इस समय अमृतपाल सिंह न घर के रहे न घाट के। परतूं वे जहाँ भी हो, ये तो सरकारी एजेंसियां बेहतर जानती है, परंतु एक बात तो अमृतपाल के बारे में प्रत्यक्ष है कि इस समय अमृतपाल ना सुरक्षित है, और ना ही उसके समर्थक विदेश में बैठे हो यह देश में चाहके भी इसका समर्थन कर सकते है और इसका कारण एक ही है भारत की सशक्त नीति जिससे भारत अमृतपाल के कट्टर से कट्टर समर्थक भी अब विभिन्न कारणों से मुँह मोड़ रहे हैं।
कि कैसे अमृतपाल सिंह के पास नगण्य समर्थन है, और यदि वह फरार है, तो क्यों अब सरेंडर करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है।
विदेश से कोई राहत नहीं
जहाँ देश में अमृतपाल सिंह को कोई समर्थन नहीं देने को तैयार है, तो वहीं विदेश में उसके उपद्रवी समर्थकों पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार सख्त है।
एक तरफ देश में अमृतपाल सिंह के खिलाफ कार्रवाई तेज है तो दूसरी तरफ कनाडा , यूके जैसे देशों में खालिस्तानियों के हमले को लेकर वहाँ के राजदूत को भी तलब किया गया है
चूंकि भारत विरोधी प्रदर्शनों यूके में सबसे अधिक उग्र रहे हैं, इसलिए भारत में स्थित ब्रिटिश उच्चायोग को विभिन्न माध्यमों से “इसके दुष्परिणाम” भी भुगतने पड़ रहे हैं।
वो कैसे?
हाल ही में ब्रिटेन की विवादित निर्दलीय सांसद क्लॉडिया वेब ने खालिस्तानियों को समर्थन देते हुए कहा कि अगर इन्हे एक अलग राष्ट्र दिया गया, तो इसमें प्रॉब्लम क्या है?
वेब के अनुसार, “मैं पंजाब के हालात से बहुत चिंतित हूँ। आखिर यूके के राजनीतिज्ञ सिखों को आतंकी कैसे बोल सकते हैं? जो शांतिपूर्ण तरह से खालिस्तान की मांग कर रहे हैं, वो आतंकी नहीं हो सकते ”
बात तो खरी कही, नहीं?
पर उसी लॉजिक से अगर यूके में कोई ब्रिटेन से स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड की स्वायत्ता की बात करे, तो ऐसे महानुभावों की त्योरियाँ क्यों चढ़ जाती हैं? शायद इसी हिपोक्रेसी के पीछे भारत दिल्ली में स्थित ब्रिटिश उच्चायोग की सुरक्षा में कमी के साथ साथ उसकी प्रार्थनाओं को अनसुनी कर रहा है।
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बता दें कि हाल के दिनों में यूके, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में भारतीय वाणिज्य दूतावासों को निशाना बनाया गया था। इसको लेकर भारत ने चिंता व्यक्त की थी। अब सरकार ने कनाडा के राजदूत को तलब कर पूछा है कि इन चरमपंथियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।
इस मामले को लेकर विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार ने शनिवार (25 मार्च 2023) को राजदूत से स्पष्टीकरण माँगा।
उनसे पूछा गया कि खालिस्तानी तत्वों को पुलिस की मौजूदगी में भारतीय राजनयिक मिशन और वाणिज्य दूतावासों की सुरक्षा में सेंध लगाने की अनुमति कैसे दी गई।
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अकाल तख्त ने दिया आत्मसमर्पण की सलाह
पर बात यहीं तक सीमित नहीं है। सूत्रों की माने तो कभी भारत की अखंडता को चुनौती देने वाला अमृतपाल सिंह इन दिनों दर दर की ठोकरें खा रहा है।
स्थिति इतनी बेकार हो चुकी है कि स्वयं अकाल तख्त ने सार्वजनिक तौर पर आत्मसमर्पण करने को कहा है।
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने भगोड़े कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने और जांच में सहयोग करने की सलाह दी है। अकाल तख्त के जत्थेदार ने ये भी कहा कि इतनी बड़ा पुलिस बल होने के बावजूद वे अमृतपाल को क्यों नहीं पकड़ पाए है।
जत्थेदार ने कहा, “अगर अमृतपाल (पुलिस की गिरफ्त से) बाहर है, तो मैं उसे पेश होने और (पुलिस) जांच में सहयोग करने के लिए कहूंगा”। उन्होंने ये भी कहा,
“राजनीतिक संगठनों के किसी प्रतिनिधि को नहीं बुलाया। अगर अमृतपाल सिंह को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है तो पुलिस को बताना चाहिए”।
बता दे कि ये वही अकाल तख्त है जो कुछ दिन पूर्व अमृतपाल के नाम पर पंजाब सरकार पे सिखों के अत्याचार का आरोप लगा रहा था।
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क्या होगा अमृतपाल सिंह का?
अब प्रश्न यही उठता है : अमृतपाल सिंह का क्या होगा? जिस प्रकार से हर एजेन्सी उसके पीछे पड़ी है, वहै स्वछन्द होके तो नहीं घूम सकता, और अगर जेल में नहीं है, तो कहाँ है? विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार वह हरियाणा से लेकर यूपी तक की खाक छान चुका है। विदेश भागने का स्टंट वह केवल LOC पे ही कर सकते हैं, और यहाँ इनका क्या हल होगा, ये बताने की आवश्यकता नहीं।
पुलिस ने अमृतपाल सिंह के जिन साथियों को हिरासत में लिया है उनसे मिली जानकारी से यही बात सामने आ रही है।
उसके अनुसार अमृतपाल बहुत ही शातिर किस्म का इंसान है और उसके मंसूबे पंजाब और देश में अशांति फैलाते हुए खालिस्तान बनाने की कोशिश करना है।
परतूं पुरानी फिल्मों में एक डायलॉग बहुत चलता है, “तुम्हें चारों ओर से घेर लिया गया है, बचकर नहीं निकल सकते”। ये बात अमृतपाल सिंह के लिए भी लागू होती है।
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