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क्यों IKEAs एवं Urban Ladders आसानी से नहीं ले पाएंगे आपके फ्रेंडली बढ़ई का स्थान!

क्वालिटी सर्विस भी कोई वस्तु होती है!

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
18 September 2023
in व्यवसाय
क्यों IKEAs एवं Urban Ladders आसानी से नहीं ले पाएंगे आपके फ्रेंडली बढ़ई का स्थान!
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IKEA, अर्बन लैडर, पेपरफ्राई- ये नाम फर्नीचर जगत के स्टारबक्स और केएफसी के समान है। हम सभी ने इनके बारे में कभी न कभी सुना है, और संभावना है कि हममें से कई लोगों के घरों में इनके फर्नीचर का कोई अंश तो अवश्य ही होगा। लेकिन यह हमेशा ऐसा नहीं था। 2015 से इन्हे भारतीय परिदृश्य में शायद ही कोई जानता होगा। आज शहरी परिदृश्य में ही सही, परन्तु इनका प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है।

फिर भी, इनके चमकीले कैटलॉग और सुलभ ऑनलाइन शॉपिंग के बीच, एक प्रश्न पूछना बनता है: क्या ये फर्नीचर दिग्गज हमारे स्थानीय बढ़ई के समान प्रभावी और प्रभावशाली हैं? क्या आपने कभी सोचा है कि चमक और दमक के बावजूद, IKEA और PepperFry जैसी कंपनियां वास्तव में इन्हे आउट ऑफ़ बिजनेस क्यों नहीं कर सकी?

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तो स्वागत है आप सबका, और आज हम पता लगाएंगे कि क्यों रिटेल फर्नीचर दिग्गजों के वैश्विक आकर्षण के बावजूद, आपका स्थानीय मगन अभी भी अपने “बिजनेस” (बिजनेस, अनजान लोगों के लिए) के साथ फल-फूल रहा है। तो, अपनी पसंदीदा कुर्सी लें, और आइए जाने अपने स्थानीय बढ़ई के इस अनोखे प्रभाव के बारे में!

क्यों PepperFry और IKEA है भारत के प्रति आकृष्ट?

भारत, वैश्विक निवेश का केंद्र होने के अलावा, वह स्थान भी है जहां फर्नीचर उद्योग पहले की तरह फल-फूल रहा है। 2022 में, भारतीय फर्नीचर बाजार का मूल्य 20 अरब डॉलर का था। स्टैनली लाइफस्टाइल लिमिटेड के स्वामी  सुनील सुरेश के अनुसार, “फर्नीचर बाजार का लगभग 60-70 प्रतिशत हिस्सा अभी भी असंगठित रूप में दिख रहा है, लेकिन यह संगठित क्षेत्र की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।”

तो फर्नीचर क्षेत्र के लिए भारत इतना आकर्षक बाज़ार क्यों है? सर्वप्रथम, ये भारत है, जहाँ विविधता एवं अवसरों की कोई कमी नहीं है! विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में फर्नीचर और गृह सज्जा उद्योग का आकार 20 अरब डॉलर से 30 अरब डॉलर तक हो सकता है, और इसमें से अधिकतम मार्केट असंगठित यानी unorganized है। हाँ, आपने सही सुना। ब्रांडेड फर्नीचर का मार्किट साइज़ भारत के कुल फर्नीचर उद्योग का 30 प्रतिशत ही है!

और पढ़ें: कथा “वाघ बकरी” ब्रांड की उत्पत्ति एवं इसकी अद्वितीय विरासत की

परन्तु बात इतने तक सीमित नहीं है! गोदरेज इंटेरियो, होम टाउन और होम सेंटर जैसे बड़े खिलाड़ी पेपरफ्राई और अर्बन लैडर जैसे ऑनलाइन दिग्गजों के साथ, पूरे बाजार हिस्सेदारी का 5 प्रतिशत से भी कम हिस्सा बनाते हैं। तो स्कैम 2003 की भाषा में, २० से ३० बिलियन डॉलर मार्केट रूपी हलवे के ५ प्रतिशत से भी कम मार्केट रुपी चम्मच के लिए इतनी प्रतिस्पर्धा हो रही है!

प्रबंधन परामर्श फर्म टेक्नोपैक एडवाइजर्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अंकुर बिसेन के अनुसार, यह परिवर्तन वास्तविक डील है – भारतीय फर्नीचर बाजार की अराजकता को व्यवस्थित करने का एक रोमांचक मौका। इसलिए, यदि आप कुर्सियों, मेजों और आरामदायक सभी चीजों के व्यवसाय में हैं, तो भारत आपके लिए जैकपॉट से कम नहीं!

क्यों IKEA और Urban Ladder नहीं ले पाए अपने प्यारे मगनभाई की जगह?

