हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार विवादों में है। वजह है एक शर्मनाक फैसला, जो अब वापस ले लिया गया है। हमने देखा है कि देश में स्वच्छता अभियान के तहत केंद्र की मोदी सरकार ने करोड़ों शौचालय बनवाए हैं। दूसरी तरफ हिमाचल की कांग्रेस सरकार है, जिसने टॉयलेट सीट पर ही टैक्स वसूलने का फरमान जारी कर दिया। चौतरफा फजीहत के बाद सीएम सुक्खू ने मामले पर सफाई देते हुए यू टर्न लिया है। उनका कहना है कि ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ। हालांकि उनकी सरकार के ही प्रतिनिधि कहते हैं कि अधिसूचना जारी हुई थी लेकिन अब इसे रद्द कर दिया गया है। सवाल इस बात का है कि ऐसी शर्मसार कर देने वाली अधिसूचना जारी ही क्यों हुई? पहले आपको बताते हैं विवादित आदेश, फिर मोदी सरकार के स्वच्छ भारत के आंकड़ों पर गौर करेंगे।
क्या है विवादित आदेश
21 सितंबर को सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के जल शक्ति विभाग ने एक अधिसूचना जारी की। इसमें कहा गया, ‘प्रदेश के हर घर/ दुकान/कंपनी को प्रति टॉयलेट सीट का 25 रुपये मासिक शुल्क देना होगा। अगर ज्यादा टॉयलेट सीट है तो हर अतिरिक्त सीट के लिए 25 रुपये और अलग-अलग शुल्क देना होगा।‘ अधिसूचना में आगे कहा गया, ‘अगर पानी और सीवरेज का सरकार से कनेक्शन लिया गया है तो मासिक पानी के बिल का 30 प्रतिशत सीवरेज शुल्क देय होगा। वहीं अगर खुद का पानी कनेक्शन है और सिर्फ सीवरेज कनेक्शन चाहिए तो प्रति टॉयलेट सीट 25 रुपये शुल्क देय होगा।‘ अक्टूबर से मासिक पानी और सीवरेज शुल्क लगाने का जलशक्ति विभाग का प्लान था। महाराष्ट्र के ठाणे में एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘हिमाचल में कांग्रेस सरकार ने तो हद ही कर ही है। हिमाचल में कांग्रेस सरकार ने शौचालय कर लगाया है। एक ओर मोदी कह रहा है- शौचालय बनाओ और ये कह रहे हैं- हम शौचालय पर टैक्स लगाएंगे, यानी कांग्रेस लूट और फरेब का पूरा पैकेज है।’
#WATCH ठाणे, महाराष्ट्र: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "हिमाचल में कांग्रेस सरकार ने तो हद ही कर ही है। हिमाचल में कांग्रेस सरकार ने शौचालय कर लगाया है। एक ओर मोदी कह रहा है- शौचालय बनाओ और ये कह रहे हैं- हम शौचालय पर टैक्स लगाएंगे, यानी कांग्रेस लूट और फरेब का पूरा पैकेज… pic.twitter.com/lOPtZhaKqa
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 5, 2024
मोदी की स्वच्छता क्रांति
तो एक तरफ हिमाचल की सुक्खू सरकार है, जो टॉयलेट टैक्स जैसा शर्मनाक कदम उठाती है, दूसरी ओर देश में पिछले दस साल के दौरान स्वच्छता के मोर्चे पर काफी काम हुआ है। 1901 में कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन के दौरान महात्मा गांधी ने खुद झाड़ू उठाकर सफाई की थी। उन्होंने आजादी से ज्यादा स्वच्छता को महत्वपूर्ण बताया था। गांधी से प्रेरणा लेते हुए नरेंद्र मोदी ने जबसे देश की कमान संभाली है, उन्होंने तमाम मौकों पर स्वच्छता क्रांति की बात की है। लाल किले की प्राचीर से भी पीएम मोदी इसका जिक्र करते रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की जयंती से स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था। इसका मकसद खुले में शौचमुक्त करना (ओडीएफ), गंदे शौचालयों को सही करना और हाथ से मैला ढोने की कुप्रथा पर पूरी तरह रोक लगाना था। 2023-24 में ग्रामीण इलाकों के लिए 7,192 करोड़ और शहरी क्षेत्रों के लिए 5 हजार करोड़ रुपये का आवंटन मोदी सरकार ने किया था। खुले में शौचमुक्त करना सबसे पहली प्राथमिकता थी। 2019 में भारत को खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) देश घोषित किया गया था। मोदी सरकार अब गांवों को ओडीएफ प्लस बनाने की दिशा में काम कर रही है। इसके लिए ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली की भी आवश्यकता है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 93 प्रतिशत गांवों ने यह दर्जा हासिल कर लिया है।
For years, PM @narendramodi’s Mann Ki Baat radio address has inspired change, and one of the most powerful messages has been on Swachhata. Through collective effort, collective goodness, and collective cleanliness, we’ve built a Swachh Bharat! #10YearsOfSwachhBharat pic.twitter.com/PUkw0ieDDK
