विपक्षी दलों को नए गठबंधन ‘INDIA’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई है। कोर्ट ने इस पर एक हफ्ते के भीतर कांग्रेस, टीएमसी और डीएमके समेत विपक्षी पार्टियों से अपना जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका दिया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह की खंडपीठ ने व्यवसायी गिरीश भारद्वाज की जनहित याचिका की सुनवाई को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया। इस याचिका का उद्देश्य 19 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले चरण से पहले इसका समाधान करना था।
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गिरिश भारद्वाज ने दायर की जनहित याचिका
गिरीश भारद्वाज ने पिछले साल अगस्त में यह याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि याचिका पर 10 अप्रैल को सुनवाई करने और इसका निपटारा करने का प्रयास किया जाएगा। कोर्ट के अनुसार, विपक्षी दलों और केंद्र सरकार को एक हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करना होगा। साथ ही कहा है कि याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का यह आखिरी मौका होगा।
‘इंडिया’ नाम के इस्तेमाल पर उठाए सवाल
भारद्वाज ने अपनी जनहित याचिका में कहा था कि विपक्षी दल अपने स्वार्थ के लिए ‘इंडिया’ नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं। पार्टियों ने केवल 2024 लोकसभा चुनावों में अनुचित फायदा लेने के लिए गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखा है। यह शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष वोटिंग पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। प्रतीक और नाम अधिनियम, 1950 की धारा 2 और 3 के तहत ‘इंडिया’ नाम का उपयोग निषिद्ध है।
कोर्ट ने 26 दलों को जारी किया था नोटिस
दिल्ली हाईकोर्ट ने 2023 (अगस्त) में 26 विपक्षी दलों और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था। हालांकि, चुनाव आयोग ने विवाद पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था। आयोग ने कहा था कि वह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत राजनीतिक गठबंधनों को रेगुलेट नहीं कर सकता है।
चुनाव आयोग ने अपने जवाब में केरल हाईकोर्ट के एक ऐसी ही मामले के निर्णय का हवाला दिया था, जिसमें यह माना गया कि राजनीतिक गठबंधनों के कामकाज को रेगुलेट करने के लिए संवैधानिक बॉडी (निकाय) को अनिवार्य करने वाला कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है।
केंद्र और विपक्ष की ओर से कोर्ट में क्या कहा गया
अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने अदालत को बताया कि चुनाव आयोग पहले ही इस मामले में अपना जवाब दाखिल कर चुका है। नवंबर, 2023 में केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने मामले में अदालत से जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते या 10 दिन का और समय देने का अनुरोध किया था।
वहीं, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक सहित नौ राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा था कि याचिका के खिलाफ प्रारंभिक आपत्तियां थीं और सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे से निपट चुका है।
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