King Charles Coronation cost: रियासत गड्ढे में, बुढ़ऊ राजा मज्जे में!

अब जीसस ही जाने क्या होगा यूके का!

King Charles Coronation cost

King Charles Coronation cost: बड़े बुजुर्गों से सुने थे, “आग लगे बस्ती में, हम अपनी मस्ती में”। परंतु लगता है चार्ल्स फिलिप ने इस बात को कुछ ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया। अगर आपको लग रहा है कि ये कौन मनुष्य है, जिनकी इतनी चर्चा हो रही है, तो ये ब्रिटेन के नए राजा, चार्ल्स तृतीय हैं, जिनका हाल ही में बकिंगहम पैलेस में राज्याभिषेक हुआ है।

अब ब्रिटेन जैसे राज्य में ऐसी घटना कोई मामूली बात नहीं, परंतु इसे उतना ही भाव दिया जा रहा है, जितना वर्तमान मीडिया असली मुद्दों को देती है। सोचिए, उस देश की क्या हालत होंगी, जिसके राजा के राज्याभिषेक में भारत की ओर से सोनम कपूर प्रतिनिधि के रूप में गई है।

क्यों है राज्याभिषेक उपहास का विषय?

ऐसा इसलिए क्योंकि एक तो यूके की आर्थिक और सांस्कृतिक हालत बहुत खराब है। कब ये देश मिनी पाकिस्तान में परिवर्तित हो जाए, कोई नहीं जानता, परंतु इन सब से बेफिक्र चार्ल्स तृतीय को अपने राज्याभिषेक की बहुत चिंता है।

अभी शनिवार को अच्छी खासी अटेंडेंस के साथ चार्ल्स का राज्याभिषेक किया गया। इसमें देश विदेश से करीब 2300 अतिथि आए थे। अब इस समारोह के बाद चार्ल्स राजकुमार चार्ल्स नहीं, किंग चार्ल्स तृतीय के नाम से संबोधित किये जाएंगे।

King Charles Coronation cost: 125 मिलियन डॉलर का राज्याभिषेक?

तो समस्या किस बात की है? असल में कथित तौर पर इस समारोह में 125 मिलियन डॉलर का व्यय (King Charles Coronation cost) हुआ है। अब ये धन आसमान से तो टपका नहीं होगा, इसमें निश्चित रूप से ब्रिटिश नागरिकों का पैसा खर्च हुआ होगा। इतना ही नहीं, 8 मई को इस अवसर पर मिला राजकीय अवकाश भी सरकारी राजकोष पर लगभग 1.36 बिलियन पाउंड का अतिरिक्त भार डालेगा। ये तब है, जब ब्रिटिश प्रशासन ने दावा किया कि इस बार का राज्याभिषेक सबसे सादा और धूम धड़ाके से दूर होगा।

इसी बात पर अब यूके में विवाद छिड़ गया है, और ऊपर से कई ईसाई बुद्धिजीवी एवं राजनीतिज्ञ इस बात से क्रोधित हैं कि पीएम ऋषि सुनक [जो मूल रूप से हिन्दू हैं], वह कैसे ब्रिटिश राजा के राज्याभिषेक में बाइबल पे आधारित अभिभाषण पढ़ने के अधिकारी हो सकते हैं?

ऋषि सुनक वाले मुद्दे पर अलग विवाद छिड़ा हुआ है, परंतु एक बात तो गलत नहीं कही : आखिर इस राज्याभिषेक की आवश्यकता क्यों, और वो भी इस स्तर पे? 125 मिलियन डॉलर कोई गुल्लक से निकले चिल्लर नहीं, कि जाकर बाज़ार से चॉकलेट खरीद लिए। ये एक बहुत बड़ी धनराशि है, विशेषकर उस देश के लिए, जिसके करीब संसार के एक चौथाई भाग पर राज किया था।

इस समय यूके के वांदे लगे पड़े हैं। हास्य परिहास से इतर ये बात आर्थिक रूप से यूके के लिए बहुत चिंता का विषय है। ये जी 7 समूह में एकमात्र ऐसा देश है, जो अब तक कोविड 19 के प्रकोप से नहीं उबरा है। कॉस्ट ऑफ लिविंग के अनुपात में ये यूके के सबसे भीषण संकटों में से एक है, और यहाँ राशन तक के लाले पड़े हुए हैं।

आग लगे बस्ती में, बुढ़ऊ राजा मस्ती में

परंतु इन सब बातों से राजा चार्ल्स को शायद ही कोई फर्क पड़ता है। इनका सम्पूर्ण जीवन विवादों से परिपूर्ण रहा है, चाहे निजी जीवन हो या फिर राजपाट। विश्वास नहीं होता तो एक बार नेटफ्लिक्स पर “द क्राउन” के दर्शन कर ले, आपको समस्त खेल समझ में आ जाएगा।

अभी तो हमने यूके पर आव्रजन संकट के दुष्प्रभावों पर प्रकाश भी नहीं डाला है, लेकिन जब ब्रिटिश सम्राट को ही कोई अंतर नहीं पड़ता, तो अन्य लोग क्या ही कर लेंगे?

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