बेंगलुरु: कर्नाटक में वक्फ बोर्ड से जुड़ा विवाद सामने आया है। वक्फ बोर्ड ने विजयपुरा जिले में किसानों की 1200 एकड़ जमीन पर दावा ठोक दिया है। वहीं इलाके के किसानों का कहना है कि सदियों से यह जमीन उनके परिवारों की है। इस पर वह खेती करते चले आ रहे हैं। हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है, जब वक्फ बोर्ड ने ऐसा दावा किया है। दो साल पहले तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने हिंदू बहुल एक गांव पर अपना दावा जताया था। उधर किसानों ने इस मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई छेड़ दी। विजयपुरा डिप्टी कमिश्नर कार्यालय के सामने किसानों ने वक्फ बोर्ड के दावे पर गुस्से का इजहार करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। मामले के तूल पकड़ने के बाद राज्य के उद्योग मंत्री एमबी पाटिल की सफाई सामने आई। उनका कहना है कि होनावड़ा गांव में 1200 एकड़ जमीन वक्फ संपत्ति नामित होने का भ्रम गजट नोटिफिकेशन की गलती की वजह से हुआ है। अब भले ही कर्नाटक सरकार गलती की बात कर रही हो, लेकिन सवाल है कि कहीं ऐसा तुष्टीकरण नीति की वजह से तो नहीं हुआ?
कैसे हुई इतनी बड़ी गलती?
कर्नाटक सरकार के मंत्री एमबी पाटिल ने कहा कि विजयपुरा जिले के होनावड़ा, टिकोटा तालुक में स्थित 1200 एकड़ जमीन का सिर्फ 11 एकड़ हिस्सा वक्फ प्रॉपर्टी है। वहीं बाकी 1189 एकड़ जमीन किसानों की है। पाटिल का कहना है कि 11 एकड़ में से 10 एकड़ और 14 गुंठा जमीन में कब्रिस्तान है। इसके अलावा एक ईदगाह, मस्जिद और बाकी ढांचे 24 गुंठा में हैं। इतनी बड़ी चूक के पीछे उन्होंने अधिसूचना में गलती की दलील दी है। सवाल इस बात का है कि एकतरफा अधिसूचना जारी कैसे हो गई। अधिसूचना जारी करने से पहले अफसरों की पूरी टीम जांच-परख करती है। 2016 में जब गजट नोटिफिकेशन जारी हुआ था, उस समय भी सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी।
Thousands of farmers in Karnataka's Vijayapur district have received notices that their land is now the property of the Wakf Board. Additionally, government and Waqf Board documents have been altered, transferring ownership of farmers' land to the Waqf.
Waqf is an illegal… pic.twitter.com/5BOgwdF6Yw
— ಸನಾತನ (@sanatan_kannada) October 28, 2024
एमबी पाटिल का कहना है, ‘विजयपुरा जिले में वक्फ संपत्तियों पर गजट अधिसूचना 1974, 1978 और 2016 में जारी की गई थीं। विजयपुरा के महालबागयता में वक्फ संपत्ति मौजूद है। गजट में महालबागयता के बाद होनावड़ा का नाम गलती से ब्रैकेट में जोड़ दिया गया था।‘ पाटिल ने ये भी कहा कि किसानों ने जब यह मुद्दा उठाया तो उन्होंने 19 अक्टूबर को जिला कलेक्टर, तहसीलदार और दूसरे अफसरों के साथ बैठक की। उन्होंने अफसरों को इसे सुलझाने के निर्देश दिए।
तुष्टीकरण के आरोप
किसानों का कहना है कि कुछ दिन पहले कर्नाटक के वक्फ मंत्री जमीर अहमद विजयपुरा आए थे। उनके आने के तुरंत बाद वक्फ बोर्ड ने किसानों को वक्फ प्रॉपर्टी का दावा जताते हुए नोटिस दे दिया। ऐसे में एक सवाल यह भी है कि क्या कांग्रेस सरकार ने तुष्टीकरण नीति के तहत ऐसा किया? उधर राज्य के संसदीय कार्य और कानून मंत्री एचके पाटिल ने सोमवार को किसानों को जारी हुए नोटिस वापस लेने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि गलती का पता लगाने के लिए जांच चल रही है और जो भी इस मामले में जिम्मेदार होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, ‘मैंने जब यह मुद्दा उठाया, उसके बाद कर्नाटक सरकार ने वक्फ बोर्ड द्वारा किसानों को भेजे गए नोटिसों को वापस लेने का फैसला किया है। यह केवल एक अल्पकालिक राहत है। सबसे बड़ी शरारत वक्फ मंत्री जमीर द्वारा गठित वक्फ अदालतों में है। वे प्रभावी रूप से कंगारू अदालतें (नकली अदालतें, जिसमें कानून और न्याय के सिद्धांतों की अवहेलना होती है) हैं। हम तब तक लड़ेंगे, जब तक कि उन्हें खत्म नहीं कर दिया जाता।‘
After I raised this issue, the Karnataka Govt has decided to withdraw the notices sent by Waqf Board to the farmers. This is only a short term relief.
