पुनः चालू हुआ राहुल गाँधी को बहाल करने हेतु “लोकतंत्र खतरे में” अभियान

हाय हाय ये मजबूरी

आज का भारत अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जाना जाता हैं। आज विश्व के कई देश भारत के साथ हाथ मिलाना की इच्छा रखते हैं। अगर इतना सब कुछ संभव हो पा रहा है तो सिर्फ और सिर्फ कारण है  कुशल नेतृत्व । लेकिन, जब विश्व भारत को साकारत्मक दृष्टिकोण से देख रही हो, तो कोई कैसे भारत के बारे दूसरे देश में जाकर देश के संदर्भ में नाकारत्मकता फैला सकता है।  वो भी ऐसा व्यक्ति जिसे देश के चंद तथाकथित बुद्धीजीवी और देश की लिबरल लॉबी प्रधानमंत्री मोदी का  प्रतिद्वंदी मानती हो? जी हां आप स्मरण कर रहे हैं  हम बात राहुल गाँधी की ही कर रहे हैं।

इस लेख में पढिये कि कैसे राहुल गाँधी को आपराधिक मामले में 2 साल की सजा और संसद सदस्यता रद्द होने के बाद लिबरल गैंग लोकतंत्र के खतरे का राग अलाप रहा है।

वैसे गाँधी परिवार के युवराज राहुल गाँधी कोई बहुत अधिक शोध का विषय नही हैं। वो अपनी राजनीतिक समझ के कारण देश के हर वर्ग के लोगों के बीच प्रख्यात हैं।

राहुल गाँधी कब होगें राजनीति में गंभीर?

राहुल गाँधी लगभग वर्ष 2004 से भारतीय राजनीति में सक्रिय तो हैं परंतु इसमें उनकी विशेष उपलब्धी को अगर देखा जाए तो बेतूके बयान देश विरेधी बातें, स्कैम और करप्शन की एक लंबी सूची के अतिरिक्त कुछ हाथ नही लगेगा और इसलिए ये कहना गलत नही होगा कि उनका राजनीति बने रहने का कारण एकमात्र सरनेम फैक्टर ही है। यही कारण है कि वर्षो से पूरी कांग्रेस आत्ममुग्ध होकर राहुल गाँधी की बयानबाजियों और असफलताओं पर कुपढ़ों की भांति जय जयकार करती  रहती है।

राहुल गाँधी अपनी राजनीतिक बयानबाजियों के लिए जितने प्रसिद्ध हैं उतने ही वो अपनी विदेश यात्राओं के लिए भी प्रख्यात हैं। वो हर किसी विशेष अवसर पर विदेश यात्रा पर निकल जाते हैं। नाकारत्मक कारणों से ही सही इसमें कोई दो राय नही है कि उनकी विदेश यात्रा देश में खूब सुर्खियां बटोरती है।

उनकी राजनीतिक गंभीरता हमेशा से सवालों के घेरों में रही है। अब हाल में राहुल गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने देशभर में भारत जोड़ो यात्रा का समापन किया। जो मात्र नाम से ही भारत जोड़ो थी। जिसका धरातल पर यात्रा के नाम से विपरीत प्रभाव पड़ा।

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अब मैं ऐसा क्यो कह रहा हूं ये तो आप स्पष्ट रुप से समझ गए होगें। भारत जोड़ो यात्रा लिबरल लॉबी के लगभग हर सदस्य ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। उनकी ढाढी बढे लुक को लेकर उनकी गंभीरता का पीआर किया गया। लॉचिंग और रिलॉचिंग का खूब सर्कस हुआ। परंतु राहुल गाँधी तो राहुल गाँधी ठहरे उन्होंने  अपने सारे पीआर और समर्पित कार्यकर्ताओं की बातों और दावों पर पानी फेरते हुए अपने गलत बयानबाजियों के बल खूब किरकिरी कराई, जिसका भाजपा ने भरपूर लाभ उठाया।

