“द केरल स्टोरी” को द इंडियन एक्सप्रेस का आभार जताना चाहिए

कुछ हीरो ऐसे भी

कुछ भी कहिए, परंतु “द केरल स्टोरी” ने अपने मूल उद्देश्य में सफलता पाई है : बदलाव! चाहे प्रशंसा में, या फिर निंदा में, परंतु आप उसे अनदेखा नहीं कर पा रहे। इसके लिए कई लोग जिम्मेदार है, चाहे फिल्म के कलाकार हों, या फिर इसे प्रतिबंधित करने वाले राज्य। परंतु एक नायक ऐसा भी है, जिसके योगदान की कोई भी चर्चा नहीं कर रहा।

इस लेख में पढिये कैसे “द केरल स्टोरी” की अप्रत्याशित सफलता में द इंडियन एक्सप्रेस ने भी अपना अनूठा योगदान दिया है।

ऐसी दीवानगी, देखी कहीं नहीं

आपने कई प्रकार के प्रशंसक देखे होंगे। अपने टीम या स्टार के लिए मर मिटने वाले प्रशंसक, बात बात पे लड़ने वाले प्रशंसक, अपने आराध्य को ईश्वर तक मानने वाले प्रशंसक। परंतु द इंडियन एक्सप्रेस बिल्कुल अलग है भैया।

देखिए, “द केरल स्टोरी” ऐसी फिल्म है, जो किसी भी स्थिति में वामपंथी मीडिया को रास नहीं आने वाली थी, और हुआ भी वही। परंतु द इंडियन एक्सप्रेस ने न जाने क्यों हमें दूल्हे राजा के जॉनी लीवर, जिसको देख समस्त वामपंथी यही बोलेंगे, “तू उसकी तरफ है या मेरी तरफ?”

वो कैसे? द इंडियन एक्सप्रेस ने तो मानो “द केरल स्टोरी” के लिए एक विशिष्ट सेक्शन खोल दिया। जब से ये फिल्म प्रदर्शित हुई थी, तब से मिनिमम प्रतिदिन एक या दो लेख इसी को समर्पित है। स्वाभाविक भी है, फिल्म का प्रदर्शन, उसके विभिन्न ऐस्पेक्ट इत्यादि भी दिखाने होते हैं। परंतु बात केवल विश्लेषण नहीं है!

और पढ़ें: द केरल स्टोरी देखकर हुई फेमिनिस्टों की बत्ती गुल!

द वायर और क्विंट को भी पीछे छोड़ दिया!

प्रारंभ करते हैं इनकी समीक्षा से। द फिल्म कम्पेनियन की तर्ज पर इस फिल्म ने इसे एक घटिया सोच और घटिया अभिनय वाली बकवास बताया। ठीक है, सबको अच्छी नहीं लगेगी, परंतु इसकी समीक्षक शुभरा गुप्ता है, जो बड़े से बड़े फेमिनिस्ट फिल्मों को 3 स्टार से कम नहीं देंगी, और अच्छी फिल्मों को 3 स्टार देने में भी कंजूसी करेंगी।

अब ये तो हुई शुभरा की बात, परंतु द इंडियन एक्सप्रेस इतने पर थोड़ी न रुका। जो काम द वायर और द क्विंट “तान्हाजी” के लिए न कर पाई, वो द इंडियन एक्सप्रेस ने “द केरल स्टोरी” के लिए कर दिखाया।

बात बात पे ये पोर्टल इस फिल्म को विवादित, विवादित बोलता रहा। जब इसके प्रतिबंध की मांग उठी, तो इस पोर्टल ने कथित तौर पर इसके समर्थन में पोस्ट भी डाले। इतना ही नहीं, जब मलयाली अभिनेता टोवीनो थॉमस ने अपनी कुंठा जगजाहिर करते हुए इस फिल्म को लताड़ा, तो न केवल इंडियन एक्सप्रेस ने उसका समर्थन किया, अपितु इनकी फिल्म “2018” को बढ़ावा देते हुए इसे “असली केरल स्टोरी” के रूप में प्रचारित भी करने लगे। कुछ भी कहिए, इनके जिजीविषा की दाद देनी पड़ेगी।

और पढ़ें: कश्यप और आज़मी: “The Kerala Story” के नए फैन!

इसके अतिरिक्त जब “RRR” के बाद रेसूल पुकुट्टी ने इस फिल्म के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया, तो उसे भी इस पोर्टल ने अपना जबरदस्त समर्थन दिया। इतना ही नहीं, जब “अफवाह” [जो द केरल स्टोरी के दिन ही प्रदर्शित हुई] फ्लॉप हुई, तो इसके निर्देशक सुधीर मिश्रा इतने दुखी नहीं थे, जितना कि द इंडियन एक्सप्रेस थी। उसमें भी इसने “द केरल स्टोरी” को दोषी ठहराने का भरपूर प्रयास किया। भई मेरा श्रीमान विपुल अमृतलाल शाह, अदा शर्मा और द केरल स्टोरी के अन्य रचनाकारों से विशिष्ट अनुरोध है कि वे अविलंब द इंडियन एक्सप्रेस को उनकी सेवाओं के लिए एक विशिष्ट भेंट प्रदान करे। कब से तरसे हुए हैं बेचारे!

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Exit mobile version