हाल ही में एक ताबड़तोड़ कार्रवाई में अल्पसंख्यकों को दिए जाने वाली छात्रवृत्ति में तगड़ा खुलासा हुआ है, जिसके कारण सीबीआई जांच के लिए केंद्र सरकार ने सिफारिश भी की है. अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा बिठाई गई आतंरिक जांच के अनुसार, इस घोटाले में 830 संस्थान शामिल हैं। पिछले पांच वर्षों में, इन संस्थानों ने बेशर्मी से 144.83 करोड़ रुपये की राशि का गबन किया है।
परन्तु बात तो यहाँ से केवल प्रारम्भ होती है.। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने खुलासा किया है कि आश्चर्यजनक रूप से जिन लोगों ने कथित तौर पर अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति से लाभ उठाया है, उनमें से 53 प्रतिशत वास्तव में फर्जी लाभार्थी हैं। यानी अल्पसंख्यक संस्थानों के नाम पर अधिकतम इकाइयां केवल सरकार से धन उगाही करने में जुटे हुए थे.
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर 10 जुलाई 2023 को इस मामले में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। जाँच के तहत 34 राज्यों के 100 जिलों में पूछताछ की गई। जाँच में 1572 संस्थानों में से 830 को धोखाधड़ी में शामिल पाया गया। ये संस्थान 34 में से 21 राज्यों के हैं, जबकि बाकी राज्यों में संस्थानों की जाँच अभी भी चल रही है।
फिलहाल, अधिकारियों ने इन 830 संस्थानों से जुड़े खातों को फ्रीज करने का आदेश दिया है। मंत्रालय का कहना है कि यह घोटाला 2007-08 से ही चल रहा है। अब तक करीब 22,000 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। बीते चार साल से सालाना 2,239 करोड़ रुपए की छात्रवृत्तियाँ दी गई हैं।
Italian ecosystem is sharing the minority scholarship scam as it's done by Modi govt but the truth is, most was done during UPA/Congress govt, Madarsas were involved & @smritiirani ji has recommended a CBI enquiry into it.
Share this info, don't let them mislead! pic.twitter.com/gqLkxCLsru
— Mr Sinha (Modi's family) (@MrSinha_) August 19, 2023
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फिलहाल के लिए उक्त संस्थानों के वित्तीय स्त्रोत फ्रीज़ कर दिए गए हैं. परन्तु कुछ और तथ्य भी निकलके सामने आये हैं, जो इस घोटाले की गंभीरता उजागर करते हैं:
जिन संस्थानों का अस्तित्व ही नहीं था या जिनका परिचालन नहीं हो रहा था, ऐसे फर्जी संस्थान जाँच के बाद राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल और शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई) दोनों पर पंजीकृत होने में कामयाब रहे। इसमें भी संलिप्त अधिकारी जाँच के दायरे में रहेंगे।
राज्य के अनुसार विवरण
- छत्तीसगढ़: जाँच में सभी 62 संस्थान फर्जी या निष्क्रिय पाए गए।
- राजस्थान: जाँच के दौरान 128 संस्थानों में से 99 फर्जी या गैर-परिचालन वाले थे। यानी 77 प्रतिशत संस्थान फर्जी हैं।
- असम: यहाँ के 68 प्रतिशत संस्थान फर्जी पाए गए।
- कर्नाटक: 64 फीसदी संस्थान फर्जी पाए गए।
- उत्तर प्रदेश: 44 फीसदी संस्थान फर्जी पाए गए।
- पश्चिम बंगाल: 39 फीसदी संस्थान फर्जी पाए गए।
इसके अतिरिक्त केरल के मलप्पुरम में एक बैंक की शाखा ने 66,000 छात्रवृत्तियाँ वितरित कीं। यह छात्रवृत्ति के लिए पंजीकृत संख्या से अधिक है। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में 5,000 पंजीकृत छात्रों वाले एक कॉलेज ने 7,000 छात्रवृत्ति दी गई। एक अभिभावक का मोबाइल नंबर 22 विद्यार्थी से जुड़ा था। ये सभी छात्र नौवीं कक्षा में थे। एक अन्य संस्थान में छात्रावास नहीं था, लेकिन प्रत्येक छात्र ने छात्रावास छात्रवृत्ति लिया। पंजाब में अल्पसंख्यक छात्रों को स्कूल में नामांकित नहीं होने के बावजूद छात्रवृत्ति मिलती थी। असम में एक बैंक शाखा में कथित तौर पर 66,000 लाभार्थी सूचीबद्ध थे। जब इन लाभार्थियों का सत्यापन करने के लिए पहुँची तो एक मदरसे में टीम को धमकी दी गई।
जैसे जैसे इस जांच से जुड़े तथ्य सामने आ रहे हैं, यह न केवल एक बड़ी वित्तीय विसंगति को उजागर करती है, अपितु अल्पसंख्यक कल्याण कार्यक्रम की अखंडता में एक चिंताजनक चूक भी उजागर करती है। इस तरह के शोषण को रोकने के लिए व्यापक बदलाव और कड़े उपायों की आवश्यकता स्पष्ट होती जा रही है।
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