जिस समय काल में राहुल गाँधी देश में भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे थे उस समय देश के 3 राज्यों में विधान सभा चुनावों का भी आयोजन हुआ। लेकिन चुनावों में इस यात्रा का कोई असर नही दिखाई पड़ा।  हिमाचल में जैसे तैसे कांग्रेस सरकार तो बना ली लेकिन गुजरात में स्थिती पहले से भी खराब हो गई। इसके बाद पूर्वेत्तर के राज्यों में चुनाव हुए तो उसमें भी त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड में कांग्रेस का सूपड़ा hi साफ हो गया।

हर अवसर पर विदेश जाते हैं राहुल गाँधी

अब जिन राहुल गाँधी की बढ़ी ढ़ाढी या भारत जोड़ो के के परिश्रम को देखकर जो भी लोग उन्हें धिर गंभीर प्रस्तुत करना का प्रयास करने में लगे ही थे कि महोदय भारत जोड़ो यात्रा कि समाप्ति के बाद फिर विदेश जा पहुंचे। जहां उन्होंने जमकर भारत में लोकतंत्र के खतरे का रोना रोया। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में कांग्रेस के युवा नेता राहुल गाँधी ने दावा किया कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है।

राहुल गाँधी ने भारत के बारे अनाप सनाप बातें फैलाने में कोई कसर नही छोड़ी। ऐसे में राहुल गाँधी ने भारत विरोधी दुष्प्रचार करके मोदी और भारत विरोधी ताकतों को माहौल बनाने का मौका दे दिया था। राहुल गाँधी के इस दुष्प्रचार को लिबरल लॉबी ने भी हाथों हाथ लिया और मोदी विरोध के चक्कर में राहुल गाँधी और लिबरलों ने जमकर भारत का लोकतंत्र का उपहास उड़ाया। वहीं भारत के राष्ट्र भक्तों ने राहुल के विदेश में किए दुष्प्रचार की कड़े शब्दों में निंदा भी की। भारतीय जनता पार्टी ने भी उनके बयानों को लेकर उन पर कड़े प्रहार किए।

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अपने तुच्छ बयानों से देश को शर्मसार करने वाले कांग्रेस के राजकुमार राहुल गाँधीराहुल गाँधी विदेश से उट पटांग बयानबाजी कर लौट चुके हैं परतूं वो कहते हैं ना समय सब का हिसाब करता है और वैसा ही कुछ राहुल गाँधी के जीवन में भी प्रतीत होता दिख रहा है।

अब इन सब विवादों और विरोधों के बीच गुजरात के सूरत सेशन कोर्ट ने राहुल गाँधी को पीएम मोदी पर 2019 में कर्नाटक की एक रैली दिए एक बयान के मामले में दोषी ठहराया  और कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा सुनाई दी।

बताते चलें कि राहुल गाँधी ने 2019 में कर्नाटक की एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था, “सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?” इस बयान के बाद राहुल गाँधी के विरुध पुलिस में शिकायत लिखवा दी।  राहुल गाँधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत केस दर्ज करवाया था, जो आपराधिक मानहानि से संबंधित है। 4 साल के बाद कोर्ट  राहुल गाँधी को दोषी पाते हुए दंड सुना दिया।

इसके कुछ समय पश्चात लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना निकालकर सूचना दी कि राहुल गांधी अब संसद के सदस्य नहीं हैं। इस अधिसूचना में बताया गया कि केरल की वायनाड लोकसभा सीट के सांसद राहुल गांधी को दंड सुनाए जाने के दिन यानी 23 मार्च, 2023 से उन्हें अयोग्य करार दिया जाता है. ऐसा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अधीन किया गया है।

