इस एजेंट से रहे सावधान नहीं तो दाव पर लग सकती है आपकी प्राइवेसी।

AI एजेंट एक वर्चुअल असिस्टेंट होता है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंट सिस्टम का इस्तेमाल करके रियल-टाइम में इंसानों की तरह इंटरेक्शन कर सकता है।

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में ChatGPT-4o और Google Project Astra ने एक नई क्रांति छेड़ दी है। इन दोनों जेनरेटिव AI प्लेटफॉर्म्स के जरिए आप रियल टाइम में ऑडियो या वीडियो इनपुट्स के जरिए स्मार्ट रिस्पॉन्स प्राप्त कर सकते हैं। यह दोनों टूल इंटरनेट पर मौजूद जानकारी के आधार पर आपके सवालों के जवाब दे सकते हैं। 

इन्हें नेक्स्ट जेनरेशन का AI एजेंट कहा जा सकता है, जो Google Voice Assistant, Siri, और Alexa जैसे एजेंट्स के मुकाबले में अधिक एडवांस फंक्शन कर सकता है। हालांकि, इनमें कई तरह की खामियां भी हैं, जिनमें यूजर्स की प्राइवेसी सबसे महत्वपूर्ण है।

AI एजेंट क्या है?

AI एजेंट एक वर्चुअल असिस्टेंट होता है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंट सिस्टम का इस्तेमाल करके रियल-टाइम में इंसानों की तरह इंटरेक्शन कर सकता है। यह मल्टी-मॉडल यानी टेक्स्ट, इमेज, या वॉइस के जरिए कम्युनिकेट कर सकता है। बैंकिंग, टेलीकॉम, इंश्योरेंस सर्विसेज आदि प्रदान करने वाली कंपनियां बड़े पैमाने पर AI एजेंट्स का इस्तेमाल करती हैं। ये एजेंट्स ग्राहकों के सवालों का बिल्कुल इंसानों की तरह जवाब देते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक सहजता और सुविधा मिलती है।

Google Project Astra

Google के CEO सुंदर पिचाई ने पिछले दिनों अपने प्रोजेक्ट एस्ट्रा को पेश करते हुए कहा था कि AI एजेंट से बात करते हुए आप किसी टेक्स्ट बॉक्स में कुछ टाइप करके रिस्पॉन्स का इंतजार नहीं कर रहे हैं, बल्कि आप वास्तव में उनसे बात कर रहे हैं, जैसे कि आप किसी इंसान से बात कर रहे हों। नए जमाने के AI एजेंट अपने आस-पास के वातावरण के बारे में सेंसर के जरिए जानकारी प्राप्त करते हैं और अपने AI एल्गोरिदम का इस्तेमाल करके रियल टाइम में रिस्पॉन्स करते हैं।

LLM से कैसे अलग हैं AI एजेंट?

यहां हमें एक बात समझनी होगी कि जेनरेटिव AI से लैस AI एजेंट LLM यानी लार्ज लैंग्वेज मॉडल से बिल्कुल अलग होते हैं। उदाहरण के तौर पर GPT-3 या GPT-4 केवल इंसानों की तरह टेक्स्ट जेनरेट कर सकते हैं। वहीं, AI एजेंट इंटरेक्शन को नेचुरल बनाते हैं। LLM में रियल टाइम रिस्पॉन्स केवल टेक्स्ट फॉर्म में प्राप्त हो सकता है, जबकि AI एजेंट आपके द्वारा किए गए सवालों के कॉन्टेक्स्ट के बेस पर रिस्पॉन्स करता है। इसमें मौजूद AI एल्गोरिदम की मदद से जटिल सवालों के उत्तर भी प्राप्त किए जा सकते हैं। GPT-4o और Project Astra इसके उदाहरण हैं।

प्राइवेसी के लिए क्यों है खतरा?

AI एजेंट जिस तरह हमारे कई काम को आसान बना देते हैं, उसी तरह इनसे हमें प्राइवेसी का भी खतरा है। AI एजेंट के पास यूजर्स के निजी डेटा और आस-पास के वातावरण का एक्सेस होता है, जिसकी वजह से यह हमारे लिए खतरा भी हो सकता है। इसके अलावा, यह आपके डेटा का इस्तेमाल AI मॉडल्स की ट्रेनिंग के लिए भी कर सकते हैं। जिस तरह से इनकी लोकप्रियता यूजर्स के बीच बढ़ रही है, इनके लिए एक रेगुलेशन फ्रेमवर्क का होना जरूरी है।

अन्य समस्याएं

प्राइवेसी के अलावा AI एजेंट के लिए और भी कई समस्याएं हैं, जिनमें विश्वसनीयता और तकनीकी जटिलता आदि शामिल हैं। AI एजेंट द्वारा दी जाने वाली जानकारी पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता है। यह इंटरनेट पर मौजूद लोगों के ओपिनियन को भी अपनी रिजल्ट में दिखा सकता है। इसलिए, यूजर्स को AI एजेंट्स के उपयोग के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए और उनकी दी गई जानकारी को क्रॉस-चेक करना चाहिए।

निष्कर्ष

AI की दुनिया में ChatGPT-4o और Google Project Astra ने एक नई दिशा प्रदान की है। हालांकि, यह टेक्नोलॉजी कई मायनों में हमारे जीवन को सरल बना रही है, लेकिन इसके साथ ही प्राइवेसी और सुरक्षा के मुद्दे भी सामने आ रहे हैं। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए एक मजबूत रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की आवश्यकता है, जिससे AI एजेंट्स के उपयोग को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाया जा सके। AI की इस नई क्रांति को सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए यूजर्स और डेवलपर्स दोनों को मिलकर काम करना होगा।

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