हरियाणा के चुनावी अखाड़े का चौधरी कौन? मुद्दे और फैक्टर, जिनका हो सकता है असर

हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं। 5 अक्टूबर को एक चरण में सभी सीटों पर मतदान है। चुनाव का नतीजा 8 अक्टूबर को घोषित किया जाएगा। 2014 से राज्य में बीजेपी की सरकार है।

हरियाणा में 8 अक्टूबर को आएगा चुनाव का नतीजा

चंडीगढ़: हरियाणा की सियासी चौसर का चौधरी कौन बनेगा, इसका फैसला तो 8 अक्टूबर को होगा। उससे पहले पिछले एक महीने के दौरान राज्य का सियासी तापमान चढ़ा रहा। चुनाव प्रचार खत्म होने से कुछ घंटे पहले ही अशोक तंवर के यूटर्न ने सबको चौंकाया। उधर बीजेपी ने मतदान से पहले पूरी ताकत झोंक दी। बीजेपी नेताओं ने राज्य में 150 रैलियां कीं, जिसमें पीएम मोदी की 4 और अमित शाह की 10 जनसभाएं शामिल हैं। बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को भी हरियाणा के समर में उतारा। कांग्रेस की तरफ से भी 70 सभाएं और रैलियां की गईं। राहुल गांधी ने 4 जनसभाओं के साथ ही 100 किलोमीटर के दो बड़े रोडशो किए। आइए हरियाणा चुनाव के मुद्दों और अहम फैक्टर पर एक नजर डालते हैं।

मुद्दे

किसान

हरियाणा की चुनावी रैलियों में किसानों का मुद्दा जोर-शोर से उठा। जहां एक ओर फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य का रैलियों में जिक्र हुआ, वहीं किसान आंदोलन का भी जिन्न बोतल से बाहर निकल आया। बीजेपी सांसद कंगना रनौत के बयान ने पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर दी। 25 अगस्त को एक इंटरव्यू में कंगना ने कहा कि किसान आंदोलन के जरिए भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति की तैयारी थी। हालांकि पार्टी ने तत्काल उनके बयान को खारिज करते हुए डैमेज कंट्रोल की कोशिश की। इसके बाद 24 सितंबर को कंगना ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को फिर से लागू करना चाहिए और किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए। पंजाब और हरियाणा दो ऐसे राज्य थे, जहां तीन कृषि कानूनों का सबसे ज्यादा विरोध हुआ था।

जवान/बेरोजगारी

हरियाणा देश का ऐसा राज्य है, जहां से सेना में बड़ी तादाद में युवा भर्ती होते हैं। अग्निवीर योजना को लेकर युवाओं के एक तबके में नाराजगी देखने को मिली। यही वजह है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को कई रैलियों में कहना पड़ा कि हरियाणा के जितने भी अग्निवीर हैं, उन सभी को वापस लौटने पर सरकारी नौकरी नायब सिंह सैनी की सरकार देगी। हरियाणा का एक भी अग्निवीर नौकरी के बिना नहीं रहेगा। केंद्र सरकार ने चार साल के बाद रिटायर होने वाले अग्निवीरों के लिए केंद्रीय सुरक्षाबलों की भर्ती में 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का फैसला जुलाई में ही लिया था। उधर कांग्रेस अपनी रैलियों में अग्निवीर का मुद्दा लगातार उठा रही है। राहुल गांधी ने रैलियों में कहा कि अग्निवीर को न तो पेंशन मिलेगी, न मुआवजा और न शहीद का दर्जा। अग्निवीर यूज एंड थ्रो मजदूर हैं। बेरोजगारी का मुद्दा भी चुनावी रैलियों के केंद्र में रहा।

पहलवान

हरियाणा में खिलाड़ियों यानी पहलवानों का मुद्दा पिछले दो साल से चर्चा में है। कांग्रेस ने ओलंपिक में मेडल के करीब पहुंचकर डिस्क्वॉलिफाई हुई पहलवान विनेश फोगाट को चुनाव में उतारा है। जुलाना सीट से वह मैदान में हैं। बजरंग पूनिया ने भी विनेश के साथ कांग्रेस ज्वाइन की थी। भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह से पहलवानों का विवाद लगातार सुर्खियों में रहा। बृजभूषण यूपी की कैसरगंज सीट से सांसद भी थे। वहीं विवाद के बाद 2024 लोकसभा चुनाव में बृजभूषण सिंह का टिकट बीजेपी ने काट दिया। विनेश समेत कई पहलवानों ने बृजभूषण पर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं, जिसका केस कोर्ट में चल रहा है। कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा इस मुद्दे पर लगातार बीजेपी के खिलाफ मुखर रहे हैं।

फैक्टर    

जाट

हरियाणा में चुनावी फैक्टर की बात करें तो जाट फैक्टर काफी महत्वपूर्ण है। जातीय समीकरण में जाट सबसे ऊपर हैं। राज्य में 22 से 25 प्रतिशत के आसपास जाट हैं। यानी हर चौथा वोटर जाट समुदाय से है। 90 में से 32 विधानसभा सीटों पर जाट प्रभावी हैं, वहीं 17 अन्य सीटों पर उनका वोट बैंक ठीकठाक है। यानी 49 सीटों पर जाट वोटों का असर है। रोहतक, सोनीपत, जींद, हिसार, कैथल और भिवानी जैसे जिलों में जाट बड़ी तादाद में हैं। वहीं पिछले 10 साल से राज्य में गैर जाट मुख्यमंत्री होने की वजह से इस चुनाव में जाट समुदाय की गोलबंदी हो सकती है।

