अरे फालतू तुम राज बाबू के पीछे पगलाये थे बचपन में, विलेन तो ये है! हमको नहीं पता था लॉर्ड विजय सलगांवकर का ये भी साइड बिजनेस था। रीमेक थी, और वो भी अनीस बाज़मी द्वारा डायरेक्ट की हुई, फिर भी अच्छे अच्छों की हवा टाइट कर दी।
इस लेख में कथा पे फोकस कीजिए। अरे सत्यप्रेम वाली नहीं, इस दीवानगी की कथा, जहां है लॉर्ड विजय सलगांवकर, युवा तरुण अहलावत और सरगम!
तो कथा प्रारंभ है लॉर्ड विजय सलगांवकर से, जो तरंग भारद्वाज के नाम से कहीं रहते हैं, एक गायिका सरगम के परम मित्र हैं, और जिनपर आरोप लगा है कि इन्होंने दिन दहाड़े, एक बहुत बड़े म्यूज़िक कॉन्ट्रैक्टर को काट डाला। मारा भी नहीं, सीधा काट डाला। परंतु सरगम के लिए वह उसका बचपन का मित्र, उसका गुरु, उसका सब कुछ है। गलत नहीं सुने थे, वो स्त्री है, कुछ भी कर सकती है।
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बैक टू मेन टॉपिक। राज, एके “काले कोट” [इसी नाम से संबोधित किये जाते हैं], समझ जाते हैं कि तरंग बाबू को मानसिक रोग है। चो चवीट, जब मेंटल हेल्थ का म भी लोगों को समझ में न जाए, तो उसपे फोकस करते हुए इनका मानवीय रूप सामने लाने का प्रयास किया। बेचारे राज बाबू, इनके साथ क्या खेला होने वाला था, इन्हे खुद भी नहीं पता होगा!
तो काले कोट, क्षमा करें राज, का स्याह सच से सामना होता है। समझो कि पूरा टाइम तुम मेहनत करो, घिसो पीटो, ताकि एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए आपको कुछ पुरस्कार मिले, और अंत में उसका चेक ही बाउन्स हो जाए! भाईसाब ने रगड़ा, घिसा, कई लोगों से पंगा मोल लिया, और तरंग बाबू को छुड़वा भी लिया, पर अंत में पता चला कि तरंग बाबू एकदम फिट एंड फाइन, और वे तो एक्टिंग कर रहे थे!
भाईसाब, अगर ई एक्टिंग है, तो क्रिश्चियन बेल डिसप्रेसन में चला जाएगा! अब राज बाबू का प्रथम लक्ष्य होता है सरगम को सच्चाई से अवगत कराना। परंतु वो स्त्री है, कुछ भी कर सकती है, और इसीलिए वह स्पष्ट शब्दों में राज बाबू को कहती है : दिमाग की दही मत करो! परंतु विधि के विधान को कौन समझ पाया, कुछ ही समय कुछ ऐसा होता है!
भाईसाब इतना गंदा तो डर में शाहरुख मियां ने भी नहीं डराया था, जितना इस बंधु ने डराया। काश, विमल के फेर में न फंसे होते, तो इनकी एक्टिंग पर अब तक थीसिस लिखी जा रही होती। बोलो जुबान केसरी!
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अब राज बाबू एक नई निंजा टेकनीक लॉन्च करते हैं, परंतु तरंग बाबू भी दस कदम आगे चलते हैं। घुस गया यूपैया बाहुबली का भूत, और उठा लिए लड़की को! परंतु वो स्त्री है, कुछ भी कर सकती है, भेज दी लोकेशन को, शुरू हो गया लफड़ा, और तरंग बाबू पानी में!
अरे न न, यहाँ हैपी एन्डिंग थोड़े न हुई, जैसे ही काले कोट और सरगम गुलू गुलू करने फ़ॉरेन लोकेसन पर गए, ए सुने!
21 वर्ष हो गए, परंतु कुछ प्रसनों का उत्तर नाहीं मिले! कैसे बचे तरंग बाबू? क्या तरंग ही विजय है, या राँझणा के कुंदन की भांति इनका कोई बिछड़ा हुआ भाई था ये? क्या इन्ही सब के कारण काले कोट, फिर से क्षमा प्रार्थी, राज गोयल ने तरुण अहलावत की आईडी पकड़ ली?
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