इसमें कोई दो राय नहीं कि फर्नीचर जगत में IKEA और अर्बन लैडर ने अपना विशिष्ट स्थान बनाया है, और  स्टाइलिश एवं प्रभावी फर्नीचर विकल्पों की एक विस्तृत श्रृंखला पेश करती हैं। उन्होंने भारत में लोकप्रियता हासिल की है और कई लाभ प्रदान करते हैं, परन्तु फिर भी वे अधिकांश भारतीय घरों में स्थानीय बढ़ई की जगह पूरी तरह से नहीं ले सकते हैं। इसके कुछ प्रमुख कारण ये है:

  1. Customization and Personalization:

भारतीय घरों में अक्सर अद्वितीय डिज़ाइन आवश्यकताएं और जगह की कमी होती है जिसके लिए अनुकूलित फर्नीचर समाधान की आवश्यकता होती है। स्थानीय बढ़ई विशिष्ट आयामों के अनुरूप फर्नीचर तैयार कर सकते हैं, मौजूदा सजावट से मेल खा सकते हैं, या जटिल डिजाइन शामिल कर सकते हैं। IKEA और अर्बन लैडर आमतौर पर प्री डिजाइन्ड, स्टैंडर्डाइज़्ड फ़र्निचर की पेशकश करते हैं जो इन विशिष्ट आवश्यकताओं को  सदैव पूरा नहीं कर सकते हैं।

  1. Traditional and Ethnic Designs:

भारतीय घरों में अक्सर पारंपरिक और एथनिक फर्नीचर डिज़ाइन होते हैं जो IKEA और अर्बन लैडर जैसे वैश्विक फर्नीचर खुदरा विक्रेताओं के कैटलॉग में आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं। बढ़ईगीरी कारीगर फर्नीचर निर्माण की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए, इन पारंपरिक शैलियों को फिर से बना सकते हैं।

  1. Repair and Maintenance:

बढ़ईगीरी कारीगर न केवल फर्नीचर के निर्माण के लिए बल्कि उसके रखरखाव और मरम्मत के लिए भी जिम्मेदार हैं। वे मौजूदा फर्नीचर के टूटने या खराब होने पर उसे ठीक करके उसका जीवनकाल बढ़ा सकते हैं। IKEA और अर्बन लैडर वारंटी की पेशकश कर सकते हैं, लेकिन एक कॉल पर स्थानीय बढ़ई रखने की सुविधा अद्वितीय है।

  1. Local Sourcing and Sustainability:

कई भारतीय परिवार स्थानीय रूप से प्राप्त सामग्रियों और टिकाऊ प्रथाओं को महत्व देते हैं। पड़ोस के बढ़ई अक्सर इन मूल्यों के अनुरूप स्थानीय रूप से उपलब्ध लकड़ी और पर्यावरण-अनुकूल फिनिश का उपयोग करते हैं। IKEA जैसे वैश्विक खुदरा विक्रेता इन पहलुओं को उतनी दृढ़ता से प्राथमिकता नहीं दे सकते हैं।

  1. Trust and Personal Relationships:

भारतीय परिवारों का अक्सर अपने स्थानीय बढ़ई के साथ दीर्घकालिक संबंध होता है, जो विश्वास और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं की समझ पर आधारित होता है। ये रिश्ते सिर्फ फर्नीचर खरीदने से कहीं आगे तक जाते हैं; बढ़ई कई अवसरों पर घर का हिस्सा बन जाते हैं और लकड़ी की विभिन्न जरूरतों के लिए सलाह और समाधान पेश करते हैं। क्या आप IKEA या PepperFry से भी ऐसी आशा कर सकते हैं?

और पढ़ें: 10 भारतीय उद्यमी जिनका पतन उनके उत्थान जितना ही तीव्र था

  1. Cost and Affordability:

जबकि IKEA और अर्बन लैडर प्रतिस्पर्धी कीमतों की पेशकश करते हैं, स्थानीय बढ़ई कभी-कभी अधिक लागत प्रभावी समाधान प्रदान कर सकते हैं, खासकर बजट conscious परिवारों के लिए। मान लीजिये आपको एक लुभावना सोफा चाहिए । ये आमतौर पर 30000 से 40000 रुपये के बीच IKEA / Pepperfry के स्टोर्स पर उपलब्ध होगा, और यदि घर लाना होगा, तो डिलीवरी चार्ज की मगजमारी सो अलग । इसकी तुलना में  यदि स्थानीय बढ़ई को सामग्री और रणनीति की अच्छी समझ है, तो आप वैसा ही सोफा लगभग आधी कीमत में प्राप्त कर सकते हैं। बढ़ईगीरी कारीगरों के पास अक्सर ग्राहक के बजट के भीतर काम करने और लागत बचाने के लिए रचनात्मक तरीके खोजने की सुविधा होती है।

  1. Accessibility and Convenience:

सभी भारतीय शहरों में IKEA या अर्बन लैडर शोरूम तक आसान पहुंच यानी एक्सेसिबिलिटी नहीं है। स्थानीय बढ़ई आमतौर पर अधिक सुलभ होते हैं, खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में, जिससे निवासियों के लिए लंबी दूरी की यात्रा किए बिना अपनी फर्नीचर जरूरतों को पूरा करना सुविधाजनक हो जाता है।

ऐसे तो IKEA और अर्बन लैडर ने आधुनिक, रेडीमेड विकल्पों की पेशकश करके भारतीय फर्नीचर बाजार को प्रभावित किया है, परन्तु वह अपने लोकल बढ़ई को उसके मार्ग से डिगा नहीं पाया है, जो अभी भी अधिकांश भारतीय घरों में पर्सनलाइज्ड, सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त और टिकाऊ समाधान प्रदान करने की क्षमता के कारण जनमानस में अपना एक विशेष स्थान रखते हैं।  ये गुण वैश्विक खुदरा विक्रेताओं के लिए कई भारतीय उपभोक्ताओं के दिलों और घरों में उन्हें पूरी तरह से प्रतिस्थापित करना चुनौतीपूर्ण बनाते हैं।

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