देहरादून जिले के पश्चिमी इलाके के गांव कभी हिंदू बाहुल हुआ करते थे पर आज ये पूरा क्षेत्र अब मुस्लिम बाहुल हो गए हैं। उत्तराखंड में डेमोगैफी में बदलाव के ये सबसे बड़ा नमूना पेश करता है। हिमाचल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश से सटे इस सीमांत क्षेत्र में आने से आपको सहज ही ऐसा एहसास हो जाएगा। यहां की मस्जिदों की मीनारें, बड़े-बड़े मदरसे यहां की पहचान बनते जा रहे हैं।
कट्टर मुस्लिम संगठनों की सक्रियता चिंता की बात
पश्चिम क्षेत्र विकास नगर, हरबर्टपुर, सहसपुर,सेलाकुई आदि क्षेत्रों में कट्टर मुस्लिम संगठनों की सक्रियता भविष्य के लिए एक अलर्ट है। मस्जिदों और मदरसों की तेजी से बढ़ती संख्या और वहां चल रही मुस्लिम संगठनों की गतिविधियां पुलिस एवं प्रशासन के लिए चुनौती बनती जा रही है। इस इलाके में तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ रही है। यहां के हिंदू बाहुल गांव के गांव मुस्लिम बाहुल हो चुके हैं। जबकि कुछ वर्ष पहले तक इन गांवों में इक्का- दुक्का मुस्लिम परिवार ही रहा करते थे।
हिंदुओं का गांव बना मुस्लिम बाहुल
पश्चिम देहरादून के 28 गांव ऐसे हैं जो राज्य बनने तक हिंदू बाहुल थे और अब मुस्लिम बाहुल हो चुके हैं। इसमें ढकरानी, ढालीपुर, कुंजा, ग्रंट, कुल्हाल,धर्मावाला, मिमली, बैरागीवाला, जमनीपर, केदार वाला, बुलाकीवाला, मेहूवाला, खालसा, जीवनगढ़, नवाब गढ़, जसोवाला, माजरी, आमवाला पौंधा, जाटों वाला, सभावाला, कल्याणपुर- हसनपुर, शेरपुर, सिंहनीवाला, शीश मबाडा, खुशहालपुर, ढाकी, सहसपुर, लक्ष्मीपुर, रामपुर कलां, शंकरपुर शामिल हैं।
ढकरान गांव में 1991 तक हिंदू आबादी 80 प्रतिशत थी और मुस्लिम आबादी 20 प्रतिशत थी, 2023 में यहां 60 प्रतिशत मुस्लिम और 40 प्रतिशत हिंदू समेत अन्य आबादी हो गई है। जो हिंदू नाम के गांव थे और वहां अधिकतर हिंदू ही रहते थे जैसे शंकरपुर, लक्ष्मीपुर, रामपुर ये अब मुस्लिम बाहुल गांव हो गये हैं।
जनप्रतिनिधियों के संरक्षण में जमीन पर हो रहे कब्जे
इन 28 गांवों के अलावा मुख्य शिमला बाईपास, आसन बैराज मार्ग के दोनों ओर सरकारी भूमि पर मुस्लिम आबादी ने अवैध कब्जे कर रखे हैं। अमलावा, नौरा, जमुना, कालसी, टोंस आदि नदियों के किनारे ममीनों पर मुस्लिम के अवैध कब्जे चिन्हित किए गए हैं।
मानसिक अस्पताल, फ्लाईओवर के नीचे की सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे करने वाले सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर आदि जिलों से आए मुस्लिमों ने स्थानीय जन प्रतिनिधियों के संरक्षण में कब्जे कर लिए हैं। जनप्रतिनिधियों का नाम इस लिए लिया जा रहा है क्योंकि इनके ग्राम प्रधानों ने ग्रामसभा की जमीन पर अवैध रूप से इन्हें बसाया है, जिसकी जांच में पुष्टि भी हुई है। बताया जा रहा है कि जनसंख्या असंतुलन के ये खेल कांग्रेस शासनकाल में शुरू हुए थे और आज तक जारी है।
मस्जिद और मदरसे के निर्माण में कानून का पालन नहीं
पश्चिम देहरादून में सौ से अधिक मस्जिदें, 46 अवैध मदरसे विगत कुछ वर्षों में बनाए गए हैं। इन्हें बनाने के लिए न तो सरकार से कोई अनुमति ली गई है और ना ही बनने से इन्हें रोका जा रहा है। जबकि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश है कि 2009 के बाद बिना जिलाधिकारी के कोई भी नया धार्मिक स्थल नहीं बनाया जा सकता और यदि किसी पुराने की मरम्मत भी करनी होगी तो उसके लिए प्रशासन से आदेश लेना आवश्यक है। लेकिन यहां बिना किसी अनुमति के बेरोक टोक मस्जिदों और मदरसों का निर्माण किया जा रहा है।
मुस्लिम जनप्रतिनिधि बनकर इस्लाम धर्म के लोगों को यूपी से लाकर यहा ग्रामसभा की भूमि, वनभूमि, नदी श्रेणी की भूमि और अन्य सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर बसा रहे हैं। फर्जी दस्तावेजों से आधार कार्ड बनकर इन्हें सरकारी जमीनों पर कब्जे दिलाए जा रहे हैं।
लव जिहाद की बढ़ती घटनाएं चिंता की बात
पिछले दिनों लव जिहाद की घटना होने पर जिस तरह से यहां के मुस्लिम जिहादियों की तरह पेश आए उसे देखकर पुलिस महकमा भी हैरान है। खुलेआम पुलिस के अधिकारियों के सामने रॉड, तलवार, डंडे लेकर मस्जिद में और बाहर सड़क पर जिहादी नारे लगाए गए। इसकी जांच में पुलिस ने राशिद कबाड़ी और उसके गिरोह की संलिप्तता पाई। यहां पर मुस्लिम सेवा संगठन ने अपनी जड़ें जमा ली है जो कि किथित रूप से हिंदुओं के खिलाफ माहौल बनाकर इस क्षेत्र को अशांत करना चाहता है। इसलिए यहां अवैध रूप से बसे लोगों को तत्काल प्रभाव से यहां से हटाकर इस इलाके में फिर से शांति और भाईचारा बहाल की जाय।
विश्व नाथ झा।