एक या दो दशक पहले, कनाडा को छोड़िये, अगर नेपाल भी अपनी भौंहें चढ़ाता था, तो हमारे सरकारी प्रवक्ता से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग तक हर कोई, “यस सर”, “प्लीज़ सर”, “सॉरी सर” जैसे संवादों को बार-बार दोहराता था। शॉर्ट में सन्देश यही था, “आपको शिकायत का अवसर दोबारा नहीं मिलेगा!” परन्तु आज परिस्थिति और भारत में क्रांतिकारी बदलाव हुआ है। अमेरिका हो, यूके हो या फिर चीन, अगर किसी को भी हमसे या हमारे कार्यों से आपत्ति है, तो हमारा उत्तर बस इतना रहता है, “एविडेंस है? नहीं, तो नेक्स्ट!”
इन दिनों जस्टिन ट्रूडो पर भारत को विलेन बनाने का अलग ही भूत सवार है! उनके स्त्रोत? “ट्रस्ट मी ब्रो”, और अधिक दबाव डालने पर ध्रुव राठी की भांति “गूगल कर लीजिये”. परन्तु इस ज़िद के पीछे एक भय भी है: चोरी में पकडे जाने का भय! सभी को हमारा नमस्कार, और आज हमारी चर्चा उस आव्रजन गिरोह पर होगी, जिसे छुपाने के लिए जस्टिन ट्रूडो 1000 झूठ बोलने को तैयार हैं, और क्यों इस गैंग की पोल खोलते ही ट्रूडो प्रशासन के दावे भी तितर बितर हो जायेंगे!
कैसे हरदीप सिंह निज्जर को ‘रवि शर्मा’ के रूप में शरण मिली!
1 अक्टूबर को खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडाई नागरिकता के संबंध में वर्तमान खुलासे ने पहले से ही संदिग्ध स्थिति में हलचल मचा दी है। News18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह आरोप लगाया गया है कि कनाडाई प्रधान मंत्री और कनाडाई संसद सदस्य सुख धालीवाल के करीबी संबंधों ने कनाडा में स्थायी निवास (पीआर) प्राप्त करने के लिए निज्जर की यात्रा को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अतिरिक्त, यह दावा किया गया है कि उन्होंने देश के भीतर अपना नेटवर्क स्थापित करने में निज्जर की सहायता की।
अब यह रिपोर्ट पूरी तरह सटीक है या नहीं, यह अलग वाद विवाद का विषय है, लेकिन एक निर्विवाद तथ्य यह है: हरदीप सिंह निज्जर ने अवैध मार्ग से कनाडा में प्रवेश किया। निज्जर का कनाडा में प्रवेश 1997 में हुआ जब वह “रवि शर्मा” उपनाम के तहत नकली पासपोर्ट का उपयोग करके आया था। हालाँकि उसने धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर शरण का दावा किया था, परन्तु निज्जर को पहले दो बार प्रवेश से वंचित कर दिया गया था, फिर भी वह कैसे भी करके कनाडा में पैर जमाने में कामयाब रहा।
BIG Expose ⚡️
'Credible Sources' and Intel has linked slained K-terrorist Hardeep Singh Nijjar to Liberal MP Sukh Dhaliwal who has helped him and others with permanent residency of Canada.
The liberal MP Sukh Dhaliwal is close aid of Trudeau and guides him on major Anti-India… pic.twitter.com/FgZ2DldJ2d
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) October 2, 2023
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निज्जर द्वारा कनाडाई नागरिकता हासिल करने से जुड़ी परिस्थितियाँ अस्पष्टता में डूबी हुई हैं, कब और कैसे इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। कनाडा की सीमाओं के भीतर, निज्जर ने प्रारम्भ में प्लंबर के रूप में काम किया और बाद में ट्रक ड्राइवर के रूप में काम किया, जिसके आधार पर कई वामपंथी पोर्टल उसे अब भी निर्दोष सिद्ध करने पर तुले हैं, और जिसमें ट्रूडो महोदय भी सम्मिलित हैं। परन्तु धीरे धीरे एक कट्टर खालिस्तानी के रूप में उसका आधार बढ़ता गया, और जल्द ही उसने सरे के गुरद्वारे पर कब्ज़ा जमा लिया, जहाँ से वह अपना अलगाववादी नेटवर्क ऑपरेट करता था।
इसके अतिरिक्त ये भी रहस्योद्घाटन हुआ है कि कनाडाई अधिकारियों को करीब एक दशक से भारत में निज्जर की आपराधिक स्थिति के बारे में जानकारी थी। निज्जर पर हत्या और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने सहित एक दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। नवंबर 2014 में, कनाडा की निष्क्रियता से परेशान होकर, नई दिल्ली ने निज्जर को वांछित भगोड़े के रूप में चिह्नित करने के लिए इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) का सहारा लिया। आश्चर्यजनक रूप से, इन गंभीर आरोपों के बावजूद, कनाडाई प्रशासन घोड़े बेचकर सोता रहा।
कैनेडा की अनोखी “कबूतरबाज़ी!”
