाहने लगे हैं हम” को मिथुन ने संगीत दिया, यहां तक कि इसके बोल भी रचे परंतु ये “बेखयाली” और “पहला पहला प्यार” जितना ही लोकप्रिय था।
रीमेक और निम्न स्तर के संगीत से तंग जनता के लिए सचेत-परंपरा एवं मिथुन का संगीत किसी दैवीय उपहार से कम नहीं था। अगले वर्ष यानी 2020 फिल्मफेयर अवार्ड्स में “गली बॉय” ने भले ही लगभग सभी पुरस्कारों को खरीद लिया परंतु सर्वश्रेष्ठ संगीत के पुरस्कार को खरीद नहीं पाए और इसे “कबीर सिंह” के साथ संयुक्त रूप से बांटना पड़ा। वो कहते हैं न कि योग्य प्रतिभा छिपाये नहीं छिप सकती और मिथुन शर्मा के साथ यही हुआ। अब सुनने में यह आ रहा है कि वो फिल्म गदर 2 का संगीत देंगे और यदि उन्होंने उत्तम सिंह वाला ही जादू यथावत रखा तो फिर तैयार हो जाइए एक और कर्णप्रिय म्यूज़िक एल्बम के लिए!
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