चंद्रयान ३ प्रक्षेपित हुआ भारतवर्ष के श्रीहरिकोटा से, परन्तु अग्नि भभक रही हैं लंदन के अंग अंग से! ये कोई कविता नहीं, वास्तविकता का वो अंश है, जिसे अब तक अंग्रेज़ पचा नहीं पा रहे.
इस लेख में चलिए एक ऐसी यात्रा पर, जहाँ कॉमेडी है, ड्रामा भी, और ढेर साड़ी अंग्रेज़ी ओवरएक्टिंग भी, जिसपर मरहम हेतु बरनॉल भी पर्याप्त न होगा!
एक बंजर द्वीप की असीमित ईर्ष्या
यूके, जिसका मौसम उसके भोजन सामान फीका और बेस्वाद है, इस बात से आहत है कि भारत ने चंद्रयान ३ प्रक्षेपित किया तो किया कैसे? इन महामूर्खों को कौन समझाए की १९२३ नहीं है, २०२३ है, पर छोड़िये, समझाए भी उसको जिसके पास मस्तिष्क हो. जिसकी स्पेस एजेंसी होने के बाद भी चन्द्रमा छोड़िये, अंतरिक्ष पहुँचने में भी हांफने लगे, वो अगर भारत को उपदेश देने लगे, तो क्रोध कम, हंसी अधिक आती है.
उदाहरण के लिए पॉल गोल्डिंग को देख लीजिये. ये राजनीतिज्ञ कहते हैं कि यदि भारत चन्द्रमा पर अपने मिशन भेज रहा है, तो “हमारी सहायता” का दुरूपयोग नहीं हो रहा? इनकी छोड़िये, एक पूर्व सांसद हार्वे प्रॉक्टर तो यहाँ तक कहते हैं की जब भारत इतना ही सक्षम है, तो इन्हे वैश्विक सहायता की क्या आवश्यकता? बात तो सही कही अंकल ने, जब मोटा भाई जैसे व्यक्ति हों, तो महिमामंडित भिखारियों से पैसे क्यों माँगना? इतनी ही तत्परता ये अपने देश के लिए दिखाते, तो यूके न जहाँ कहाँ होता!
Well done India on the success of your space programme.
And shame on UK politicians who keep unnecessarily giving India tens of millions of pounds in ‘foreign aid’. pic.twitter.com/1IlgghCsqi— Paul Golding (@GoldingBF) July 14, 2023
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इन अंग्रेजों के क्या कहने
पॉल गोल्डिंग अपने ईर्ष्या-भरे बयानों में अकेले नहीं थे। कई ब्रिटिश बुढ़ऊ, जो अभी भी भारत को थर्ड वर्ल्ड कंट्री मानने की धारणा में जी रहे थे, उन्हें अपनी गलत श्रेष्ठता की भावना ख़तरे में महसूस हुई। प्रिय ब्रितानियों, अब समय आ गया है कि आप अपनी औपनिवेशिक खुमारी को दूर करें और इस तथ्य को स्वीकार करें कि भारत अंतरिक्ष अन्वेषण में आगे बढ़ रहा है।
There are estimates that around £2.3 billion in UK aid went to India between 2016 and 2021.
If India can afford to send a rocket to land on the moon, I think all overseas aid to India should be redirected. pic.twitter.com/7PrNYzEGHc
— Harvey Proctor (@KHarveyProctor) July 14, 2023
अपनी मजाकिया वापसी के लिए हमेशा तैयार रहने वाले भारतीय नेटिज़न्स ने कृपालु ट्वीट का जवाब देने में कोई समय बर्बाद नहीं किया। उन्होंने ब्रिटिश राजनेता को ब्रिटेन द्वारा भारतीय धन की ऐतिहासिक लूट, खरबों डॉलर लूटने और अपार पीड़ा पहुँचाने की याद दिलाई।
Never ever mess with Indians on this app.
You'll regret learning the alphabet.
(These are the least offensive ones btw) pic.twitter.com/t1HHIrzK0n
— Yew's Finest (@FinestYew) July 15, 2023
अब जब बात “विदेशी सहायता” पे आई, तो भारतीयों ने इन अंग्रेजों को उनकी स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए कई ट्वीट किये. उन्हें भी पता था की अंग्रेज़ों को अपशब्द की कम, बादाम की आवश्यकता अधिक है!
आत्मनिर्भर और सशक्त भारत
शायद कुछ महानुभावों को पता नहीं है, परन्तु अपने समस्त अनुभवों के साथ भारत कई मायनों में आत्मनिर्भर हो रहा है, विशेषकर आपदा प्रबंधन के मामले में. चाहे मित्र हो या अवसरवादी, भारत ने बड़ी ही विनम्रता से सन्देश भेजा है : आपका आशीर्वाद पर्याप्त रहेगा, बाकी सहायता अपनी हम स्वयं भी कर सकते हैं. ऐसा नहीं है कि भारत को विदेशी सहायता से बैर है, बस अगर स्वीकार करेगा तो अपनी शर्तों पर.
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भारत की उपलब्धियों ने अंतर्राष्ट्रीय मान्यता और सम्मान अर्जित किया है। चंद्रयान-2 मिशन के दौरान चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, असफलताओं से सीखने और चंद्र अन्वेषण के अपने प्रयास में लगे रहने का देश का संकल्प सराहनीय है। चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण ने भारत को एक विशिष्ट लीग में शामिल करेगा, जो चंद्रमा पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने में सक्षम देशों के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन की श्रेणी में शामिल होने को उद्यत है।यूके और भारत के बीच की यह कॉस्मिक कॉमेडी दो अलग-अलग मानसिकताओं के सूक्ष्म जगत के रूप में कार्य करती है। जहां ब्रिटेन अभी भी अपने अतीत के पोखर में लोट रहा है, वहीं भारत प्रगति और आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण को अपनाता है।
जैसे-जैसे भारत नई सीमाओं पर विजय प्राप्त करने की योजना बना रहा है, ब्रिटेन की ईर्ष्या और गलत व्याख्यान केवल उसी की भद्द पिटवा रहे हैं। भारत का अटूट दृढ़ संकल्प, आत्मनिर्भरता और ईर्ष्यालु टिप्पणियों के सामने मजाकिया वापसी एक शानदार प्रदर्शन बनाती है। तो, प्रिय यूके, आराम से बैठें, और अनचाही सलाह देने से पहले चंद्रमा पर अपना खुद का अंतरिक्ष यान भेजने पर विचार करें। जैसे-जैसे भारत आसमान छू रहा है, इनकी कुंठा भी तीव्र होती जा रही है. पर हमें क्या? अगला लक्ष्य सेट करने में इसरो को प्रेरित करना है. क्या पता बृहस्पति पे अपना तिरंगा लहरा दें?
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