गुलाम नबी आज़ाद ने राहुल गांधी को किया “रोस्ट फ्राई”

किस किसको "आरएसएस एजेंट" बोलोगे राहुल गांधी ?

जब कोई भी संगठन बनता या बिगड़ता है तो उसके पीछे कई कारण होते हैं स्वभात: निर्माण में नि:संदेह कईयों का समर्पण और श्रम होता है। तो विघटन में कईयों की असूची, स्वार्थ और कुंठा। कांग्रेस की कहानी भी कुछ अलग नही है। व्यक्तिगत रुप से हम और आप कांग्रेस की विचारधारा से सहमत हो या ना हो परतूं इस बात में कोई दोराय नही कि कांग्रेस देश के बड़े राजनीतिक संगठनों में से एक हैँ।

कांग्रेस पार्टी को भी खड़ा करने के पीछे कई दिग्गज नेताओं का हाथ रहा है। लेकिन, कांग्रेस की लुटिया डूबने में सर्वाधिक हाथ अगर किसी का है तो वो है गाँधी परिवार के राजकुमार राहुल गाँधी .

आज परिस्थिती ये हो गई  है कि राहुल गाँधी ने कांग्रेस को ना घर का छोड़ा ना घाट का क्योंकि एक तरफ  कांग्रेस के घर के लोग यानि कांग्रेस के विश्वासपात्र  लोग कांग्रेस छोड़ अपनी राहें अलग कर रहे हैं और दूसरी ओर राहुल गाँधी अपनी बयानबाजियों से कांग्रेस के स्तर को नीचे गिरा रहे हैं और पार्टी की स्थिती को बद से बदतर बनाने में  में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं।

ये बातें हम नही बल्कि वो लोग बता रहे हैं जिन्होंने अपना अधिकतर समय कांग्रेस पार्टी के लिए समर्पित कर दिया।

इस लेख में पढिये कि कैसे कांग्रेस को डूबोने का श्रेय केवल और केवल राहुल गाँधी को ही जाता है और जानिए पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम आजाद के उस खुलासे को जिससे पता चलता है कि आखिर राहुल गाँधी क्यों एक सफल नेता नही बन पाए।

राहुल  गाँधी वो काम क्यों कर रहे हैं जो उनके बश्का नही। वो उस काम को करें जिसे वो कर सकते हैं। ये शब्द किसी और के नही बल्कि उस वरिष्ठ नेता के हैं जिसने कांग्रेस पार्टी में अपना सर्वाधिक राजनीतिक जीवन व्यतीत किया।

परतूं एक व्यक्ति के आत्ममुग्धता के कारण उन्हें कांग्रेस पार्टी को छोड़ना पड़ा। क्योंकि ये किसी से नही छिपा है कि  “राहुल की कांग्रेस”  में वरिष्ठ नेताओं का कोई महत्व नही है। गुलाम नबी आजाद का कहना है कि अगर कोई  पार्टी का सीनीयर लीड़र कोई शिकायत लेकर पार्टी आलाकमान राहुल गाँधी  के पास जाता है तो कहा दिया जाता है कि ये लेटर मोदी ने लिखवाया है।

देखिए राहुल गाँधी की बयानबाजियों से पूरा देश तो अच्छी तरह परिचित है ही । पूरा देश जानता है कि किस प्रकार राहुल गाँधी अपनी बयानबाजियों से अपनी राजनीतिक समझ का परिचय  देते आए हैं।

परतूं उनके इसी व्यावहार से पार्टी के वो लोग भी परेशान और विवश हैं जिन्होंने पार्टी के लिए अपना जीवन खपा दिया। जिनकी योग्यता के समक्ष राहुल गाँधी गाँधी की राजनीतिक योग्यता नगण्य ही है।

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गुलाम नबी आजाद ने खोली कांग्रेस की पोल

दरअसल, कुछ समय पूर्व डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद ने कई समाचार चैनलों को साक्षात्कार दिया जिसमें उन्होंने कुछ ऐसे खुलासे किए जिन्हें जानकर हर कोई आश्चर्यचकित रह गए गुलाम नबी आजाद अपने इन साक्षात्कारों के कारण चर्चा का विषय बने हुए हैं। उनके छोटे छोटे साक्षात्कारों के क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं उनका हर क्लिप कांग्रेस और राहुल गाँधी के लिए दर्द पैदा कर रहा है।

आजाद कहते हैं कि  भारत में तो अब कांग्रेस बची ही नहीं है। राहुल गांधी समेत मौजूदा कांग्रेस नेतृत्व का अब कोई प्रभाव नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल का प्रभाव बढ़ा है। लेकिन मेरा मानना है कि उनका कोई प्रभाव ही नहीं है।

ये पूर्ण रुप से सत्य है। राहुल गाँधी की रानजनीति में कोई गंभीरता नही है और ना कोई योग्यता। जो काम कांग्रेसी की विपक्षी पार्टियां अपने चुनाव प्रचारों में पूरा नही कर पाती उन्हें राहुल अकेले दम सफलता तक ले जाते हैं और इस तथ्य को गुलाम नबी आजाद ने भी माना है । एक साक्षात्कार में एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी ऐसी लड़ाई लड़ रहे हैं जिसमें सुबह से शाम तक बीजेपी वाले राहुल गाँधी की आरती उतारें।

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प्रो-कांग्रेस हैं या एंटी-कांग्रेस?- गुलाम नबी आजाद

