लोकसभा चुनाव 2024 में जब भाजपा अपने दम पर बहुमत पार नहीं कर सकी और 240 पर रुक गई तो कांग्रेस पार्टी ने जम कर जश्न मनाया था। सुप्रिया श्रीनेत अपने हाथ लहराते हुए मुट्ठी भींच कर कांग्रेस के आईटी दफ्तर में खुश नज़र आई थीं। कांग्रेस को ऐसा लगा था जैसे उसे बहुमत मिल गया, भाजपा का रथ रुक गया और आगे अब भाजपा हारती ही चली जाएगी। हालाँकि, अब हरियाणा और जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव के बाद सारा कांग्रेस का सारा नशा काफूर हो गया है। न सिर्फ जनता, बल्कि सहयोगी पार्टियाँ भी उसे सबक सिखा रही है।
हरियाणा में सारे के सारे एग्जिट पोल्स कांग्रेस की सरकार बनती हुई दिखा रहे थे, लेकिन हुआ इसका एकदम उलटा। कांग्रेस 37 सीटों पर रुक गई और भाजपा ने 48 यानी बहुमत से 2 अधिक सीटें प्राप्त कर लीं। 3 निर्दलीयों के समर्थन के साथ भाजपा का आँकड़ा 51 पहुँच गया है। जहाँ तक जम्मू कश्मीर की बात है, कांग्रेस-NC गठबंधन ने वहाँ बहुमत तो पा लिया है लेकिन यहाँ भी भाजपा ने कांग्रेस से 5 गुना अधिक सीट प्राप्त की। जहाँ कांग्रेस पार्टी 6 सीटों पर रुक गई, भाजपा ने 29 सीटें अपने नाम की हैं। वैसे ये सारी सीटें जम्मू क्षेत्र में हैं।
अब्दुल्लाह की कांग्रेस को नसीहत
जम्मू कश्मीर में रुझानों में जैसे ही नेशनल कॉन्फ्रेंस-कॉन्ग्रेस गठबंधन को बहुमत मिलता हुआ दिखाई दिया, फ़ारूक़ अब्दुल्लाह ने ये ऐलान करने में देरी नहीं लगाई कि उनके बेटे उमर अब्दुल्लाह ही CM बनेंगे, वो भी पूरे 5 वर्षों के लिए। इस तरह उन्होंने अगले 5 वर्षों में गठबंधन में किसी भी प्रकार के नेतृत्व-परिवर्तन की अटकलों को विराम देते हुए कांग्रेस को एक सन्देश दिया। वहीं उमर ने कांग्रेस की हार पर कहा कि पार्टी खुद समझे कि वो इससे क्या सबक ले सकती है। उन्होंने आगामी झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बताया।
साथ ही उन्होंने जम्मू क्षेत्र में कांग्रेस की हार पर उसे मंथन करने के लिए भी कहा। उमर अब्दुल्लाह ने स्पष्ट कहा कि जिन उम्मीदों के साथ सीट शेयरिंग के दौरान कांग्रेस को सीटें दी गई थीं, उन पर पार्टी खरी नहीं उतरी है। उन्होंने कांग्रेस को सुधार की सलाह देते हुए कहा कि पार्टी खुद ही इन नतीजों से खुश नहीं होगी। उन्होंने ये तक कह डाला कि जम्मू में कांग्रेस को सीटें देने की बजाए JKNC ने खुद अपने उम्मीदवार उतारे होते तो उनका वोट शेयर भाजपा से ज़्यादा होता।
AAP भी सुना रही खरी-खोटी
इतना ही नहीं, दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी पार्टी AAP भी कांग्रेस को जम कर खरी-खोटी सुना रही है। AAP ने ऐलान कर दिया है कि 2025 का दिल्ली विधानसभा चुनाव वो अकेले लड़ेगी, यानी कांग्रेस से कोई गठबंधन नहीं होगा। जबकि लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान दिल्ली की सातों सीटें पर इन दोनों दलों ने गठबंधन बना कर उम्मीदवार उतारे थे। AAP नेता राघव चड्ढा ने कांग्रेस की ताज़ा स्थिति पर तंज कसते हुए एक शेर भी पोस्ट किया है, जिसका लब्बोलुआब ये है कि कांग्रेस द्वारा AAP को गठबंधन में न लेने का पछतावा हो रहा होगा, अगर ये गठबंधन हुआ होता तो माहौल कुछ और होता।
हमारी आरज़ू की फिक्र करते तो कुछ और बात होती,
हमारी हसरत का ख्याल रखते तो एक अलग शाम होतीआज वो भी पछता रहा होगा मेरा साथ छोड़कर,