तो इन सबका सुख धालीवाल से क्या नाता, और वे जस्टिन ट्रूडो के करीबी कैसे? जैसा कि विभिन्न मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है, निज्जर के स्थायी निवास (पीआर) की व्यवस्था करने में धालीवाल की भूमिका विवादों में घिरी हुई है, यह जानते हुए भी कि निज्जर नो-फ्लाई सूची में नामित थे, और इस तथ्य से NYT और अल जज़ीरा जैसे लिबरल पोर्टल भी इनकार नहीं कर पाए!
असल में सुख धालीवाल कनाडा के आप्रवासन समिति के अध्यक्ष हैं, एक ऐसी भूमिका जिसे आप्रवासन अखंडता के उच्चतम मानकों को बनाए रखना चाहिए। हालाँकि, सूत्रों ने संकेत दिया है कि निज्जर के पीआर को सिख समर्थन और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी, आईएसआई के साथ उनकी कथित निकटता के एक शक्तिशाली संयोजन के माध्यम से सुविधा प्रदान की जा रही है। संक्षेप में, कनाडा में एक विस्तृत “कबूतरबाज़ी” नेटवर्क को निस्संकोच चलाया जा रहा है, वो भी ट्रूडो प्रशासन के नाक के नीचे!
#BreakingNews | Sukh Dhaliwal was appointed as chairman of the Standing Committee on Citizenship and Immigration, Trudeau government has taken this step to gain sympathy of Khalistanis
Exclusive input : @manojkumargupta@abhishekjha157 share views@SakshiLitoriya_ | #Canada pic.twitter.com/XP77oyN6r5— News18 (@CNNnews18) October 1, 2023
अब ये कैसे सम्भव है? सरे, जहां निज्जर एक गुरुद्वारे में डेरा जमाये हुए था, धालीवाल के निर्वाचन क्षेत्र में आता है। 18 जून को निज्जर की अज्ञात हमलावरों के हाथों मृत्यु हो गई। खुफिया सूत्रों ने आगे खुलासा किया कि निज्जर ने एक आव्रजन रैकेट संचालित किया होगा, जो व्यक्तियों को अपनी अवैध गतिविधियों में शामिल करने के लिए कनाडा में लाएगा। इन गतिविधियों से अर्जित धन को कथित तौर पर धालीवाल और निज्जर के बीच विभाजित किया गया था।
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ये भी स्मरण रखना चाहिए कि भारत ने 2013 में धालीवाल को वीजा देने से इनकार कर दिया था, इस निर्णय के लिए उन्होंने भारत में “सिखों के खिलाफ ज्यादतियों” के खिलाफ अपने मुखर रुख को जिम्मेदार ठहराया था, और देश को “तथाकथित लोकतंत्र” के रूप में संदर्भित किया था। संक्षेप में, जस्टिन ट्रूडो ने, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, खालिस्तानी अलगाववादियों को कनाडाई प्रशासन की नाक के नीचे कबूतरबाज़ी का एक जटिल कार्टेल संचालित करने की अनुमति दी। कबूतरबाज़ी में गुप्त मार्गों के माध्यम से संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जैसे देशों में लोगों का अवैध परिवहन शामिल है, जिसे अक्सर ‘डनकी’ कहा जाता है। आशा है कि राजकुमार हिरानी और शाहरुख इसे भी कवर करेंगे!
बुरा फंसे ट्रूडो!
यदि इन दावों में से आधे भी सत्य सिद्ध हुए, तो ट्रूडो प्रशासन के लिए लेने के देने पड़ जायेंगे! अवैध इमिग्रेशन के कारण बढ़ते आवास संकट के लिए ट्रूडो प्रशासन पहले से ही संदेह के घेरे में है। परन्तु ये तो कुछ भी नहीं है, हरदीप सिंह निज्जर के पारिवारिक सदस्यों ने भी निज्जर के असामयिक निधन के समय तक कनाडाई खुफिया सेवा सीएसआईएस के साथ नियमित संपर्क को स्वीकार किया था। इन सबके बाद तो कायदे से कैनेडियाई प्रशासन को जवाबदेह होना चाहिए, भारत को नहीं!
इस संदर्भ में, अवैध इमिग्रेशन रैकेट का यह पहलू जस्टिन ट्रूडो बिलकुल नहीं चाहेंगे कि संसार के समक्ष आये। भारत छोड़िये, श्रीलंका और बांग्लादेश तक ट्रूडो पर अपराधियों को शरण देने का आरोप लगा रहे हैं. यदि ये आरोप प्रमाणित हो जाते हैं, तो ट्रूडो प्रशासन एक ऐसे पथ पर अग्रसर होगा, जहाँ आगे केवल और केवल विनाश ही उनके भाग्य में लिखा है।
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