दलित

राज्य में दूसरा अहम फैक्टर है दलित। करीब 21 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति यानी दलित समुदाय से आती है। वहीं प्रदेश की 17 सीटें सुरक्षित हैं। कुल 35 सीटें ऐसी हैं, जिन पर दलित वोट से गुणा-गणित बिगड़ सकता है। कांग्रेस मुख्य रूप से जाट-दलित समीकरण पर फोकस कर रही है। राहुल गांधी ने रैली के मंच से कुमारी सैलजा और भूपेंद्र हुड्डा का हाथ मिलवाया। सैलजा राज्य के बड़े दलित चेहरों में से एक हैं। वहीं बीजेपी ने भी सैलजा की कथित नाराजगी के जरिए दलितों के बीच संदेश देने की कोशिश की। यह मैसेज दिया गया कि कांग्रेस अगर सत्ता में आती है, तो भी सैलजा को कुछ नहीं मिलेगा। सैलजा ने कहा था कि एक नेता के तौर पर उनकी भी इच्छा है कि मुख्यमंत्री बनें। हरियाणा में सीएम बनने का रास्ता खुला हुआ है। कांग्रेस ने किसी को सीएम चेहरा नहीं घोषित किया है। इस बीच मतदान से दो दिन पहले ही दलित नेता अशोक तंवर की कांग्रेस में घरवापसी हो गई। बीजेपी भी दलित वोटों पर फोकस कर रही है। उच्च शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण के लिए राज्य सरकार ने वंचित अनुसूचित जाति नाम से नया ग्रुप बनाया है। इसमें कोटा के अंदर कोटा की व्यवस्था है। वाल्मीकि, बाजीगर और धनक जैसे 36 समुदाय इसमें शामिल हैं।

डेरा

हरियाणा में डेरा फैक्टर का असर हर चुनाव में रहता है।  डेरा सच्चा सौदा की 38 शाखाओं में से 21 हरियाणा में हैं। उसके अनुयायियों की अनुमानित संख्या सवा करोड़ के आसपास है। 6 जिलों की 26 विधानसभा सीटों पर डेरा का काफी प्रभाव है। फतेहाबाद, कैथल, कुरुक्षेत्र, करनाल, सिरसा और हिसार में डेरा के अनुयायी अच्छी संख्या में हैं। डेरा की एक राजनीतिक शाखा भी है, जो इसके प्रमुख गुरमीत राम रहीम के निर्देशन में काम करती है। हरियाणा में डेरा के लाखों अनुयायी हैं। पिछड़ी जातियों में भी उसके फॉलोअर्स हैं। डेरा की पॉलिटिकल विंग मतदान से पहले कई बार निर्देश जारी करती है। 2014 में डेरा सच्चा सौदा ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजेपी का समर्थन किया था। हालांकि गुरमीत राम रहीम को सजा और जेल होने के बाद डेरा फैक्टर थोड़ा कमजोर जरूर पड़ा है। चुनाव के बीच गुरमीत राम रहीम की पैरोल भी विवाद का मुद्दा रही है। 30 सितंबर को राम रहीम को 20 दिन के लिए एक बार फिर पैरोल मिली है।

छोटी पार्टियां-निर्दलीय

राज्य में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद छोटी पार्टियां और निर्दलीय भी किंगमेकर बन सकते हैं। मसलन 2019 के चुनाव में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी ने 10 सीटें जीतकर किंगमेकर की भूमिका अदा की थी। दुष्यंत डिप्टी सीएम भी बने थे। इस बार हिसार से सावित्री जिंदल, रानियां में रणजीत चौटाला, महम से बलराज कुंडू, उचाना में वीरेंद्र घोघड़िया, अंबाला कैंट में चित्रा सरवारा, पानीपत सिटी में रोहिता रेवड़ी, गन्नौर में देवेंद्र कादियान और अंबाला कैंट से चित्रा सरवारा मजबूती से मैदान में हैं। ऐसे में चुनाव के बाद अगर बहुमत के लिए कुछ विधायकों की जरूरत होती है, तो जीतने वाले निर्दलीय अहम होंगे। वहीं अभय चौटाला की आईएनएलडी और दुष्यंत चौटाला की जेजेपी जैसी पार्टी के लिए यह चुनाव अस्तित्व का सवाल है। अगर उसे इस चुनाव में सीटें नहीं मिलती हैं, तो भविष्य की राजनीति पटरी से उतर सकती है।

घोषणा पत्र: वादों के पिटारे में क्या?

बीजेपी

– महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये

– हर घर गृहिणी योजना के जरिए 500 रुपये में रसोई गैस

– हरियाणा के हर अग्निवीर को सरकारी नौकरी की गारंटी

– युवाओं के लिए 2 लाख सरकारी नौकरियों का वादा

– किसानों को 24 फसलों पर एमएसपी की गारंटी

– चिरायु योजना के तहत 10 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज

कांग्रेस

– महिलाओं को दो हजार प्रतिमाह, वृद्धावस्था, विधवा और दिव्यांग पेंशन 6 हजार रुपये

– सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली

– 300 यूनिट फ्री बिजली, 500 रुपये में रसोई गैस

– युवाओं के लिए 2 लाख पक्की नौकरी

– किसानों को एमएसपी की गारंटी

– 25 लाख रुपये तक फ्री इलाज, गरीबों को 100 गज प्लॉट

2019 विधानसभा चुनाव में किसको कितनी सीटें

कुल सीटें- 90

बीजेपी- 40

कांग्रेस- 31

जेजेपी- 10

निर्दलीय और अन्य- 9

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