अगर साथ-साथ चलते तो कुछ और बात होती— Raghav Chadha (@raghav_chadha) October 8, 2024
AAP नेता प्रियंका कक्कड़ ने ऐलान कर दिया है कि दिल्ली में पार्टी अकेले लड़ेगी। उन्होंने कांग्रेस को अति-आत्मविश्वास से लबरेज बताते हुए कहा कि उसे और भाजपा दोनों को AAP अकेले ही देख लेगी। पार्टी प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने हरियाणा में कांग्रेस द्वारा गठबंधन के लिए सीटें न दिए जाने को इसके पीछे का कारण बताया। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले एक दशक से कांग्रेस के पास दिल्ली विधानसभा में शून्य सीटें हैं फिर भी लोकसभा में उसे 3 सीटें दी गईं। उन्होंने कांग्रेस पर I.N.D.I. गठबंधन के खिलाफ जाने का आरोप लगा दिया।
संजय राउत भी कह रहे भला-बुरा
ये थी JKNC और AAP की बात, उधर महाराष्ट्र से शिवसेना (UBT) ने भी कांग्रेस को घुड़की देना शुरू कर दिया है। पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि कांग्रेस को लगता था कि वो अकेले जीत जाएगी इसीलिए I.N.D.I. गठबंधन में उसने किसी और को भागीदार नहीं बनाया, इसीलिए उसकी हार हुई। उन्होंने भाजपा की तारीफ़ करते हुए कहा कि पार्टी ने काफी अच्छे से चुनाव लड़ा। वहीं महाराष्ट्र में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले इस बयान से भड़क गए और उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि हरियाणा-महाराष्ट्र की पृष्ठभूमि अलग-अलग है।
उन्होंने हरियाणा को ज्योतिबा फुले और बाबासाहब भीमराव आंबेडकर की भूमि बताते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव से भी बेहतर प्रदर्शन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में होगा। कांग्रेस ने महाराष्ट्र में अपने हिस्से की 17 में से 13 सीटें जीती थीं, ऐसे में उसे इसी फॉर्मूले के आधार पर विधानसभा में सीट शेयरिंग चाहिए। हालाँकि, राज्य में इस गठबंधन में आखिरी फैसला शरद पवार का ही होता है और NCP (शरद पवार गुट) के नेता जितेंद्र अव्हाड ने कह भी दिया है कि उनके नेता के कहे अनुसार सब साथ चलेंगे। संजय राउत ‘हारी हुई भाजपा की जीत’ की बातें कह कर उसी पार्टी की तारीफ़ कर रहे हैं जिसे सत्ता से बाहर रखने के लिए उन्होंने लंबा गठबंधन तोड़ दिया।
ओवैसी का निशाना, सपा ने पूछा तक नहीं
ये सहयोगी दल कांग्रेस को इसीलिए घुड़की दे रहे हैं, ताकि आगे पार्टी सीट शेयरिंग के मोलभाव में दब कर रहे। कांग्रेस को लगता था कि हरियाणा में उसकी जीत होगी तो पार्टी इस मोलभाव में अपने सहयोगी दलों पर भारी पड़ेगी। लेकिन, अब इसका उलटा हो रहा है। झारखंड में भी मतदान इसी साल होना है। सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिख कर पार्टी ने राज्य में पिछड़ा कल्याण मंत्रालय बनाने की माँग की है। इसे प्रेशर पॉलिटिक्स के रूप में ही देखा जा रहा है। झामुमो में रहते हुए सीएम रहे चंपई सोरेन पहले ही भाजपा में जा चुके हैं।
कुल मिला कर अब न केवल I.N.D.I. गठबंधन का खुमार उतर चुका है, बल्कि अब ये आपस में ही लड़ रहे हैं। सपा ने यूपी उपचुनाव के लिए नाम जारी कर दिए, कांग्रेस कह रही है कि हमसे पूछा ही नहीं। प्रभारी अविनाश पांडे ने आपत्ति जताई है। उधर असदुद्दीन ओवैसी ने EVM पर ठीकरा फोड़ने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है। यानी, 2024 लोकसभा चुनाव वाला विपक्ष का जोश हवा हो गया है, खासकर कांग्रेस का।