बबीता फोगाट ने खोली “कांग्रेस की कठपुतली” साक्षी मलिक की पोल

सत्य कड़वा होता है!

इस बात से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है कि हाल ही में भारत में पहलवानों का विरोध प्रदर्शन सार्वजनिक बहस का एक प्रमुख विषय बन गया है। जिनके लिए कभी पूरा देश चिंतित था, अब निरंतर अराजकता और नौटंकियों के कारण अपनी विश्वसनीयता खोते जा रहे हैं। परंतु इस बार इन्हे दर्पण दिखाने स्वयं इन्ही के क्षेत्र से, पहलवान बबीता फोगाट राजनीतिक अखाड़े में उतर आई है।

इस लेख में पढिये कैसे बबिता फोगाट ने इन प्रदर्शनकारियों का सामना किया, और क्यों उन्हे अपनी कनिष्ठ, साक्षी मलिक को ‘कांग्रेस की कठपुतली’ करार देने के लिए विवश होना पड़ा।

“भाजपा ने धरना को बढ़ावा दिया” 

इन दिनों पहलवानों के विरोध पर उतना ही ध्यान दिया जा रहा है, जितना कि पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड की गीदड़ भभकियों पर आईसीसी दे रहा है। ऐसे में दर्शकों का ध्यान आकृष्ट करने हेतु साक्षी मलिक ने ट्विटर पर एक वीडियो डालते हुए भाजपा पर अराजक प्रदर्शनों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। इतना ही नहीं, जिन टिकैत बंधुओं ने इनकी मनमानी को बढ़ावा दिया, उन्ही को उन्हे सरकार का पक्ष लेने का आरोप लगाया।

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परंतु इस बार बबीता फोगाट को इनकी नौटंकी न भाई। काफी समय से अपने आप को संयमित रखे बबीता ने इन्हे दर्पण दिखाते हुए ट्विटर पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट डाला, जिसमें इन्होंने अराजक पहलवानों के दावों की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, और इन विरोधी पहलवानों को “कांग्रेस की कठपुतली” तक कह डाला।

अपने ट्वीट में इन्होंने पोस्ट किया,

“एक कहावत है कि ज़िंदगी भर के लिये आपके माथे पर कलंक की निशानी पड़ जाए। बात ऐसी ना कहो दोस्त की कह के फिर छिपानी पड़ जाएँ । मुझे कल बड़ा दुःख भी हुआ और हँसी भी आई जब मैं अपनी छोटी बहन और उनके पतिदेव का वीडियो देख रही थी , सबसे पहले तो मैं ये स्पष्ट कर दूँ की जो अनुमति का काग़ज़ छोटी बहन दिखा रही थी उस पर कहीं भी मेरे हस्ताक्षर या मेरी सहमति का कोई प्रमाण नहीं है,  और ना ही दूर-दूर तक इससे मेरा कोई लेना देना है”।

“सिस्टम में कोई विश्वास ही नहीं!”

परंतु बबीता उतने पे नहीं रुकी। उन्होंने आगे ट्वीट किया,

“मैं पहले दिन से कहती रही हूँ कि माननीय प्रधानमंत्री जी पर एवं देश की न्याय व्यवस्था पर विश्वास रखिए, सत्य अवश्य सामने आएगा। एक महिला खिलाड़ी होने के नाते मैं सदैव देश के सभी खिलाड़ियों के साथ थी, साथ हूँ और सदैव साथ रहूंगी परंतु मैं धरने -प्रदर्शन के शुरुआत से इस चीज़ के पक्ष मैं नहीं थीं मैंने बार-बार सभी पहलवानों से ये कहा कि आप माननीय प्रधानमंत्री या गृहमंत्री जी से मिलो समाधान वहीं से होगा।

परंतु आपको समाधान दीपेंदर हुड्डा, कांग्रेस पार्टी एवं प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ आ रहे उन लोगों द्वारा दिख रहा था जो खुद बलात्कारी एवं अन्य मुक़दमे के दोषी है लेकिन देश की जनता अब इन विपक्ष के चेहरों को पहचान चुकी है अब देश के सामने आकर उन्हें उन सभी जवानों, किसानों और उन महिला पहलवानों की बातों का जवाब देना चाहिए जिनकी भावनाओं की आग में इन्होंने अपनी राजनीति की रोटी सेकने का काम किया। जो महिला खिलाड़ी धरने पर साथ बेठे थे उनके विचारों को सभी पूर्वाग्रहों के साथ ऐसी दिशा दी जहां बस आपके राजनीतिक फायदे दिख रहे थे”।

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आवश्यकता उत्तरदायित्व की

अपने ट्वीट के अंत में बबीता ने उक्त पहलवानों को जनता के प्रति अपने उत्तरदायित्व का भी प्रभाव गिनाने का प्रयास किया। उन्होंने ट्वीट किया,

“बहन हो सकता है आप बादाम के आटे की रोटी खाते हों लेकिन गेहूं की तो मैं ओर मेरे देश की जनता भी खाती ही है , सब समझते हैं। देश की जनता समझ चुकी है कि आप कांग्रेस के हाथ की कठपुतली बन चुकी हो। अब समय आ गया है कि आपको आपकी वास्तविक मंशा बता देनी चाहिए क्योंकि अब जनता आपसे सवाल पूछ रही है”।

जहां पहलवानों के प्रदर्शन को हर प्रकार का रंग देने का प्रयास किया गया, और कई राजनीतिक दलों ने इसे भारत विरोधी बनाने का भी प्रयास किया, तो वहीं बबीता उन चंद खिलाड़ियों में से थी, जिनका उद्देश्य स्पष्ट था : विरोध करें, परंतु लोकतंत्र का सम्मान करते हुए। ये सरल नहीं था, परंतु जिस प्रकार से बबीता ने इन पहलवानों के निरर्थक प्रदर्शन पर प्रकाश डाला है, वो अपने आप में सराहनीय है।

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