ज्यादा समय की बात नहीं है, 2014 के आसपास ये खबर फैली कि भारतीय सेना के पास गोला बारूद खत्म हो चुका है। वास्तविकता ये थी कि भारतीय सेना का जो आयुध भंडार, वह खाली होने के मुहाने पर आ चुका था, और ये हमारे देश के लिए काफी हृदय विदारक बात थी।
लेकिन एक वो दिन, और एक आज का दिन, हमारे सैन्यबलों के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। अब इसी परिप्रेक्ष्य में भारतीय सैन्यबलों के तकनीकी विकास को आगे बढ़ाते हुए रक्षा मंत्रालय ने ये निर्णय लिया है कि भारतीय सेना का विभिन्न ऑपरेशन्स हेतु अपना सैटेलाइट होगा। इससे पूर्व भारतीय थलसेना के पास ऐसा कोई विशिष्ट सैटेलाइट नहीं था।
GSAT 7B नामक ये सैटेलाइट की मांग काफी समय से थी, और कई कारणों से ये प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ था। परंतु अब अधिकतम बाधाओं को हटाते हुए यह प्रोजेक्ट शीघ्र ही प्रारंभ होने वाला है।
इसरो के कमर्शियल विंग न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के साथ मिलकर बनाए जा रहे इस सैटेलाइट की लागत करीब 3000 करोड़ रुपये होंगी, और ये सैटेलाइट 2026 में बनकर तैयार होंगी। इससे भारतीय थलसेना के कम्युनिकेशन क्षमता एवं आगामी मिशन के लिए काफी सपोर्ट मिलेगा।
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