लंबे समय से गाजा में हमास और लेबनान में हिज्बुल्लाह से जंग लड़ रहे इजरायल के सामने ईरान नई चुनौती के तौर पर सामने आया है। ईरान ने इजरायल पर सैंकड़ों मिसाइलों के साथ अपना अब तक का सबसे बड़ा सीधा हमला कर दिया है जिसके बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान को कड़ी प्रतिक्रिया देने की चेतावनी दी है। दोनों देशों के बीच हुए हालिया हमलों और तनातनी के चलते वैश्विक तनाव बढ़ गया है और ईरान व इजरायल के बीच बड़े स्तर पर जंग शुरू होने की आशंका भी जताई जा रही है।
दो दोस्त कैसे बन गए जानी दुश्मन
इजरायल और ईरान के बीच टकराव की जड़ें बेशक वर्षों पुरानी हैं लेकिन दशकों पहले ऐसा भी समय था जब दोनों देश अच्छे दोस्त माने जाते थे। इज़रायल और ईरान के बीच दुश्मनी की शुरुआत 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद हुई थी। अयातुल्ला रुहोल्लाह खुमैनी के नेतृत्व में हुई इस क्रांति से पहले ईरान में राजशाही थी और उसे ईरान के राजा को मध्य-पूर्व के क्षेत्र में अमेरिका का अच्छा दोस्त माना जाता था।
रुहोल्लाह खुमैनी ने ईरान के अंतिम शासक शाह मोहम्मद रजा पहलवी को सत्ता से बेदखल कर इस्लामिक क्रांति की शुरुआत की और इसके बाद इजरायल को ‘शैतान’ घोषित कर उसके साथ सभी कूटनीतिक संबंध तोड़ लिए। इससे पहले, 1948 में जब दुनिया के नक्शे पर इजरायल का जन्म हुआ था तो उस दौरान तुर्किये (तुर्की) के बाद उसे मान्यता देने वाला ईरान दूसरा मुस्लिम बाहुल्य देश था।
इस्लामी क्रांति से पहले ईरान में पहलवी राजवंश का शासन था और दोनों देशों के बीच कूटनीतिक, आर्थिक और सैन्य संबंध बहुत मज़बूत थे। दोनों देशों ने एक-दूसरे के यहां अपने राजदूत नियुक्त किए और उस समय ईरान, इजरायल के लिए तेल का प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन गया था।
दशकों से प्रॉक्सी युद्ध लड़ रहे हैं दोनों देश
इस्लामिक क्रांति के बाद खराब हुए दोनों देशों के संबंध लगातार बिगड़ते ही चले गए। इज़रायल और ईरान के बीच कभी सीधा युद्ध नहीं हुआ है लेकिन दोनों राष्ट्र दशकों से प्रॉक्सी युद्ध लड़ रहे हैं। इजरायल और ईरान के बीच कई बार गुप्त और साइबर अटैक हुए हैं। इजरायल ने अब तक के सबसे बड़े साइबर हमले ‘स्टक्सनेट’ के ज़रिए ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नुकसान पहुंचाया था।
इजरायल लंबे समय से आरोप लगाता रहा है कि ईरान ने सीरिया, इराक, लेबनान और यमन में राजनीतिक और सशस्त्र समूह खड़े किए और उन्हें आर्थिक मदद भी दी। रुहोल्लाह खुमैनी पर हमास और हिज्बुल्लाह जैसी इजरायल विरोधी सशस्त्र समूहों को मदद देने के आरोप हैं। वर्ष 2000 के आस-पास ईरान का परमाणु कार्यक्रम इजरायल के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया था और कई बार उसने ईरान को धमकी भी दी थी।
दूसरी ओर इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद से जुड़े लोगों पर ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े कई वैज्ञानिकों की हत्या का भी आरोप है।
कितनी है दोनों देशों की सैन्य ताकत
‘ग्लोबल फायर पावर’ ने सैन्य ताकत से जुड़ी दुनिया के 145 देशों की सूची में ईरान और इजरायल को क्रमश: 14वां और 17वां स्थान दिया है। कार्यरत सैनिकों की संख्या के मामले में ईरान के सामने इजरायल कहीं नहीं ठहरता है जहां इजरायल के पास 1.70 लाख सैनिक हैं वहीं ईरान के पास इससे 3 गुना से अधिक 6.10 लाख सैन्य कर्मी कार्यरत हैं। वहीं दूसरी ओर रिजर्व सैन्य कर्मियों के मामले में इजरायल ईरान से आगे है और उसके पास ईरान के 3.5 लाख कर्मियों के मुकाबले 4.65 लाख रिजर्व सैन्य कर्मी हैं।
इजरायल और ईरान की हवाई और जमीनी युद्धक क्षमता
‘ग्लोबल फायर पावर’ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इजरायल के पास 241 फाइटर एयरक्राफ्ट, 12 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, 146 हेलिकॉप्टर्स और 48 अटैक हेलिकॉप्टर्स समेत कुल 612 एयरक्राफ्ट हैं। वहीं, ईरान के पास 186 फाइटर एयरक्राफ्ट, 86 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, 129 हेलिकॉप्टर्स और 13 अटैक हेलिकॉप्टर्स समेत कुल 612 एयरक्राफ्ट हैं। जमीनी क्षमता की बात करें तो इजरायल के पास 1,370 टैंक, 43,407 आर्मर्ड व्हीकल, 650 सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी और 150 मोबाइल रॉकेट प्रोजेक्टर्स हैं जबकि ईरान के पास 1,996 टैंक, 65,765 आर्मर्ड व्हीकल, 580 सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी और 775 मोबाइल रॉकेट प्रोजेक्टर्स हैं।
दोनों देशों की सबसे बड़ी ताकत
माना जाता है कि ईरान की सबसे बड़ी ताकत उसकी बैलेस्टिक मिसाइलें हैं। ‘न्यूज़18’ ने अमेरिकी खुफिया निदेशालय की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि पूरे मिडिल ईस्ट में ईरान ऐसा देश है जिसके पास सबसे ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। 1980 के दशक में पड़ोसी देश इराक से लड़ाई के दौरान ईरान ने अपने मिसाइल सिस्टम पर काम करना शुरू किया और फिर अगले एक दशक में ईरान से छोटी दूरी की सैकड़ों मिसाइलें डेवलप कर ली हैं।
ईरान के पास ‘सेजिल’, ‘खैबर’ और ‘हज कासेम’ जैसी मिसाइलें हैं। वहीं, इजरायल की सबसे बड़ी ताकत मिसाइलों को नष्ट करने की ‘आयरन डोम’ और ‘डेविड्स स्लिंग’ जैसी प्रणालियां हैं। इनके ज़रिए इजरायल मिसाइलों, रॉकेट और ड्रोन को हवा में ही मार गिराता है।