Viram Chinh Kise Kahate Hain : विराम चिन्ह किसे कहते हैं : प्रयोग एवं प्रकार
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Viram Chinh Kise Kahate Hain साथ ही इससे जुड़े प्रयोग एवं प्रकार के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
वाक्यों को लिखते समय उनके विराम को दर्शाने के लिए हम कुछ विशेष चिन्हों का प्रयोग करते हैं, जिन्हें विराम चिन्ह कहते हैं।
विराम का क्या मतलब होता है? –
विराम का शाब्दिक अर्थ रुकना या ठहर जाना है – जब हम वाक्यों को बोलते हैं तो हमें समय-समय पर रुकने की आवश्यकता होती है ताकि भाषा का स्पष्ट रूप सामने आ सके और बोला गया वाक्य अधिक प्रभावशाली लगे। इससे भाषा पहले से अधिक अर्थपूर्ण और भावपूर्ण लगने लगती है।
विराम चिन्ह का प्रयोग क्यों किया जाता है?
किसी भी भाषा के सम्यक् ज्ञान एवं सुप्रयोग के लिए विराम-चिन्हों का ज्ञान अनिवार्य है। यदि बिना विराम के लिखते या बोलते चले जाएँ तो श्रोता या पाठक के लिए उस भाषा को समझना कठिन हो जाएगा। अतः कथन के स्पष्टीकरण, शैली की गतिशीलता एवं विचारों को सुबोध बनाने के लिए विराम-चिन्ह का अभ्यास करना आवश्यक है।
विराम चिन्ह के प्रकार –
- अल्प विराम (,)
- अद्ध विराम (;)
- पूर्ण विराम (।)
- प्रश्नसूचक (?)
- विस्मयसूचक (!)
- विवरण चिन्ह ()
- कोष्ठक चिन्ह ( { () } )
- पुनरुक्ति-सूचक चिन्ह (, ,)
- संयोजक चिन्ह (-)
- उद्धसरण चिन्ह (“……”)
- लोप चिन्ह (xxx)
- लाघव चिन्ह (0)
अल्प-विराम –
जब एक वाक्य में कई समान पदों का वर्णन करना होता है, तब इसका प्रयोग किया जाता है; जैसे-
- मैं, अजय, प्रगति और गौरव मिलकर बाज़ार गए।
- दाल, मसाले, चावल आदि सब कुछ तो महँगे हैं।
अर्द्ध विराम –
जहाँ अल्प-विराम की अपेक्षा कुछ अधिक समय के लिए रुकना होता है, वहाँ अर्द्ध विराम का प्रयोग होता है, जैसे-
- वे भाषण सुनने में व्यस्त हैं; भला जल्दी कैसे आ सकते हैं?
- वह बेईमान है; उसके संरक्षक भी ऐसा ही कहते हैं।
पूर्ण विराम –
जहाँ वाक्य पूर्ण हो जाता है, वहाँ पूर्ण विराम का प्रयोग होता है; जैसे-
- प्रीति अपना कार्य समाप्त कर चुकी है।
- हम अपने देश के गौरव व मान का पूरा ध्यान रखते हैं।
प्रश्नवाचक चिन्ह –
जिस वाक्य के द्वारा प्रश्न किया जाता है, वहाँ प्रश्नवाचक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है; जैसे-
- नीलू कहाँ रहती है?
- तुम कल विद्यालय में क्यों नहीं आए?
सम्बोधन चिन्ह / विस्मयसूचक (Sign of Interjection) –
वाक्य में जहाँ विस्मय, घृणा, शोक, खुशी, ग्लानि अथवा सम्बोधन का भाव होता है, वहाँ इस चिन्ह का प्रयोग करते हैं जैसे-
- अरे! यह तो मर गया।
- छिः छिः! इतनी नीचता।
कोष्ठक (Bracket) –
इस चिन्ह का प्रयोग पद का अर्थ प्रकट करने हेतु, क्रम-बोध और नाटक या एकांकी में अभिनय के भावों को प्रकट करने के लिए किया जाता है; जैसे-
- निरंतर (लगातार) प्रातः भ्रमण करने से स्वास्थ्य ठीक रहता है।
- मोहन (सोहन से) तुम्हारा घर कहाँ है?
आदेश चिन्ह –
किसी विषय को क्रमशः वर्णन करने या शीर्षक के आगे उसे स्पष्ट करने अथवा परिभाषा उपभेद बताने के लिए इस चिन्ह का प्रयोग करते हैं
जैसे-
वचन के तीन भेद होते हैं – एकवचन द्विवचन बहुवचन।
प्रत्यय के दो भेद होते हैं- कृत प्रत्यय, तद्धित प्रत्यय
निर्देशक चिन्ह (Dash) –
यह चिन्ह शब्द की व्याख्या करने अथवा उदाहरण देने के लिए किया जाता है; जैसे
जवाहरलाल नेहरू ने कहा था-आराम हराम है।
संज्ञा-स्थान, वस्तु या व्यक्ति के नाम को संज्ञा कहते हैं।
लाघव चिन्ह (Abbreviation Sign) –
किसी बड़े शब्द को संक्षेप में लिखने के लिए उसके प्रथम अक्षर को लिखकर आगे शून्य (0) लगा देते हैं; जैसे
पंडित = पं0 जवाहर लाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे।
डॉक्टर = डॉ0 ने मरीज की देखभाल ठीक से की।
संयोजक चिन्ह –
सामासिक पद की विभक्ति का निर्देश या जोड़े वाले शब्दों के मध्य ‘और’ शब्द के स्थान पर इस चिन्ह का प्रयोग करते हैं जैसे
- माता-पिता की सेवा करो।
- राम-लक्ष्मण वन को गए।
उद्धरण चिन्ह (Inverted Commas) –
जब किसी की उक्ति को ज्यों का त्यों उद्धृत किया जता है, तब वहाँ उद्धरण चिन्ह का प्रयोग किया जाता है; जैसे
लोकमान्य जी ने घोषणा की, “स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।”
नेताजी ने कहा, “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।”
त्रुटिपूरक चिन्ह –
कभी-कभी लिखते समय वाक्य में कोई शब्द छूट जाता है, उस छूटे स्थान पर इस चिन्ह को लगाकर ऊपर छूटे शब्द को लिख दिया जाता है।
आशा करते है कि Viram Chinh Kise Kahate Hain के बारे में सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे लेख पढ़ने के लिए हमसे फेसबुक के माध्यम से जुड़े।