विनेश फोगाट एशियाई खेलों से बाहर: भाग्य का फेर या फिर इज्जत बचाने की जुगत?

सबका हिसाब होना ही है!

खेल हो या नॉर्मल दुनिया, अप्रत्याशित मोड़ अस्वाभाविक नहीं होते। लेकिन जब हाल ही में एशियाई खेलों से विनेश फोगाट के बाहर होने की बात आती है, तो कइयों का चकित होना भी स्वाभाविक है। जिसने ट्रायल से मुक्ति हेतु कुश्ती जगत और भारत की प्रतिष्ठा को दांव पर लगाने से पूर्व एक बार भी नहीं सोचा हो, उसका अचानक से इंजरी के कारण प्रतियोगिता से हटना कुछ जमता नहीं।

विनेश एशियाई खेलों से बाहर!

हाल ही में एक अप्रत्याशित निर्णय में विनेश फोगाट ने एशियाई खेलों से पीछे हटने का निर्णय लिया है. तमाम हंगामे और उथल-पुथल के बाद अब उनका दावा है कि ट्रेनिंग के दौरान उनके घुटने में चोट लग गई है। उनके अनुसार, सर्जरी ही एकमात्र व्यवहार्य विकल्प है।

विनेश के X [पूर्व में ट्विटर] पर पोस्ट के अनुसार, “कुछ दिन पहले, प्रशिक्षण के दौरान मेरे घुटने में चोट लग गई। स्कैन करने के बाद, डॉक्टरों ने कहा कि सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है मेरे लिए। 17 अगस्त को मुंबई में मेरी सर्जरी होगी”.

कुछ तो गड़बड़ है!

कहने को अब विनेश के स्थान पर नेशनल ट्रायल में विजयी अंतिम पंघाल भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी, परन्तु क्या ये सब अजीब नहीं लग रहा? अब तनिक समय के चक्र को उस समय की ओर घुमाते हैं, जब ये सारा बवाल प्रारम्भ हुआ था. कहने को विनेश फोगाट एन्ड कम्पनी की समस्या भारतीय कुश्ती महासंघ के तत्कालीन अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह से थी, जिन्हे यौन सम्बन्धी आरोपों में न्यायिक मुक़दमे का सामना करना पड़ रहा है. पर धीरे धीरे प्रशासन एवं जनता दोनों को ही समझ में आने लगा था कि इनका वास्तविक उद्देश्य न्याय कम, और अनावश्यक सुविधाएं अधिक है!

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नहीं समझे? असल में पहलवानों के प्रदर्शन के कुछ ही दिनों बाद एड हॉक समिति ने ये घोषणा की कि बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक को एशियाई खेलों के लिए ट्रायल में भाग नहीं लेना पड़ेगा. परन्तु इस बात पर अन्य पहलवानों ने काफी विरोध जताया, क्योंकि उनके अनुसार ये उनके वर्षों के परिश्रम पर पानी फेरने समान हुआ.

इसी के विरुद्ध अंतिम पंघाल और विशाल कालीरमन ने उच्च न्यायालय का द्वार खटखटाया. प्रारम्भ में इन्हे सफलता नहीं मिली, परन्तु ईश्वर के भी अपने तरीके होते हैं. पहले बढ़ते प्रदर्शन को देखते हुए साक्षी मलिक ने अपने आप को ट्रायल के लिए उपलब्ध बताया, और फिर अब विनेश फोगाट ने एशियाई खेलों से अपना नाम पीछे ले लिया। ये सब केवल संयोग तो नहीं लगता.

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चोट या छलावा?

अब प्रश्न तो यही उठता है : ये चोट है या छलावा? कहीं ऐसा तो नहीं कि चोट के बहाने ये NADA की कार्रवाई से बचना चाहती हो? ऐसा इसलिए क्योंकि एक माह पूर्व डोपिंग सम्बन्धी आरोपों में नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी ने इनसे संपर्क किया, जिसका न तो इन्होने कोई उत्तर दिया, और न ही यह प्रशासन के साथ इस विषय पर कोई सहयोग करने को तत्पर है!

पर जो भी हो, एक बात तो स्पष्ट है, विनेश फोगाट की छवि पर अब वो बट्टा लग चुका है, जिसे धोते धोते इन्हे वर्षों लग जायेंगे. कभी इन्हे ओलम्पिक में स्वर्ण पदक का दावेदार माना जाता था, परन्तु अपनी हरकतों के पीछे ये जनता के कोपभाजन का शिकार हो चुकी है. अभी की हरकतों देखकर इस बात की गारंटी है कि सुधार इनके शब्दकोष में है ही नहीं!

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