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इस बार के बजट में किसानों के लिए क्या रहा?

सबसे आसान भाषा में समझ लीजिए।

TFI Desk द्वारा TFI Desk
5 February 2023
in अर्थव्यवस्था
what-remained-for-the-farmers-in-this-budget

SOURCE TFI

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किसे क्या मिला, क्या छिना, किसकी जेब कटेगी या किसकी भरेगी। देश में सबकुछ इस बात पर निर्भर करता है कि भारत सरकार की जेब कितनी भरी हुई है और भारत सरकार कितना खर्च करने की उत्सुक है। इस साल पेश हुए वित्तीय बजट 2023-24 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह संकेत दिया है कि सरकार अपना खर्च ज्यादा बढ़ाने वाली है। लेकिन किसानों का सवाल यह है कि उनके खाते में क्या आया है। ऐसे में जवाब खोजना होगा कि किसानों की झोली में सरकार ने क्या डाला है।

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किसानों के आय को बढ़ाने का प्लान

दरअसल, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2023 के बजट में किसानों का खास ध्यान रखा है और किसानों की कमाई में इजाफा करने के लिए कई कदम उठाए हैं। किसान समृद्धि योजना के बाद इस साल सरकार ने कई अन्य योजनाएं चालू करने की घोषणा की है। सरकार ने पशुपालकों और मछलीपालन करने वाले किसानों के लिए भी कई कदम उठाए हैं जिससे सीधा किसानों को ज्यादा आर्थिक फायदा हो सके। किसानों की सहायता के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किए जाएंगे। यहां से किसानों को खेती संबंधित प्लानिंग, लोन, इंश्योरेंस और फसलों के उत्पादन को किस तरह से बढ़ाया जाए, इस पर जानकारी दी जाएगी। किसान इस डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की मदद से बाजार में अपनी फसल को अच्छी कीमत पर कैसे बेच पाएं, इसके लिए भी विशेष प्रावधानों पर बल दिए जाने की बात कही गई है।

डिजिटाइजेशन का विशेष जोर

बजट में एक बड़ा ऐलान यह हुआ है कि किसानों के लिए सहकार से समृद्धि प्रोग्राम चलाया जाएगा। इसके जरिए 63000 एग्री सोसायटी को कंप्यूटराइज्ड किया जाएगा। इससे किसानों को समृद्ध बनाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही ऐलान किया गया है कि पशुपालन, मछीपालन के क्षेत्र में कर्ज देने की रफ्तार बढ़ाई जाएगी और मल्टीपर्पज कोरपोरेट सोसायटी को बढ़ावा दिया जाएगा। नई स्कीम के तहत प्रधानमंत्री मत्स्य पालन योजना की शुरुआत करने का फैसला भी किया है। सटीक शब्दों में कहें तो यह बजट किसानों को टेक्नोलॉजी के लिहाज से बेहतर बनाने वाला होगा।

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नेचुरल फार्मिंग को प्रोत्साहन

केंद्र का फोकस नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने पर है और इसीलिए इस बार के वित्तीय बजट में भारत सरकार एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित करेगी। यह काम आने वाले 3 सालों में किया जाएगा। वहीं 10,000 बायो इनपुट रिसर्च सेंटर भी स्थापित किए जाने की बात कही गई है। प्राकृतिक खेती के लिए माइक्रो फर्टिलाइजर के साथ ही मैन ग्रोन प्लांटेशन पर भी पूरा ध्यान दिया जाएगा जिससे फूड की गुणवत्ता भी सुधरे और किसानों को भी इस खेती के जरिए मोटा आर्थिक फायदा हासिल हो।

मोटे अनाज यानी श्री अन्न को प्रोत्साहन

मोटा अनाज भारतीय कृषि का अहम बिंदु है। बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा मिलेट का एक्सपोर्टर है। हम कई तरह के ‘श्री अन्न का उत्पादन करते हैं। इनमें ज्वार, रागी, बाजरा, कुट्टू, रामदाना, कंगनि, कुटकी, कोडो, छीना और सामा है। यह सभी मोटे अनाज हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। किसान लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में श्री अन्न का उत्पादन करके मदद कर रहे हैं। भारत को श्री अन्न के मामले में ग्लोबल हब बनाने में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च, हैदराबाद का बहुत बड़ा सहयोग रहेगा। यह संस्थान इंटरनेशनल लेवल पर मिलेट्स से संबंधित रिसर्च टेक्नोलॉजी और इसके बेहतर उत्पादन के तरीकों को बताता रहा है।

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स्टार्टअप पर विशेष बल

वित्तीय बजट में किसानों को कर्ज लेने के मुद्दे पर कई प्रकार की राहत दी गई हैं। प्रावधान के मुताबिक किसानों को उनके क्रेडिट कार्ड के जरिए 20 लाख करोड़ रुपये का कर्ज देने का लक्ष्य रखा गया। भारत सरकार की मंशा है कि इस कर्ज के पैसे का फायदा उठाकर किसान कृषि को एक स्टार्टअप के तौर पर तैयार करें जिससे किसानों की आय में इजाफा होगा और नौकरी के अवसरों में भी बढ़ोतरी होने की संभावनाएं बनेंगी।

फिर लगे दो बड़े झटके

सतही स्तर पर तो यह सब अच्छा लग रहा है लेकिन किसानों को एक बड़ा झटका भी लगा है। किसानों को यह उम्मीद थी कि इस बार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत जो 6000 रुपये दिए जाते हैं, उसकी रकम को 8 या 10 हजार रुपये किया जा सकता है और किस्तों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है लेकिन इसका उल्टा हुआ है। पीएम किसान योजना के बजट में इस बार पिछले बजट के मुकाबले 13 प्रतिशत की कटौती की गई है। पिछले साल इस योजना का बजट 68000 करोड़ रुपये था लेकिन इस बार यह 60,000 करोड़ रुपये में ही समेट दिया गया है जो कि किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरने वाली बात है।

ध्यान देने वाली है कि किसान काफी समय से मांग कर रहे हैं कि कई अन्य फसलों को एमएसपी के दायरे में लाया जाए और जो फसलें एमएसपी के तहत आती हैं, उन सभी की एमएसपी की दरों को बढ़ाया जाए। इसके विपरीत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भाषण में एमएसपी का कोई जिक्र ही नहीं है।

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कुल मिलाकर कहें तो इस बार का बजट 2023-24 किसानों के लिए खट्टा मीठा साबित हुए जिसमें डिजिटाइजेश के विस्तार से लेकर ड्रोन के इस्तेमाल की बात है और किसानों को ज्यादा कर्ज देने के साथ ही उन्हें स्वावलंबी बनाने के प्रयास हैं तो वहीं एमएसपी और पीएम किसान समेत कुछ विशेष सुविधाओं में कटौती लोगों के लिए झटका भी है।

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