भारत में वर्तमान समय में अवैध घुसपैठियों की समस्या गहराती जा रही है, विशेष रूप से बांग्लादेश और म्यांमार से आने वाले रोहिंग्या घुसपैठियों की संख्या में वृद्धि हो रही है। इन घुसपैठियों की उपस्थिति न केवल भारत की सुरक्षा बल्कि उसकी सामाजिक संरचना के लिए भी एक बड़ा खतरा बन गई है।
घुसपैठियों की समस्या की विकरालता
भारत में वर्तमान में 40,000 से अधिक रोहिंग्या घुसपैठियों का अनुमान लगाया गया है। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक महीने 200 से भी अधिक रोहिंग्या मुस्लिम अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर रहे हैं। इन घुसपैठियों को देश के विभिन्न हिस्सों में बसाया जा रहा है, जिनमें एक दर्जन से अधिक राज्य शामिल हैं। यह प्रक्रिया अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी गिरोहों द्वारा संचालित की जा रही है।
NIA की कार्रवाई
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने हाल ही में एक प्रमुख मानव तस्करी गिरोह के मास्टरमाइंड जलील मियाँ को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह मुख्य रूप से म्यांमार के रखाइन प्रांत से रोहिंग्या लोगों को भारत में घुसपैठ करवाने का कार्य करता है। 1982 में म्यांमार सरकार द्वारा नागरिकता से वंचित किए गए इन रोहिंग्याओं में से 9 लाख से अधिक विभिन्न देशों में शरण ले चुके हैं, जिनमें बांग्लादेश और भारत प्रमुख हैं।
गिरोह के प्रमुख सदस्य
जलील मियाँ, जो गिरोह के प्रमुख जिबोन रूद्र पाल उर्फ़ सुमन का साथी है, पहले भी NIA के शिकंजे में आ चुका है। वहीं इस गिरोह के अन्य सदस्य जज मियाँ और शंतो अब भी फरार हैं। NIA ने इस गिरोह के 29 सदस्यों को गिरफ्तार किया है और नवंबर 2023 में जलील मियाँ को गिरफ्तार करने का प्रयास भी किया था, लेकिन तब वह फरार हो गया था।
फर्जी दस्तावेज़ और भारत में बसावट
रोहिंग्या मुस्लिमों को 10-20 लाख रुपए के पैकेज के तहत फर्जी दस्तावेज़ देकर भारत में बसाया जा रहा है। केंद्र सरकार इन्हें अवैध अप्रवासी घोषित कर चुकी है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानती है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र इन्हें शरणार्थी का दर्जा देता है। इन घुसपैठियों को हिंदी-असमी जैसी भाषाओं का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है ताकि वे बोलने के लहजे से पकड़े न जाएँ।
शिविर और जनसंख्या वृद्धि
भारत में रोहिंग्या घुसपैठियों के लिए दिल्ली जैसे शहरों में कई शिविर स्थापित किए गए हैं। पिछले दो वर्षों में भारत में रोहिंग्या मुस्लिमों की संख्या दोगुनी हो गई है। केंद्र सरकार के अनुसार, देश में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए किसी भी प्रकार की कैम्प व्यवस्था नहीं है। मुस्लिम बहुल जम्मू-कश्मीर में इनकी संख्या 10,000 के करीब है।
अपराध और आंदोलन में भागीदारी
कई अपराधों में रोहिंग्या घुसपैठियों की भागीदारी पाई गई है। शाहन बाग़ और जफराबाद में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ हुए आंदोलनों में इनकी बड़ी संख्या में भागीदारी देखी गई थी।
जनसंख्या और सुरक्षा
भारत पहले से ही विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है और आतंकवादियों के निरंतर हमलों के खतरे के बीच रोहिंग्या घुसपैठियों की उपस्थिति देश के लिए एक गंभीर चुनौती है। बांग्लादेश से सटे त्रिपुरा राज्य ने भी घुसपैठ की बढ़ती समस्या को झेला है। पिछले 16 महीनों में केवल त्रिपुरा से 1018 घुसपैठिए पकड़े गए हैं, जिनमें 93 महिलाएँ और 24 बच्चे शामिल थे। वर्ष 2023 में सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने 744 घुसपैठियों को पकड़ा था, जबकि 2022 में 369 और 2021 में 208 घुसपैठिए धराए गए थे।
पूरे भारत में फैलाव
घुसपैठियों का फैलाव केवल सीमावर्ती राज्यों तक सीमित नहीं है; बल्कि दक्षिण भारत के चेन्नई जैसे सुदूर क्षेत्रों में भी इनकी उपस्थिति दर्ज की गई है। यह तथ्य राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरे को दर्शाता है।
भारत में रोहिंग्या घुसपैठियों की समस्या एक जटिल और गंभीर मुद्दा है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाना चाहिए। इस समस्या का समाधान केवल सरकार के कठोर कदमों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ही संभव हो सकता है।
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