जम्मू-कश्मीर में पिछले 72 घंटों के अंदर तीसरे आतंकी हमले ने सुरक्षा स्थिति को और गंभीर बना दिया है। इस बार आतंकियों ने डोडा जिले में सुरक्षा बलों के एक अस्थाई कैम्प पर हमला किया। बुधवार, 12 जून 2024 की सुबह हुए इस हमले में आतंकियों ने गोलियां बरसाईं, जिससे कई जवान घायल हो गए। आतंकी जवाबी कार्रवाई के दौरान भाग निकले और अब उनकी तलाश में सघन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है।
डोडा हमला: विस्तृत विवरण
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय सेना ने डोडा जिले के चत्तरगला में एक अस्थाई बेस स्थापित किया था। यहां राष्ट्रीय रायफल्स ने पुलिस के साथ मिलकर एक चेकपोस्ट भी बना रखा था। 11-12 जून की रात को कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने इस बेस पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। सेना ने भी जवाबी फायरिंग की, लेकिन आतंकी भागने में सफल रहे।
इस फायरिंग में सेना के 5 जवान और एक स्पेशल पुलिस ऑफिसर घायल हुए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हमले में कितने आतंकी शामिल थे, इस पर अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है और न ही किसी आतंकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।
कठुआ में आतंकी हमला: आतंकियों की नापाक कोशिश
डोडा हमले से एक दिन पहले, 11 जून को कठुआ क्षेत्र के सैदा सुखल गांव में भी आतंकी हमला हुआ था। रात के समय तीन आतंकी गांव में घुसे और एक घर का दरवाजा खटखटाकर पानी मांगने की कोशिश की। घरवालों ने दरवाजा नहीं खोला और शोर मचाना शुरू कर दिया, जिससे सुरक्षा बल सतर्क हो गए और मौके पर पहुंच गए।
आतंकियों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दीं और एक ने ग्रेनेड फेंकने की कोशिश की। जवाबी कार्रवाई में एक आतंकी ढेर हो गया, जबकि CRPF का एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया। इसके बाद से ही दो आतंकी छिपे हुए थे और उनकी तलाश के लिए अभियान चलाया जा रखा था। लेकिन आज तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षा बलों ने एक ओर आतंकी को मार गिराया है।
सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरें
सोशल मीडिया पर इस मुठभेड़ को लेकर कई भ्रामक खबरें फैल रहीं हैं, जिनमें कुछ ग्रामीणों की मौत की अफवाहें भी शामिल हैं। पुलिस ने इन खबरों को बेबुनियाद बताते हुए खारिज किया है। जम्मू पुलिस के ADGP ने स्पष्ट किया कि सभी ग्रामीण सुरक्षित हैं। केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने भी कहा है कि वे हालातों पर नजर रखे हुए हैं और सभी जरूरी लोगों के संपर्क में हैं।
9 जून को हुआ रियासी हमला: श्रद्धालुओं की बस पर फायरिंग
इससे पहले, 9 जून को जम्मू में एक और आतंकी हमला हुआ था, जिसमें रियासी जिले में मंदिर जा रहे श्रद्धालुओं की बस पर आतंकियों ने गोलियां बरसाईं। इस हमले में 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। गोलियों की बौछार के कारण बस खाई में गिर गई थी, जिससे यह दुर्घटना और भी भयावह हो गई।
सुरक्षा व्यवस्था और चुनौतियां
लगातार हो रहे इन आतंकी हमलों ने सुरक्षा बलों के समक्ष नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। इन हमलों से यह स्पष्ट होता है कि आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने के अपने मंसूबों में लगातार सक्रिय हैं। सुरक्षा बलों की त्वरित और सख्त कार्रवाई के बावजूद आतंकियों की घुसपैठ और हमले चिंता का विषय बने हुए हैं।
निष्कर्ष
जम्मू-कश्मीर में हो रहे ये आतंकी हमले सिर्फ सुरक्षा बलों के लिए ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी एक गंभीर चुनौती हैं। इन हमलों से निपटने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को और अधिक सतर्क और सक्रिय होना पड़ेगा। स्थानीय लोगों को भी सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत सुरक्षा बलों को देने की आवश्यकता है। सरकार और सुरक्षा बलों को मिलकर इन चुनौतियों का सामना करना होगा ताकि प्रदेश में शांति और सुरक्षा बनी रहे।
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