Physics Wallah Controversy: जिस दिन अलख पांडे को फेम की भूख चढ़ी, उसी दिन “फिजिक्स वाला” खत्म

यूँ ही नहीं आज अलख पांडे उपहास का पात्र है

Physics Wallah Controversy: अभी कुछ दिन पूर्व शिक्षा के व्यवसायीकरण पर आधारित धनुष की बहुचर्चित फिल्म “वाथी” देख रहा था। उसमें एक संवाद है, “शिक्षा फाइव स्टार होटल का खाना नहीं, जो केवल कुछ चुनिंदा लोगों को ही मिले। वह तो मंदिर का प्रसाद, जो निस्स्वार्थ भाव से सब में बांटा जाता है!” तब इसका अर्थ मुझे कुछ खास समझ में नहीं आई, परंतु आज पूरा पूरा समझ में आ रहा है।

इस लेख में पढिये उन करणो को, जो Physics Wallah के वर्तमान Controversy का जनक है, और क्यों अलख पांडे के फ़ेम की भूख उनको ले डूबेगी।

समस्या क्या है?

सर्वप्रथम प्रश्न : समस्या क्या है? असल में चर्चित एडटेक प्लेटफ़ॉर्म “फिजिक्स वाला” (Physics Wallah) में इन दिनों एक बड़ा विवाद (Controversy) उत्पन्न हुआ है।

यहाँ पढ़ाने वाले कुछ टीचर्स इस प्लेटफॉर्म से अलग हो गए हैं। तो इसमें कौन सी बड़ी बात है? कहा जा रहा है कि उक्त टीचर्स का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे रो रहे हैं, चिल्ला रहे हैं, बता रहे हैं कि प्लेटफॉर्म छोड़ने के बाद उनपर पैसे लेने के झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं।

Physics Wallah Controversy पर क्यों, किसलिए?

उक्त वीडियो में जो टीचर्स हैं : तरुण कुमार, मनीष दुबे, सर्वेश दीक्षित, आदित्य आनंद, उन्होंने इसी माह अपना एक अलग यूट्यूब चैनल ‘संकल्प’ बनाया है। उनका आरोप है कि “फिजिक्स वाला” इन्होंने अपनी इच्छा से छोड़ा, परंतु  छोड़ने के बाद उनपर दूसरे प्लेटफॉर्म “अड्डा 24×7” से 5 करोड़ रुपये लेने का आरोप लगाया जा रहा है और उन्हें बच्चों की नजर में बदनाम किया जा रहा है। हालांकि “फिजिक्स वाला” का कहना है कि ये टीचर्स ही संस्थान को बदनाम कर रहे हैं।

उक्त टीचर्स के अनुसार, उन्होंने एक-दो महीने पहले ही प्लेटफॉर्म छोड़ने के बारे में बता दिया था, और साथ ही ये भी कहा था कि वे कोर्स पूरा करेंगे।  तरुण कुमार, मनीष दुबे और सर्वेश दीक्षित का कहना है कि उन्होंने एक साथ इस्तीफा दिया था, परंतु “फिजिक्स वाला” ने अपना रंग रूप बदलते हुए उन्ही पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया।

PhysicsWallah का सृजन

अब “फिजिक्स वाला” के फाउंडर अलख पांडे हैं, जिन्होंने साल 2016 में, JEE, NEET की तैयारी के लिए एक यूट्यूब चैनल, ‘फिजिक्स वाला’ शुरू किया। बाद में GATE, UPSC, SSC, CA जैसे कई एग्जाम की तैयारी करवाने लगे।

मामला इतना चल पड़ा कि यह एक यूनिकॉर्न कंपनी बन गई। अभी फिजिक्स वाला के 39 अलग-अलग यूट्यूब चैनल हैं और 1 करोड़ से ज्यादा ऐप डाउनलोड्स हैं।

