हाल ही में, भारत ने एक अप्रत्याशित बयान में कनाडा की तुलना पाकिस्तान से की, जहाँ कनाडा को ‘आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह’ करार दिया गया। यह गंभीर आरोप हवा में नहीं लगाया गया, बल्कि ऐसी घटनाओं की एक श्रृंखला पर आधारित है, जो चरमपंथियों और असामाजिक एजेंडे वाले व्यक्तियों को आश्रय देने के लिए कनाडा की प्रवृत्ति को स्पष्ट करता है। आज हम जानेंगे कि क्यों कनाडा आतंकियों के लिए एक परफेक्ट हॉलिडे डेस्टिनेशन समान है!
प्रारम्भ करते हैं अल्जीरियाई मूल के आतंकवादी अहमद रेसम का मामला है। 1994 में, वह झूठे पासपोर्ट का उपयोग करके कनाडा में प्रवेश करने में सफल रहा और बाद में शरणार्थी स्थिति का दावा किया। चौंकाने वाली बात यह है कि रेसम ने कई अपराध किए, कल्याणकारी लाभ उठाए और कनाडाई पासपोर्ट के साथ झूठी कनाडाई पहचान बनाकर कुशलतापूर्वक निर्वासन से बच गया।
उसका सबसे काला कृत्य 2000 सहस्राब्दी हमले की नाकाम साजिश के हिस्से के रूप में, नए साल की पूर्व संध्या 1999 पर लॉस एंजिल्स अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (LAX) पर बमबारी करने की योजना बनाना था।
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परन्तु यहीं से असल कथा प्रारम्भ होती है। कनाडा के वर्तमान प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो पर तलविंदर सिंह परमार जैसे खतरनाक अपराधियों को सक्रिय रूप से बचाने का आरोप है। परमार ने 1985 में एयर इंडिया फ्लाइट 182 पर बमबारी की साजिश रची, एक ऐसा कृत्य जिसमें भारतीयों और कनाडाई दोनों की जान चली गई। यह और बात है कि 1992 में पंजाब पुलिस के हाथों परमार का अंत हुआ।
दिलचस्प बात यह है कि कनाडा विवादास्पद पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों के लिए एक आश्रय स्थल रहा है, जिसमें इराकी ‘सुपरगन’ कार्यक्रम में शामिल इज़राइल के मुख्य प्रतिद्वंद्वी जेरार्ड बुल भी शामिल हैं। बुल पूर्ण रूप से कनाडाई नागरिक था और कथित तौर पर मोसाद के अज्ञात हमलावरों के हाथों ब्रुसेल्स, बेल्जियम में उसे मारा गया।
आतंकवादियों, हत्यारों और अन्य अपराधियों सहित अपने घरेलू देशों में न्याय का सामना कर रहे व्यक्तियों के लिए कनाडा एक सुरक्षित आश्रय स्थल प्रतीत होता है। ऐसा ही एक ज्वलंत उदाहरण नूर चौधरी है, जो बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान का हत्यारा है। बांग्लादेश में, न्याय बेसब्री से उसका इंतजार कर रहा है, क्योंकि उस पर इस जघन्य अपराध से संबंधित कई आरोप हैं। हालाँकि, कनाडा का एक कानून व्यक्तियों को उन देशों में निर्वासित करने से रोकता है जहाँ उन्हें संभावित रूप से मृत्युदंड का सामना करना पड़ सकता है।
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ट्रूडो सरकार चौधरी को बांग्लादेश में प्रस्तावित कार्रवाई से लगातार बचा रही है। यदि प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो इन मुद्दों को संबोधित नहीं करते हैं और उन्हें सुधारने के लिए ठोस कदम नहीं उठाते हैं, तो कनाडा के लिए कूटनीतिक और आर्थिक तौर पर आगे की राह अत्यंत कठिन होगी।
हाल की घटनाओं ने आतंकवादियों, हत्यारों और अपराधियों सहित संदिग्ध पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को आश्रय प्रदान करने की कनाडा ने चिंताजनक छवि प्रस्तुत की है। ये न केवल कनाडा की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को धूमिल करती हैं बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण खतरा पैदा करती हैं। ऐसे में ये आवश्यक है कि कनाडा को अपने प्रथिम्क्ताओं पर पुनर्विचार करना चाहिए, अन्यथा स्थिति बद से बदतर हो जाएगी!
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