पड़ोसी देश पाकिस्तान कंगाल हो चुका है, यह सर्वविदित है। वहां दाने-दाने के लाले पड़े हुए हैं। पाकिस्तान दर-दर जाकर ऋण रुपी भीख मांग रहा है। ऐसे में अब एक बार फिर चीन पाकिस्तान को ऋण देने के लिए आगे आया है। चीन अपने विशिष्ट मित्र पाकिस्तान को 70 करोड़ डॉलर का फंड दे रहा है, लेकिन इससे अमेरिका विचलित हो गया है और भारत का हितैषी होने का स्वांग रच रहा है।
इस लेख में पढ़िए, कैसे भारत का हितैषी दिखकर अमेरिका अपने पापों को धोने का प्रयत्न कर रहा है।
चीन ने दिया पाकिस्तान को ऋण
पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने घोषणा की है कि चीन विकास बैंक के बोर्ड ने पाकिस्तान को 70 करोड़ अमेरिकी डॉलर के ऋण को मंजूरी दी है। चीन पाकिस्तान को ये ऋण ऐसे समय में दे रहा है जब इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF जैसी संस्था ने हाथ खड़े कर दिए हैं। ऋण के लिए कई देशों में भटकने के बाद भी पाकिस्तान को कहीं से सहायता नहीं मिल रही थी।
चीन से मिलने वाले इस ऋण से पाकिस्तान का विदेश मुद्रा भंडार 20 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने ट्वीट कर बताया कि “स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान को चाइना डेवलपमेंट बैंक से आज 70 करोड़ डॉलर का फंड मिला है। इस सहायता के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने इस “विशेष मित्र” के प्रति आभार व्यक्त किया है।
उन्होंने आगे लिखा “चीन पाकिस्तान का सहयोगी देश है। हम सभी आईएमएफ समझौते की प्रतीक्षा कर रहे थे, लेकिन उससे पहले चीन ने सहायता करके सिद्ध किया है कि वह पाकिस्तान का सच्चा दोस्त है। इन बातों को कभी नहीं भुलाया जा सकता है।
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खैर, ये तो हमने बात की चीन और पाकिस्तान के बीच के प्रगाढ़ रिश्तों की कि कैसे कंगाल पाकिस्तान की सहायता के लिए संकट की घड़ी में ड्रैगन आगे आया, चीन के ऋणजाल को आप समझते ही हैं, श्रीलंका समेत कई देशों को चीन ने कैसे अपने ऋण जाल में फंसा रखा है, इससे आप अपरिचित नहीं हैं।
अमेरिका का स्वांग
अब हम चीन और पाकिस्तान के मुद्दे को यहीं छोड़कर बात अमेरिका की करते हैं, चीन ने जो पाकिस्तान की मदद की है उससे अमेरिका परेशान दिख रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि अमेरिका को इस बात की गहरी चिंता है कि चीन की ओर से भारत के निकटवर्ती पड़ोसी देशों पाकिस्तान और श्रीलंका को दिए जा रहे ऋण के बदले बलपूर्वक लाभ लिया जा सकता है। बता दें कि दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने यह चेतावनी दी है।
डोनाल्ड लू ने पत्रकारों से कहा, “हम इस बात को लेकर बहुत चिंतित हैं कि भारत के निकटवर्ती देशों को दिये जा रहे चीनी ऋण का दुरुपयोग किया जा सकता है।” लू ने कहा कि अमेरिका इस क्षेत्र के देशों से बात कर रहा है कि वे अपने निर्णय स्वयं से लें और किसी बाहरी साझेदार के दबाव में न आएं। लू ने कहा, ‘हम भारत से बात कर रहे हैं, इस क्षेत्र के देशों से बात कर रहे हैं कि कैसे हम उन देशों को स्वयं के निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं। इन फैसलों में चीन का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
अब पाकिस्तान की बात हो रही है तो यह तो तय है कि पाकिस्तान भीखक में पैसे ऋण का दुरुपयोग भी कहां करेगा- आतंकवाद के पालन-पोषण में ही इस धन को भी लगाया जाएगा। लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि अमेरिका को इस पर इतनी हैरानी या फिर चिंता क्यों हो रही है? वो भी तो यही करता आया है, हर किसी को ज्ञान बांटने वाला अमेरिका किस तरह परदे के पीछे पाकिस्तान जैसे देशों की मदद कर आतंकवाद का समर्थन करता आया है उससे सभी भली-भांति परिचित हैं।
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पाकिस्तान में जो आतंकवाद फल-फूला उसमें अमेरिका की भी बड़ी भूमिका रही है। अब पाकिस्तान में ऐसी कोई स्कीम तो है नही कि वो केवल और केवल चीन से मिलने वाले ऋण का ही दुरुपयोग करेगा और अमेरिका से मिलने वाले ऋण का नही।
अमेरिका कई बार पाकिस्तान को ऋण देकर भारत की पीठ में छुरा घोंपने का काम कर चुका है। पिछले वर्ष ही अमेरिका की ओर से पाकिस्तान को एफ-16 फाइटर जेट के रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर की सहायता राशि मंजूर की गई है। वर्ष 2018 के बाद से अमेरिका की ओर से पाकिस्तान को दी गई यह एक बड़ी आर्थिक सहायता थी। अमेरिका के इस निर्णय पर भारत ने प्रश्न भी खड़े किए थे।
भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने असंतोष दिखाते हुए ट्वीट में लिखा था, “अमेरिका का पाकिस्तान के एफ-16 फाइटर जेट को मजबूत करना भारत और अमेरिकी संबंधों के लिए एक बड़ा झटका है। इससे अमेरिका की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।”
बता दें कि वर्ष 1981 में जब अफगानिस्तान में सोवियत युद्ध जारी था, उसी समय अमेरिका ने पाकिस्तान को 40 एफ-16 बेचे थे। इन जेट्स का प्रयोग मुजाहिद्दीनों के ट्रेनिंग कैंप्स की सुरक्षा के लिए किया गया था। साथ ही इन्हें सोवियत जेट्स और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को शूट करने के लिए भी इस्तेमाल किया गया था।
“आप किसे बेवकूफ बना रहे हो?”…ये कटाक्ष किसी और पर नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी ताकतों में से एक अमेरिका पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका की ही धरती पर किया था। पाकिस्तान के साथ एफ-16 लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने के समझौते को लेकर जयशंकर ने ये टिप्पणी की थी।
अब अमेरिका भारत का हितैषी दिखने का नाटक रच रहा है, लेकिन अभी कुछ दिन पूर्व ही रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने जब अमेरिका से अलग अपनी राय रखी तो यही अमेरिका भड़क गया था, बार-बार दवाब बनाने के बाद भी जब भारत अपने स्टैंड पर अडिग रहा रहा तो अमेरिका ने भारत को धमकी भी देनी शुरू कर दी थी, लेकिन अब वही अमेरिका भारत के लिए चिंता दिखा रहा है, ऐसे में निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि भारत का हितैषी बनने का स्वांग रचकर अमेरिका अपने पुराने पापों का धोने का प्रयास ही कर रहा है, जिसमें निश्चित तौर पर उसे सफलता नहीं मिलेगी- क्योंकि अमेरिका को नहीं भूलना चाहिए कि यह नया भारत है, मजबूत सशक्त और सबकुछ याद रखने वाला, भावुक होकर क्षमा कर देने वाला नहीं।
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