— narendramodi_in (@narendramodi_in) October 2, 2024
स्वच्छ भारत मिशन: 12 करोड़ से ज्यादा शौचालय बने
पिछले 10 साल के दौरान स्वच्छ भारत मिशन के तहत 12 करोड़ से ज्यादा घरों में शौचालय का निर्माण हुआ। इससे खुले में शौच की समस्या से निजात मिली है। इस मिशन के तहत स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति भी की जा रही है। हर घर नल योजना के तहत 16 प्रतिशत कवरेज से बढ़कर अब 78 प्रतिशत घरों में साफ पेयजल की सप्लाई हो रही है। वहीं स्वच्छ ऊर्जा के तहत 11 करोड़ से ज्यादा परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन मिला है। पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान के दस साल पूरे होने पर इसे दुनिया का सबसे बड़ा जन आंदोलन बनाते हुए कहा, ‘स्वच्छ भारत मिशन जितना सफल होगा उतना ही हमारा देश चमकेगा। आज से 1000 साल बाद भी जब 21वीं सदी के भारत का अध्ययन होगा तो उसमें स्वच्छ भारत अभियान को जरूर याद किया जाएगा। स्वच्छ भारत इस सदी में दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे सफल जन भागीदारी वाला जन आंदोलन है। देखते ही देखते करोड़ों भारतीयों ने कमाल करके दिखाया। देश में 12 करोड़ से अधिक टॉयलेट बनाए। स्वच्छ भारत मिशन से देश के आमजन के जीवन पर जो प्रभाव पड़ा है, वो अनमोल है। एक स्टडी में सामने आया है कि स्वच्छ भारत मिशन से हर वर्ष 60 से 70 हजार बच्चों का जीवन बच रहा है।‘
गंदगी मिटने से कैसे जीवन की सुरक्षा होती है, देशभर में इसके अनेक उदाहरण देखने को मिले हैं। pic.twitter.com/Q6k7ci3Wxf
— Narendra Modi (@narendramodi) October 2, 2024
स्वच्छता क्रांति से शिशु मृत्यु दर में गिरावट
अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक रिसर्च के मुताबिक शौचालय निर्माण में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल करने से शिशु मृत्यु दर में गिरावट आई है। रिसर्च के अनुसार 2015 से 2020 के बीच शिशु मृत्यु दर में तकरीबन 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। अनुमान है कि इससे हर साल 60 से 70 हजार नवजात बच्चों को मौत के मुंह में जाने से बचा लिया गया। स्कूल ड्रॉप करने वाली बच्चियों की संख्या में भी इससे गिरावट आई है। पहले शौचालय की उपलब्धता नहीं होने की वजह से बहुत सारी लड़कियों को मजबूरन स्कूल छोड़ना पड़ता था। लेकिन अब मोदी की स्वच्छता क्रांति का असर बच्चियों की तालीम पर भी सीधे तौर पर पड़ रहा है।
Know with data how India overcame a sanitation crisis through the #SwachhBharatMission, building over 12 crore toilets, saving lives of mothers and children, creating jobs, and ensuring dignity for all, regardless of class or status. (1/1)#GandhiJayanti #NewIndiaJunction pic.twitter.com/uyiyzo5ed8
— New India Junction (@nijunction) October 2, 2024
अब सुक्खू सरकार का यू टर्न
सोशल मीडिया और विपक्ष की आलोचनाओं से घिरी सुक्खू सरकार ने अब टॉयलेट टैक्स का फैसला वापस लिया है। सीएम तो कह रहे हैं कि ऐसा कोई आदेश हुआ ही नहीं। हिमाचल जल शक्ति विभाग के अडिशनल चीफ सेक्रेटरी ओंकारचंद शर्मा ने सफाई देते हुए कहा, ‘अधिसूचना जारी होने के बाद हम डिप्टी सीएम के पास फाइल लेकर गए थे। उन्होंने कहा कि टॉयलेट शुल्क लगाना सही नहीं है, इसलिए अधिसूचना को रद्द कर दिया गया है।‘ सीएम सुक्खू का कहना है, ‘राज्य में टॉयलेट टैक्स नहीं है। 100 रुपये सिर्फ पानी का बिल आता है, वह भी अनिवार्य नहीं होकर वैकल्पिक है।‘
हिमाचल सरकार पर 96 हजार करोड़ का कर्ज
हिमाचल की सुक्खू सरकार गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही है। हिमाचल सरकार पर अभी 96 हजार करोड़ का कर्ज है। वित्तीय हालत किस कदर खस्ता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के इतिहास में पहली बार सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह और पेंशन का भुगतान देरी से हुआ। यही नहीं मंत्रियों के वेतन भुगतान को भी दो महीने के लिए टाल दिया गया। ऐसे में सुक्खू सरकार आर्थिक संसाधन जुटाने की जुगत कर रही है, लेकिन इस तरह के टॉयलेट टैक्स जैसे कदम तो फजीहत ही कराएंगे।