कोविड 19 के समय और उसके बाद इस कंपनी ने अपने अनोखे बिजनेस मॉडेल से सबको चकित कर दिया। एक ओर “Unacademy”, “BYJUs” जैसे संस्थान डूब रहे थे, तो वहीं “फिजिक्स वाला” अपनी मदमस्त चाल चल रहा था।

एक समय जब कुछ यूट्यूबर्स, विशेषकर “Slay Point” ने विज्ञान का उपहास उड़ाया, तो अलख पांडे की तार्किक धुलाई वायरल हो गई, और धीरे धीरे वे यूट्यूब सेन्सेशन भी बन गए। इतना ही नहीं, बंधु को Amazon MiniTV पर अपनी खुद की वेबसीरीज़ भी बनऎ, “PhysicsWallah” के नाम से।

और कहीं न कहीं इन सब् घतनओ के मध्य में उनका करियर ने एक नाटकीय मोड़ लेन शुरु कर चुका था जिसकी उनको शायद अन्दाज भी न रह हो.

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विद्यां विनयम् ददाती : ….

बचपन में ये श्लोक पढ़ा था, विद्यां विनयम् ददाती, अर्थात विद्या विनयी बनाती है। परंतु “फिजिक्स वाला” की वर्तमान उठापटक को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि शिक्षा के व्यवसायीकरण से ये संस्थान भी नहीं बच पाया है, और उसी राह पर निकल पड़ा है, जिसपर चलते हुए आज BYJUs न घर का रहा, न घाट का।

“संकल्प चैनल” के एक वीडियो में “पीड़ित शिक्षकों” में से एक तरुण कुमार ने बताया, “मैं अब फिजिक्स वाला के प्लेटफॉर्म पर नहीं पढ़ाऊंगा। ये मेरे लिए काफी मुश्किल था। जिस प्लेटफॉर्म को मैंने अलख सर के साथ दिन-रात लगकर बनाया, उसे छोड़ना बहुत ही मुश्किल था। अब वहां का ‘सिस्टम’ वैसा नहीं रह गया था”।

एक और वीडियो में तरुण कुमार कहते हैं कि आपकी कंपनी (PW) 2 हजार करोड़ की है। 300 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ।  ये पैसे बच्चों को दे दो। फ्री कर दो सबकुछ, ऐप पर फ्री में पढ़ाओ। मैं तैयार हूं पूरी जिंदगी फ्री पढ़ाने के लिए”।

अब कहने को “फिजिक्स वाला” का प्रबंधन कहता है कि ये सब झूठ है, ये टीचर ही संस्थान को बदनाम कर रहे हैं। परंतु फिजिक्स वाला तो इसी बेसिस पर इस क्षेत्र में आया था कि वे शिक्षा को एक कमर्शियल प्रोडक्ट नहीं बनने देंगे।

हर क्षेत्र की तरह शिक्षा में भी स्टार कल्चर आ गया है, और फिजिक्स वाला इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। इसके लक्षण तभी दिख रहे थे, जब कई माह पूर्व अलख पांडे और एक अन्य टीचर अमन धतरवाल में जबरदस्त झड़प हुई थी, वो भी ऑनलाइन, जो कई मीम्स का हिस्सा भी बनी।

अगर ऐसे ही शिक्षा बाँटनी है तो फिर कोटा के कोचिंग माफिया कौन से बुरे हैं, वह भी तो यही करते हैं।

परंतु हर कोई ऐसा हो, ये भी आवश्यक नहीं। शिक्षक तो एच सी वर्मा जैसे भी होते हैं, जो अपने पद पर रहते हुए भी लाखों करोड़ों बच्चों का कल्याण करें। उनकी दीक्षा से कितने शोधकर्ताओं, कितने भावी वैज्ञानिकों को प्रेरणा मिली, इसका आधा भी अगर “फिजिक्स वाला” बिना ढिंढोरा पीटे पूरा कर दे, तो हम मान जाएंगे।

परंतु हम जानते हैं कि ऐसा नहीं होगा, क्योंकि फिर प्रॉफ़िट से बढ़कर कुछ है ऐसे संस्थानों के लिए?

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