Northeast Exit Polls 2023: पूर्वोत्तर राज्यों के चुनावों के एग्जिट पोल ने बता दिया है कि क्यों लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मतदान करते हैं। एग्जिट पोल ने यह भी बता दिया कि अब वो दौर चला गया जब एंटी एन्कबेंसी चला करती थी…एग्जिट पोल (Northeast Exit Polls 2023) ने यह भी बता दिया कि भाजपा सरकार के विकास के कार्य को लोग स्वीकार कर रहे हैं।
इस लेख में त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय के एग्जिट पोल (Northeast Exit Polls 2023) का विश्लेषण पढ़िए।
विगत कुछ हफ्तों से पूर्वोत्तर के राज्यों में चल रहे चुनाव चर्चा का विषय बने हुए हैं। अब Northeast के Exit Polls 2023 सामने आ गए हैं- इन एग्जिट पोल के मुताबिक, पूर्वोत्तर, पीएम मोदी के साथ दृढ़ता से खड़ा दिखाई देता है।
Northeast Exit Polls 2023: मेघालय में पिछड़ती दिख रही है भाजपा
Northeast Exit Polls 2023 के विश्लेषण से कुछ बात स्पष्ट हैं। भाजपा के वर्चस्व को कोई विशेष चुनौती मिलती नहीं दिख रही है। त्रिपुरा में भाजपा पहली बार दोबारा सत्ता में आ सकती है और मेघालय में आंकड़ों का खेल थोड़ा जटिल है।
जन की बात एग्जिट पोल्स के अनुसार मेघालय में भाजपा पिछड़ती दिख रही है- उसे राज्य में 3-7 सीटें मिलती हुई दिख रही हैं, वहीं NPP 9-14 तक सीटें जीत सकती है- इसके साथ ही कांग्रेस समर्थिप UDP को 10-14 सीटें मिलती हुई दिख रही हैं। यहां यह समझना आवश्यक है कि मेघालय के NPP नेता एवं मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा की नीतियों का विरोध करते हुए भाजपा ने उनसे अलग होकर बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ने का निर्णय किया था।
त्रिपुरा में सत्ता में वापसी
इंडिया न्यूज़ जन की बात के अनुसार, त्रिपुरा में भाजपा 29-40 सीटें जीतकर अपनी सत्ता बचाती हुई दिख रही है। कांग्रेस और वामपंथी गठबंधन यहां 9-16 सीटों पर सिमट जाएगा, जबकि नई पार्टी टीएमपी अर्थात टिपरा मोथा पार्टी 10-14 सीटें जीत सकती है।
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कांग्रेस और वामपंथी पार्टी के गठबंधन का त्रिपुरा में इतनी बुरी स्थिति में होना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि त्रिपुरा में कभी कांग्रेस, तो कभी वामपंथी पार्टियों का ही वर्चस्व रहा है। इन्हे तोड़कर सुनील देवधर के नेतृत्व में भाजपा ने 2018 में यहां प्रचंड बहुमत प्राप्त किया था और पहले बिप्लब कुमार देब और फिर माणिक साहा ने राज्य का प्रशासन संभाला।
त्रिपुरा के एग्जिट पोल से एक बात और निकलकर सामने आ रही है कि ममता बनर्जी की टीएमसी को बंगाल तक ही रहना चाहिए- उससे आगे उनका कोई अस्तित्व नहीं है- ममता बनर्जी ने त्रिपुरा की राजनीति में एंट्री करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया लेकिन लोगों ने टीएमसी को पूरी तरह से अस्वीकार्य कर दिया।
नागालैंड में दोबारा बीजेपी गठबंधन
मेघालय, त्रिपुरा के बाद अब बात करते हैं नागालैंड के एग्जिट पोल की। नागालैंड में भी भाजपा समर्थित गठबंधन अपनी सत्ता बचाता हुआ दिख रहा है। इंडिया न्यूज़-जन की बात एग्जिट पोल के अनुसार भाजपा और एनडीपीपी का गठबंधन 35-40 सीटें जीत सकता है- कांग्रेस को शून्य सीट और एनपीएफ को 6-10 सीटें मिल सकती हैं, नागालैंड में अन्य के खाते में 9-15 सीटें जाती हुई दिख रही हैं।
नागालैंड के एग्जिट पोल बता रहे हैं कि गठबंधन से इतर भाजपा अकेले भी इस बार नागालैंड में अच्छी सीटें जीत सकती है और इसमें महत्वपूर्ण भूमिका भाजपा के नागालैंड अध्यक्ष टेमजेन इमना अलोंग की हो सकती है, जिन्होंने नागालैंड में भाजपा का प्रभाव बढ़ाने का हरसंभव प्रयास किया।
सभी एग्जिट पोल्स को एकसाथ देखें तो एक तस्वीर स्पष्ट दिखती है कि मेघालय में भाजपा को गठबंधन से बाहर निकलकर चुनाव लड़ने का नुकसान होता दिख रहा है, लेकिन यदि भाजपा को 7 से अधिक सीटें मिलती हैं और परिणमा त्रिशंकु विधानसभा के आते हैं तो निश्चित तौर पर भाजपा किंगमेकर की स्थिति में होगी।
क्षेत्रीय पार्टियों की यदि बात करें तो ऐसा प्रतीत होता है कि स्थानीय पार्टियां थोड़े-बहुत बदलाव के साथ जिस स्थिति में थी- उसी में रहेंगी। हालांकि टीएमपी अर्थात टिपरा मोथा पार्टी को अवश्य लाभ होता दिख रहा है। जबकि वामपंथी पार्टियों के लिए स्थिति ढाक के तीन पात रहेगी।
परंतु कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस यानी टीएमसी की बात हमें निश्चित तौर पर पृथक तौर पर करनी पड़ेगी- क्योंकि दोनों ही पार्टियों ने त्रिपुरा में विशेष प्रयास किए थे लेकिन इनके हाथ कुछ भी आता नहीं दिख रहा है।
कुछ विश्लेषकों का ये भी मानना है कि “भारत जोड़ो यात्रा” में पूर्वोत्तर को न जोड़ना कांग्रेस के लिए बहुत भारी पड़ा। परंतु यदि हिमाचल प्रदेश को छोड़ दें, तो कुछ माह पूर्व हुए चुनावों के परिणाम भी कांग्रेस के लिए निराशाजनक ही थे।
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Northeast Exit Polls 2023 में भाजपा जो आज सबसे शक्तिशाली पार्टी के तौर पर उभरी है उसमें सबसे बड़ा योगदान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों का है, जिसमें पूर्वोत्तर के द्वार पर उन्होंने दिल्ली को पहुंचाया है और वहां विकास की शुरूआत की है।
इसके साथ ही पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन या फिर NEDA के संयोजक और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी भाजपा गठबंधन को मजबूत और सशक्त बना रहे हैं। ऐसे में अब हमें 2 मार्च की प्रतीक्षा चाहिए जब Northeast Exit Polls 2023 की बजाय हमारे सामने चुनावी परिणाम होंगे और उसके आधार पर विश्लेषण किया जा सकता है।
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