Tu Jhoothi Main Makkar review: आजकल फिल्म कैसी होती हैं, इसे परखने के दो माध्यम होते हैं। या तो फिल्मों का बॉक्स ऑफिस फिगर अच्छा हो, और सच्चा हो। या फिर इस फिल्म के पीछे वही लोग पड़े, जिनका भारतीय संस्कृति से कोई लेना देना नहीं, लव रंजन की “तू झूठी मैं मक्कार” वो दूसरे टाइप की फिल्म है।
इस लेख में मैं आपको बताऊंगा “तू झूठी मैं मक्कार” का अपना अनुभव (Tu Jhoothi Main Makkar review) , और आपको ये भी बताता हूँ कि कैसे ये फिल्म सूरज बड़जात्या के फिल्मों के मूल संदेश को एक अनोखा और आधुनिक ट्विस्ट देती है।
Tu Jhoothi Main Makkar honest review
कथा प्रारंभ होती है गुरुग्राम में रोहन उर्फ मिकी से, जो अपने परम मित्र डबास के साथ अपने परिवार का उद्योग संभालता है, और साथ ही एक अनोखा साइड बिज़नेस भी करता है, जो शायद सभ्य लोगों को अजीब लगे।
अब इसी सब में दोनों का सामना होता है डबास की मंगेतर की मित्र टिन्नी से, जो नटखट और अपनी जीवन को अनोखे शैली में जीने के लिए जानी जाती है। मिकी और टिन्नी में प्रेम तो होता है, पर किन्ही कारणों से टिन्नी उसे विवाह तक नहीं ले जाना चाहती। आखिर वो कारण क्या है, और इस उलझन को सुलझाने में क्या क्या ड्रामे होते हैं, “तू झूठी मैं मक्कार” इसी को चित्रित करती है।
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कल्पना कीजिए कि आपको एक ऐसी डिश दी जा रही है, जिसका नाम सुनने में आपको बड़ा ही अजीब और अप्रिय लगे। आप उसे किसी तरह खाने को तैयार हो जाए, परंतु उस डिश को खाने पर आपको आश्चर्य के साथ एक अलग ही सुख का अनुभव हो। “तू झूठी मैं मक्कार” वही अनोखी डिश है, जो याद आपको सूरज बड़जात्या के पारिवारिक फिल्मों की दिलाएगी, परंतु इसे लव रंजन ने अपना अनोखा ट्विस्ट भी दिया है।
क्या ये परफेक्ट फिल्म है? बिल्कुल भी नहीं, परंतु पिछले कुछ वर्षों से मनोरंजन के नाम पर बॉलीवुड जो परोस रहा था, उससे तो कहीं अच्छी लगेगी आपको। प्रारम्भिक दृश्यों को देखने पर आपको लगेगा कि कहीं आपको लव रंजन के नाम पर करण जौहर की अझेल, वामपंथी फिल्म तो नहीं परोस दी गई, परंतु जैसे जैसे ये फिल्म आगे बढ़ेगी, ये आपको हँसाएगी, और कुछ जगह शायद भावुक भी कर दे। और इस कारण | इस वर्ष की पहली क्लीन सक्सेस लव रंजन के हाथ ही लगेगी।
इस फिल्म का जो सबसे उत्कृष्ट पहलू है, वह है परिवार का मूल्य समझाना। कुछ लोग आधुनिक होने के नाम पर परिवार को बाधा समझते हैं। उन्हे लगता है कि परिवार में रहना मतलब तरह तरह की सामाजिक बेड़ियों में जकड़े रहना, और इसे “थप्पड़”, “द ग्रेट इंडियन किचन” जैसी फिल्मों में कुछ ज़्यादा ही अनावश्यक रूप में चित्रित किया है।
जैसे कि आप जानते हैं कि अति नारीवाद के विरुद्ध लव रंजन हमेशा से मुखर रहे हैं और अपने फ़िल्मों में इस विषय को लेकर कई बार मोर्चा भी खोला चुके हैं परंतु इस बार एक कदम आगे बढ़कर उन्होंने भारतीय परिवारों का महत्व भी समझाया है।
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और यही कारण है कि |अनुभव सिन्हा, तापसी पन्नू, अनुराग कश्यप जैसों के लिए ये फिल्म किसी “हॉरर फिल्म” से कम न होगी।
अब Tu Jhoothi Main Makkar फिल्म को देखने के पश्चात रणबीर कपूर के लिए हमारे पास कुछ प्रश्न है : कमबैक करना ही था तो इस फिल्म से कर लेते, “शमशेरा” और “ब्रह्मास्त्र” करने की क्या आवश्यकता थी? यहाँ न वे असहज लग रहे थे, और न ही उन्हें देखकर आपको अपना माथा पीटने का मन करेगा।
श्रद्धा कपूर ने 3 वर्ष बाद शानदार वापसी की है, और इनके किरदार को देखकर आपके मन में तरह तरह की भावनाएँ उत्पन्न होंगी। आज के भ्रमित और कन्फ्यूज़्ड जेनरेशन का इन्होंने बढ़िया चित्रण किया है।
परंतु इस फिल्म में जिसने सबसे अधिक चकित किया है, वह है दो लोग : अनुभव सिंह बस्सी और बोनी कपूर।
जी हाँ, बोनी कपूर ने इस फिल्म से अपना एक्टिंग डेब्यू किया है, और इसे प्रशंसा कहें या कुछ और, परंतु इनकी एक्टिंग देख आप यही कहोगे कि कुछ नहीं तो अर्जुन कपूर अपने पिताजी से ही कुछ सीख लेते।
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इसके अतिरिक्त अनुभव सिंह बस्सी ने अन्य सोशल मीडिया स्टार्स की भांति अपने भूमिका से निराश नहीं किया। उलटे जिस सहजता से उन्होंने डबास का रोल निभाया है, उसे देखकर तो यही प्रतीत होता है कि आगे अगर इन्हे और रोल मिले, तो चकित नहीं होयेगा ।
डिम्पल कपाड़िया ने भी अपने भूमिका के साथ न्याय किया है। इस फिल्म में एक सरप्राइज़ है, जो आपको ये सोचने पर विवश कर देगी कि ये केवल संयोग था, या फिर?….
ऐसे में “Tu Jhoothi Main Makkar” वो फिल्म है, जो दिखने में कोयला प्रतीत हो, पर अंत में हीरा सिद्ध होती है। यदि आपके पास समय है, तो इसे मिस न करें, अपने मित्रों एवं परिवार के साथ अवश्य देखने जा सकते हैं।
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