कांग्रेस के राजकुमार और पूर्व सासंद पर हुए इस एक्शन की खबर सामने आई तो पूरी लिबरल लॉबी लोकतंत्र के खतरे, तानशाही, विपक्ष की ध्वनी दबाए जाने की बात करने लगी। वामपंथी प्रिय पत्रकार रोहिनी ने लिखा “बोलने पर मुकदमा होगा, बोलने पर ट्रोल गालियाँ देंगे, बोलने पर नौकरियाँ चली जाएँगी, बोलने पर फिल्मों का बहिष्कार हो जाएगा, बोलने पर घर पुलिस आ जाएगी, बोलने पर कोर्ट सजा कर देगा, बोलने पर लोकसभा/विधानसभा की सदस्यता चली जाएगी और बोलने वाला चुनाव नहीं लड़ पाएगा। पर बोलने की आजादी है!”

ऐसे ही वामपंथी और सपा नेता फरहाद अहमद की पत्नी स्वरा भास्कर अपना दु:ख प्रकट करते हुए लिखती हैं कि एक वक़्त में ऐसी खबरें अंतरराष्ट्रीय अख़बारों में रसिया, तुर्की आदि के बारे में पढ़ने को मिलती थी। आज भारत उन देशों में शामिल है जहां लोकतांत्रिक तरीक़े से चुनी गई सरकार और उनकी सरकारी व्यवस्था ख़ुद लोकतंत्र बर्बाद कर  रही है।

REALLY स्वरा?

 

सदन में पुराने साल का बजट पढ़ने की क्षमता रखने वाले और जादूगर के नाम से प्रख्तात राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत लिखते हैं कि श्री राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म करना तानाशाही का एक और उदाहरण है। बीजेपी ये ना भूले कि यही तरीका उन्होंने श्रीमती इन्दिरा गांधी के खिलाफ भी अपनाया था और मुंह की खानी पड़ी। श्री राहुल गांधी देश की आवाज हैं जो इस तानाशाही के खिलाफ अब और मजबूत होगी।

वामपंथियों के मीडिया समूह द वायर की पत्रकार सीमा ट्वीटर पर लिखती है किक्या राहुल गांधी इस संकट को मोदी के लिए मुख्य चुनौती के रूप में उभरने के अवसर में बदल सकते हैं? –

राहुल गाँधी ने विदेश धरती पर जाकर जो भारत दुष्प्रचार किया उसके बाद पश्चिमी देशों को भी भारत के विरुद्ध बयानबाजी करने का साहस दे दिया।

अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने शुक्रवार को राहुल गांधी को लोकसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित किए जाने के फैसले को गांधीवादी विचारधारा के साथ ‘गहरा विश्वासघात’ बताना राहुल गाँधी के भारत विरोधी अभियान का बहुत बड़ा प्रमाण है।

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कांग्रेस के पूर्व सासंद राहुल गाँधी को कोर्ट ने जो भी दंड सुनाया वो विधि विधान के अंदर ही सुनाया यानि जो हुआ वो कानून के अधीन ही हुआ। राहुल गाँधी अपने ऊट पटांग बयानों के चलते कई बार कोर्ट के चक्कर लगा चुके हैं साथ ही अपने बयानी के लिए राहुल गाँधी को कोर्ट के सामने क्षमा तक मांगनी पड़ी थी. लेकिन इतने वर्षों के राजनीतिक अनुभव के बाद भी राहुल गाँधी के स्वभाव में कोई खास परिवर्तन नही आया है।

देश अवश्य परिवर्तन की ओर अग्रसर है। लेकिन लिबरल लॉबी और विपक्ष इस परिवर्तन को लोकतंत्र के लिए कभी खतरा बताता है तो कभी तानाशाही। लेकिन किसी दोषी को देश की न्यायपालिका के द्वारा दंड दिए जाने से लोकतंत्र को क्या खतरा है। दोषी को दंड मिलना कहां से तानशाही हो गई। जो भी राहुल गाँधी को मिले इस दंड़ ये सिद्ध होता है भारत का लोकतंत्र कुशल नेतृत्व के चलते शक्तिशाली होता जा रहा है जहां राजा हो या प्रजा दंड विधान एक है।

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