धन्यवाद, जस्टिन ट्रूडो, भारत आपके योगदान को कभी नहीं भूलेगा!

हमें क्षमा करना पाकिस्तान!

“भारत अत्याचारी देश है! भारत को किये का परिणाम भुगतना होगा!”

“हमारे घर में हमारे ही नागरिक की हत्या करने का दुस्साहस कैसे किया भारत ने? ये अस्वीकार्य है!”

शांत हो जाइये, ये पाकिस्तान के “भारत विलाप” का लेटेस्ट संस्करण नहीं है! इस बार मोर्चा संभाला हमारे कनेडा के शेरलॉक होम्स, जस्टिन ट्रूडो ने, जो बेचारे खालिस्तानियों को उनका न्याय दिखाने चले हैं! इनके अनुसार, दुष्ट भारत ने निर्दोष, निरीह खालिस्तानियों को डराने के लिए अपने कुख्यात एक्सटर्मिनेटर्स की फ़ौज भेजी, जिसने हरदीप सिंह निज्जर जैसे ‘भले आदमी’ को मृत्युलोक पहुंचा दिया गया!

किसने कहा हरदीप सिंह निज्जर खालिस्तानी है? ट्रूडो अंकल ने कहा है तो सही ही होगा! उनके शेरलॉक और हरक्यूल से भी तेज़ दिमाग पर संदेह जताने की हिम्मत भी कैसे की आपने?

स्वागत है आप सभी का, और आज हम नमन करते हैं मिस्टर जस्टिन ट्रूडो और उनके दूरदर्शी विचारों को, जो कनेडा की सुरक्षा के लिए इतने तत्पर है. निर्दोष पिटे तो पिटे, जनता दाने दाने को तरसे चलेगा, पर सड्डे खालिस्तानी पाइयों ते कुछ नहीं होना चाहिदा!

भूराजनीति का ‘तीस मार खां’!

कहीं सुने थे: “विपत्ति में वीर निकले, वीर बनाये सुखी संसार, सुखी संसार से निकले निर्लज्ज, निर्लज्ज फिर मचाये हाहाकार!” जस्टिन मियां के कारनामों को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है की कैनेडा, क्षमा करें, कनैड्डा अब चौथे स्टेज तक पहुँच चुका है, जहाँ से इसकी वापसी लगभग असंभव है!

अपने संसद में कनेडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दावा किया कि हरदीप सिंह निज्जर के हत्या के सम्बन्ध में बड़ी खोज हुई है। हमारे कनेडा के शेरलॉक होम्स ने तुरंत पता लगा लिया कि हत्यारा कोई और नहीं, अपने भारत के जासूस थे! कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत पर उंगली उठाई।

ये तो कुछ भी नहीं है। विदेश मंत्री मेलेनी जोली ने दावा किया कि इसके लिए आरोपित भारतीय राजनयिक को कनेडा ने बाहर का रास्ता दिखा दिया! कहना तो नहीं चाहिए, परन्तु आज ह्रदय से पाकिस्तान के लिए सम्मान बढ़ गया है. हाँ, कुटिल हैं, निर्लज्ज हैं, पर कभी इतना चिन्दीपना तो इन्होने भी नहीं किया!

परन्तु सबतो पहला, ए हरदीप सिंह निज्जर है किस चिड़िया दा नाम? ये खालिस्तान के सपने बहुत देखते थे, और इसी के वास्ते कनेडा में इन्होने अपनी दूकान भी सजा रखी थी! इनपे भारतीयों की नजर अवश्य थी, परन्तु जून में ब्रिटिश कोलंबिया में एक सिख गुरद्वारे के सामने ही एक आपसी झड़प में इन्हे मृत्युलोक पहुंचा दिया।

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अब क्यों हुआ, कैसे हुआ, ये तो जांच का विषय है, परन्तु ट्रूडो ने कह दिया तो बस कह दिया! ट्रूडो ने दावा किया की कनेडा के इंटेलिजेंस एजेंसियां दोषियों को पकड़ने के लिए प्रयासरत हैं! अच्छा जी, हमें नहीं पता था कि गुरपतवंत सिंह पन्नू एन्ड कम्पनी के अलावा भी कैनेडा में कोई इंटेलिजेंस सेवा प्रदान करता है! इतना ही नहीं, ट्रूडो अंकल ने ये भी दावा किया कि इस विषय पर ज़ी20  में पीएम मोदी से बातचीत भी हुई थी, और उन्होंने चेताया था कि भारतीय सरकार की किसी भी प्रकार से इस विषय में भूमिका अस्वीकार्य होगी! कहीं इसीलिए तो इनसे सबने कन्नी नहीं काटी थी?

ऐसा लगता है कि जस्टिन ट्रूडो वैश्विक राजनीति के “तीस मार खान” हैं, जो बातें लम्बी चौड़ी करेंगे, पर काम उसका आधा भी नहीं होगा! भारत जैसे देश पर इस तरह का आरोप बिना किसी ठोस जांच के लाना मानो ये सिद्ध करना है कि चन्द्रमा सूजी का बना है! ये सुनने और बहस के लिए बहुत अच्छा है, परन्तु यथार्थ के लिए ये लाभकारी / प्रैक्टिकल नहीं है!

