नमस्कार, बड़े दुःख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि 23 अक्टूबर 2023 को एक विशिष्ट हस्ती का इंतकाल हो गया। इसने मनोरंजन से लेकर क्रिकेट की नई परिभाषा गढ़ी, इसने संसार को बताया कि विपक्षी टीम को डराते और क्रिकेट से धनोपार्जन कैसे करते हैं! पाटा पिचों पर इनके तूफानी गेंदे और बात बात पर कैच छोड़ने का इनका कौशल गजब ही था।
परन्तु अफ़सोस, पाकिस्तानी क्रिकेट नामक इस शख्स ने 23 अक्टूबर को अपनी आखिरी सांसें ली। इब्राहिम जादरान और हस्मतुल्लाह शाहिदी के नेतृत्व में अफगानिस्तान के बाशिंदों ने पाकिस्तानियों को हराया नहीं, कूट दिया! आइये, इस दुःख की घड़ी में इनके लिए दो मिंट का मौन धारण करते हैं!
अच्छा, बहुत हो गई ओवरएक्टिंग!
तो आज हमारी चर्चा होगी पाकिस्तानी क्रिकेट के देहावसान पर, और कैसे ये टीम दूसरों के लिए दुःस्वप्न से एक वॉकिंग टॉकिंग मीम में परिवर्तित हो गया!
क्या पाकिस्तान सच में कभी ताकतवर टीम थी?
अब चलिए समय चक्र को थोड़ा पीछे घुमाते हैं, और स्मरण करते हैं वो समय, जब पाकिस्तानी किरकिट की तूती समस्त संसार में बोलती थी! कम से कम कागज़ पर तो यही अंकित है!
जो 70 और 80 के दशक में पले बढे हैं, वो आपको बड़े चाव से बताएँगे कि कैसे इमरान खान, जावेद मियांदाद, वकार यूनिस जैसों के कारण भारत छोड़िये, अन्य क्रिकेट टीम भी इनसे भिड़ने से पूर्व दस बार सोचते थे! परन्तु एक वो समय था, और एक आज का समय, और दोनों में आकाश पाताल का अंतर् स्पष्ट है! क्या मतलब फिक्सिंग भी इसका एक प्रमुख कारण था?
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चलिए, उनकी छोड़िये, ये तो स्मरण ही होगा कि कैसे कुछ पूर्व बाबर आज़म से लेकर शाहीन आफरीदी, मोहम्मद रिज़वान के खेल कौशल को लेकर कसीदे पढ़े जाते थे, और ये दिखाया जाता था कि ये न हो, तो क्रिकेट ही न चले!
लेकिन अब, जब आप उन्हें खेलते हुए देखते हैं, तो आप आश्चर्य किए बिना नहीं रह पाते: क्या वे कभी इतने अच्छे थे, या वे उतने ही अनाड़ी हो गए हैं जितने आज दिखते हैं?
फिर आते हैं अफगानिस्तान जैसी टीम, जो अपने शैली में बताती है कि क्रिकेट में कैसे कुछ भी, कभी भी चिरस्थायी नहीं होता! ये भी ध्यान रखने योग्य है कि अफगानिस्तान क्रिकेट शिरोमणि नहीं, और न ही इन्होने ऑस्ट्रेलिया की भांति चार चार विश्व कप जीते हैं! फिर भी जिस प्रकार से वे जीते, वो भी ८ विकेट के मार्जिन से, उसे देखकर इतना तो स्पष्ट है कि Minnows अफगानिस्तान पे तो बिलकुल नहीं सूट करता! पाकिस्तान को देखकर आपको लगेगा कि रिकी पोंटिंग की ऑस्ट्रेलिया स्कॉटलैंड जैसी टीम के साथ प्रदर्शनी मैच खेल रही थी। ये तो पैमाने है पाकिस्तानी क्रिकेट के अब!
और ये कोई प्रथम अवसर नहीं है! अभी कुछ महीने पहले, हांग्झू एशियाई खेलों में एक अलग अफगान टीम ने पाकिस्तान को मात्र 115 रनों पर समेट कर सेमीफाइनल में 4 विकेट से जीत गए! फिर फाइनल में नेट रन रेट के आधार पर भारत से हार गए और वॉशआउट के कारण रजत पदक से संतोष करना पड़ा। इसके अतिरिक्त इसी विश्व कप में उन्होंने गत चैंपियन इंग्लैंड को 69 रनों से कैसे हरा दिया। अब ये नौसिखियों का काम तो है नहीं!
“अंगूर खट्टे हैं” को मिली नई परिभाषा!