हिमंत बिस्वा जैसे बड़े नेताओं के कांग्रेस छोड़ने पर गुलाम नबी आज़ाद से सवाल पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पता नहीं राहुल गांधी प्रो-कांग्रेस हैं या एंटी-कांग्रेस। आरएसएस के साथ उनकी समस्या नहीं जानते। जब भी किसी को पार्टी में संदेह होता है, तो वह कहता है  उसे जाने दो। उसे आरएसएस में शामिल होने दो।

उन्होंने एक साक्षात्कार में ये भी बताया  हिमंत बिस्वा को वो मनाना चाहते थे , सोनिया गाँधी भी यही चाहती थीं। परतूं कांग्रेस के स्वघोषित युवराज राहुल गाँधी ये नही चाहते थे और इसके परिणाम आपके समक्ष हैं।

कुल मिला के कहने में कोई अतिश्योकती नही होगी कि राहुल की मूर्खता के कारण बड़े बड़े नेता कांग्रेस छोड़कर जाते रहे और राहुल गाँधी को रत्ती भर भी फर्क नही पड़ा।

परतू ये राजनीति है और राजनीति समस्या का निर्माण करने से नही समस्या निवारण करने से चलती है और परिणाम हमारे समक्ष है कि राहुल गाँधी की ये निर्लजता कांग्रेस को किसी पतन की ओर अग्रसर कर रही है और अभी तो समस्या की शुरुआत है।

जब गुलाम नबी आजाद से साक्षात्कार में ये पूछा गया कि उनका कहना है यानि कांग्रेस का कि तुम राहुल को ना चाहो तो कोई बात नही लेकिन मोदी को चाहोगे तो परेशानी होगी। इसके जबाव में उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि ना हम मोदी जी को चाहते हैं और ना हम राहुल गाँधी को ना चाहते हैं। उन्होंने इसी सवाल के जबाव में आगे कहा कि सवाल गर्लफ्रेंड का नही है, बॉयफ्रेंड का नही है। सवाल हिंदुस्तान की राजनीति का है कि कौन सा कैप्टन इसको डूबोना की कोशिश कर रहा है और कौन सा कैप्टन इसको किनारे पर पहुंचाने की कोशिश कर रहा है, वहां उसका धर्म नही देखूगां, वहीं मैं उसकी शक्ल नही देखूगां, वहां मैं उसका काम देखूगां ।

उन्होंने अपना अनुभव साझे करते हुए इसी सवाल के जबाव में कहा कि इंदिरा गाँधी चलाते थे,राजीव गाँधी चलाते थे ,नेहरु  चलाते थे। अपने देश को भी चलाते थे दुनिया को भी चलाते थे। उन्होंने सोनिया गाँधी के लिए कहा कि मिसिस गाँधी को तो प्राइम मिनिस्टर बनने का मौका नही मिला लेकिन पीछे से वो भी चलाती थी। लेकिन उन्होंने वर्तमान राहुल वाली कांग्रेस के लिए  कहा कि आज क्या परेशानी है कि पार्टी नही चलती। उन्होंने कहा कि सिर्फ गाली देने से लीडर नही बनता। उन्होंने कहा कि 24 घंटे नींद से उठकर किसी को गाली दोगे इससे ना देश बनेगा ना दुनिया बनेगी ना कोई पॉवर में आ सकता है।

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जब अगला सवाल ये पूछा गया कि राहुल जी शिप को डूबा रहे हैं और मोदी जी चला रहे हैं तो गुलाम नबी आजाद ने उत्तर में कहा कि इस वक्त तो वही हो रहा है। उन्होंने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि अगर कैप्टन बनने के लिए मोदी साहब 24 घंटे काम करते हैं तो तुम 24 मिनट तो करोगे। उन्होंने कहा कि 24 मिनट भी काम नही करोगे तो आप कैसे प्रधानमंत्री बनोगे। उन्होंने इंदिरा गाँधी के साथ अपने काम का अनुभव साझा करते हुए कहा कि इंदिरा गाँधी 20 घंटे काम किया करती थीं। राजीव गाँधी 20 घंटे काम करते थे, लेकिन ये 20 मिनट भी काम क्यों नही करते? उन्होंने कहा कि वो 20 – 20 घंटे काम करके प्रधानमंत्री बने लेकिन ये 20 मिनट काम करके ही प्रधानमंत्री बनना चाहते हैँ। ये नही है पॉसिबल।

गुलाम नबी आजाद ने उन तथ्यों से अपने साक्षात्कार में पर्दा उठाया है जिससे देश कम परिचित था। वो अंदर की बातें बताई हैं जिसके कारण बड़े बड़े नेताओं ने कांग्रेस को छोड़ दिया । अब गुलाम नबी आजाद से अधिक करीब से किसने देखा होगा ? क्योंकि वो कांग्रेस का प्रम्मुख चेहरा थे। लेकिन इतने अनुभवी होते हुए भी राहुल गाँधी के कारण उनकी एक ना चलती थी। जिस प्रकार के खुलासे गुलाम नबी आजाद ने किए हैं उनसे एक बात तो स्पष्ट है कि राहुल गाँधी के कारण कांग्रेस का उद्धार असंभव है और उससे अधिक राहुल गाँधी का।

वो अपनी उलूल जलूल बयानबाजियों के कारण अपनी सासंदी तो खो चुके हैं और प्रतीत हो रहा है कि जब तक वो कांग्रेस की बची हुई प्रतिष्ठा को भी खत्म नही कर देते तब तक वो चैन से बैठने वाले नही है।

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