ट्रूडो परिवार – 1980 से उग्रवादियों की विशेष सेवा में 

देखिये मित्रों, ऑन ए सीरियस नोट,  जस्टिन ट्रूडो की नाटकीयता कुछ लोगों का ध्यान खींच सकती है और मनोरंजक सुर्खियाँ बन सकती है, लेकिन वे वैश्विक मंच पर कनाडा की विश्वसनीयता में सेंध लगाने का जोखिम भी उठाते हैं।परन्तु हम भूल जाते हैं कि ये जस्टिन ट्रूडो हैं, जिनके लिए शिष्टाचार, प्रशासनिक कार्यकुशलता बहुत ही तुच्छ है, और जिनके लिए कैनेडा की छवि कोई मायने नहीं रखती।

परन्तु असामाजिक तत्वों एवं उग्रवादियों को शरण देना ट्रूडो के लिए कोई नई बात नहीं। ये उनके परिवार का पुश्तैनी व्यापार रहा है! उदाहरण के लिए उनके पिता पियरे ट्रूडो को लीजिए। 1982 में, जब इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने खालिस्तानी आतंकवादी तलविंदर सिंह परमार के प्रत्यर्पण की मांग की, तो पियरे ट्रूडो की सरकार ने दरवाजा बंद कर दिया।

कनाडाई पत्रकार टेरी मिलेवस्की की किताब, ‘ब्लड फॉर ब्लड’ के एक अंश के अनुसार, “कनाडा भले ही पाकिस्तान की तरह खालिस्तानी आतंकवादियों के लिए स्प्रिंगबोर्ड नहीं रहा हो, लेकिन इसने उन्हें एक दोस्ताना कानूनी और राजनीतिक माहौल प्रदान किया”। भारत इस आरामदायक व्यवस्था के बारे में 1982 से ही शिकायत कर रहा था जब प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने प्रधान मंत्री पियरे ट्रूडो के साथ थोड़ी बातचीत की थी।

परन्तु तलविंदर को न सौंपने के पीछे तत्कालीन कनेडा के प्रशासन का तर्क क्या था? तनिक ध्यान से सुनियेगा : उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए था क्योंकि भारत इंग्लैंड की रानी को राष्ट्रमंडल के प्रमुख के रूप में मानता था, न कि राज्य के प्रमुख के रूप में। हां, आपने ठीक सुना, और हमने सोचा कि गांधी परिवार जैसे लोग  केवल भारत का दुर्भाग्य है! यह लगभग मानसिक दिवालियापन में एक मास्टरक्लास की तरह है, और जस्टिन ट्रूडो के कारनामों से इतना तो स्पष्ट है कि ये दिवालियापन उन्हें विरासत में मिला है!

अब कनेडा भी ट्रूडो के साथ नहीं!

अब भारत ने आवश्यकतानुसार कार्रवाई जो की सो की, परन्तु ट्रूडो से अकेले भारत ही त्रस्त नहीं है। कुछ वोटों के लिए कनाडा के सम्मान को दांव पर लगाने वाले इस महापाप से कनाडा के मूल नागरिक भी प्रसन्न नहीं है।

पत्रकार डेनियल बोर्डमैन के अनुसार, ट्रूडो ने अविश्वसनीयता और निर्लज्जता की सभी सीमाएं पार कर दी है। एक्स [पूर्व में ट्विटर] पर उनके पोस्ट के अनुसार, “एक आंतरिक रिपोर्ट के आधार पर एक भारतीय राजनयिक को निष्कासित करना, जिसमें ‘संभावना’ है कि हरदीप सिंह निज्जर की मौत में भारत सरकार ‘शामिल थी’, सरासर पागलपन है। इसे पागलपन नहीं तो और क्या कहें?”

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एक अन्य अकाउंट के अनुसार, ट्रूडो ये सब इसलिए कर रहे हैं ताकि उनके कुप्रबंधन की ओर लोगों का ध्यान कम जाए। अपने व्यंग्यात्मक लहजे में  (@Trudeaus_Ego) नामक इस अकाउंट ने पोस्ट किया, “देखो, हमारे आंकड़े वैसे ही रसातल में है, तो सत्ता में बने रहने के लिए मुझे [ट्रूडो] एक नई चाल चलनी होगी। इसीलिए हम भारत के साथ अपने सम्बन्ध भी बिगाड़ने को तैयार है, क्योंकि जब लोग डरेंगे, तभी तो मेरे लिए [ट्रूडो को] वोट करेंगे न!”

सीधे शब्दों में कहें तो, बिना किसी विश्वसनीय सबूत के भारत पर हरदीप सिंह निज्जर की ‘हत्या’ करने का आरोप लगाकर जस्टिन ट्रूडो ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है। उनकी लोकप्रियता सीसे के गुब्बारे से भी तेजी से नीचे गिरने और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में उनकी साख के निचले स्तर पर पहुंचने के साथ, ट्रूडो अपने राजनीतिक पतन की ओर रॉकेट स्पीड से अग्रसर है। परन्तु एक बात के लिए इनको दाद देनी होगी, ऐसी निर्लज्जता हर किसी के बस की बात नहीं!  ये आपने आप में टैलेंट है!

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