किसी समय एक सज्जन पुरुष ने ऑनलाइन पोस्ट किया था, “भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच हाल के दिनों में सबसे ज्यादा ओवर सेलेब्रेटेड क्रिकेट मैच रहे हैं”, अर्थात इन्हे आवश्यकता से अधिक भाव दिया गया है! अब समझ में आता है कि वे महोदय कितने दूरदर्शी थे! जो ज़िम्बाब्वे से जीतने में हांफ जाए, वो काहे की नंबर 1 टीम?
India Pakistan cricket matches have been the most over-celebrated underwhelming cricket matches in the recent past.
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) October 14, 2023
परन्तु जो अपनी गलतियों से सीख जाए, वो पाकिस्तान कहाँ? लगभग दो सप्ताह हो गए हैं जब भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी, और फिर भी, पाकिस्तान का आरोप-प्रत्यारोप जोरों पर है। “अंगूर खट्टे हैं” को इन्होने अलग ही परिभाषा दे दी है! यहां तक कि उन्होंने अहमदाबाद में भारतीय दर्शकों के बारे में शिकायत करते हुए आईसीसी तक का द्वार खटखटाया, केवल इसलिए क्योंकि अमदावाद के दर्शकों ने अपनी टीम का आक्रामक समर्थन किया था।
परन्तु इनको क्या दोष देना, जब इनके स्वयं के क्रिकेटर ही बहानेबाज़ी में गोल्ड मेडल सहित पीएचडी किये हों! उदाहरण के लिए, इमाम उल हक के आहार संबंधी आपदा बहाने को लें। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान को भारतीय परिस्थितियों में संघर्ष करना पड़ा क्योंकि उन्हें पर्याप्त कार्बोहाइड्रेट नहीं मिल रहे थे और उन्हें अतिरिक्त प्रोटीन पर जीवित रहना पड़ा। हां, बिलकुल ठीक सुना आपने।
इमाम के अनुसार, “हो सकता है कि हम अधिक प्रोटीन खाना चाहते हों और उतना अधिक कार्ब्स नहीं, लेकिन बात सिर्फ इतनी है कि ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके बारे में हम बात करना चाहते हैं। यह सिर्फ इतना है कि अगर हम छक्का नहीं मार रहे हैं या चार नहीं मार रहे हैं तो हमें वास्तव में इसका एहसास नहीं होता है।” , बात सिर्फ इतनी है कि हम टीम के लिए क्या कर रहे हैं।” तो क्या इसीलिए जनाब 17 रन बनाकर आउट हो गए? क्रिकेट की दुनिया में कुछ भी संभव है, है ना?
इस तर्क से अगला बहाना ये होगा कि सीमेंट वाली पिच नहीं मिली, इसलिए बाबर मियां अपना जलवा नहीं दिखा पाए, या नुसरत फ़तेह अली खान के गीत नहीं बजे, इसलिए पाकिस्तानी हतोत्साहित हो गए!
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एक मिनट, ये तो सच में हुआ है! इस हास्यास्पद शो के सुपरस्टार न इमाम मियां हैं, न ही वह पार्ट टाइम मौलवी मोहम्मद रिज़वान, जिन्हें अपनी पिछली जीतों को गाज़ा पट्टी के असामाजिक तत्वों को समर्पित किया था।
असल खिलाडी निकले तो इनके कोच मिकी आर्थर, जो क्रिकेट जगत में हंसी का पात्र बन गए हैं। उन्होंने यह रोना रोया कि यह आईसीसी का आयोजन किसी एंगल से नहीं लग रहा है। खैर, उनके पास एक ठोस मुद्दा था, जब तक कि इनके मुख से ये नहीं प्रस्फुटित हुआ: “वे [बीसीसीआई] दिल दिल पाकिस्तान जैसे गाने नहीं बजा रहे थे, यही कारण है कि हमारे लड़के हतोत्साहित थे!”
लाख बुराइयां होंगी इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की टीमों पर, पर ऐसी बहानेबाज़ी तो इन्होने भी कभी सोची न होगी! स्वयं अपने बड़बोलेपन के लिए कुख्यात माइकल वॉन ने मिकी आर्थर की खिंचाई करते हुए स्पष्ट किया की अंत में परफॉर्मेंस काम आती है, “दिल दिल पाकिस्तान” नहीं! घूम फिरके इतना तो स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान प्रारम्भ से ही ऐसी रोत्लू रही है, बस हमारी टीमें समय के साथ अधिक परिपक्व हो गई!
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