The big mischief is in the Waqf Adalats that Waqf Minister Zameer has constituted. They are effectively Kangaroo courts. We… pic.twitter.com/Xja4rg4AHD
— Tejasvi Surya (@Tejasvi_Surya) October 28, 2024
कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा, ‘पीढ़ियों से जमीन के मालिक और खेती कर रहे किसानों को नोटिस जारी करने में वक्फ बोर्ड का दुस्साहस मंजूर नहीं है। यह कार्रवाई कांग्रेस सरकार द्वारा पोषित हो रही निरंतर तुष्टीकरण की नीतियों का प्रत्यक्ष नतीजा है।‘
जिन किसानों को भाजपा के खिलाफ भड़काया, वही विरोध में उतरे
कांग्रेस इस मामले में किसानों के मोर्चे पर नाकाम नजर आ रही है। जिन किसानों को एक साल पहले विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने सपने दिखाए थे, वहीं किसान कांग्रेस सरकार के खिलाफ विरोध में उतर आए। विधानसभा चुनाव के दौरान किसानों को भ्रमित करने का प्रयास किया गया था। विजयपुरा में विधानसभा की 8 सीटें हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान इनमें से 6 सीटें कांग्रेस ने जीती थीं, जबकि जेडीएस और बीजेपी को सिर्फ 1-1 सीट मिल पाई थी। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस क्षेत्र में कांग्रेस को भारी बढ़त मिली। साढ़े सात हजार से लेकर 30 हजार से ज्यादा वोटों के मार्जिन से कांग्रेस के उम्मीदवार यहां जीते थे।
वक्फ बोर्ड
अरबी भाषा के शब्द वक्फ का मतलब है खुदा के नाम पर अर्पित वस्तु या जन उपकार के लिए धन का दान। वक्फ बोर्ड के तहत चल और अचल दोनों संपत्तियां आती हैं। मुस्लिम धर्म को मानने वाला कोई व्यक्ति जमीन, मकान, पैसा या कोई दूसरी कीमती वस्तु वक्फ को दान कर सकता है। इन संपत्तियों के रख-रखाव और प्रबंधन के लिए स्थानीय से राष्ट्रीय स्तर पर वक्फ बॉडी होती हैं। 1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में वक्फ ऐक्ट पास हुआ था। इसका उद्देश्य वक्फ के कामकाज को सरल बनाना था। इस ऐक्ट के प्रावधानों के मुताबिक 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद बनाई गई, जो अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन है। देश में कुल 30 वक्फ बोर्ड हैं और ज्यादातर के मुख्यालय दिल्ली में स्थित हैं। केंद्र सरकार की सेंट्रल वक्फ काउंसिल इन बोर्डों के साथ तालमेत रखते हुए काम करती है। 1995 में वक्फ ऐक्ट में बदलाव के बाद हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड के गठन की इजाजत दी गई। अनुमानित आंकड़ा है कि वक्फ बोर्ड के पास 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है। इन जमीनों में अधिकतर मदरसा, मस्जिद और कब्रिस्तान हैं। अगर जमीन की बात की जाए तो रेलवे और कैथोलिक चर्च के बाद वक्फ बोर्ड तीसरे नंबर पर है। लोकसभा में अल्पसंख्यक मंत्रालय ने बताया था कि दिसंबर 2022 तक वक्फ बोर्ड के पास कुल 8,65,644 अचल संपत्तियां थीं। वक्फ बोर्ड को ज्यादातर संपत्ति मुस्लिम शासन के दौरान मिली। बंटवारे के वक्त पाकिस्तान जाने वाले बहुत सारे मुसलमानों ने अपनी संपत्ति वक्फ को दान की थी।
क्फ संपत्ति पर विवाद
वक्फ की संपत्ति को लेकर अंग्रेजों के जमाने से विवाद रहा है। वक्फ संपत्ति पर कब्जे का विवाद लंदन में प्रिवी काउंसिल तक पहुंचा था। ब्रिटेन में चार जजों की बेंच ने वक्फ को अवैध घोषित कर दिया था। हालाकिं भारत की ब्रिटिश सरकार ने मुस्लिम वक्फ वैलिडेटिंग ऐक्ट 1913 के जरिए वक्फ को बचा लिया था। वक्फ बोर्ड के अधिकारों को लेकर विवाद रहता है। वक्फ बोर्ड को अधिकार है कि वह किसी संपत्ति की जांच कर सकता है। अगर किसी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड ने दावा ठोक दिया तो उसे पलटना कठिन होता है। वक्फ ऐक्ट के सेक्शन 85 में लिखा है कि उसके निर्णय को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती।
संसद में वक्फ संशोधन बिल
संसद में इसी साल 8 अगस्त को वक्फ (संशोधन) बिल 2024 लाया गया है। अभी यह लोगों के विचार और सुझाव लेने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया है। यह बिल वक्फ बोर्ड ऐक्ट 1995 को संशोधित करता है। सितंबर 2022 में, तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने हिंदू बहुल तिरुचेंदुरई गांव पर अपना दावा जताया था। यह बिल कहीं न कहीं वक्फ बोर्ड की मनमानी पर नकेल भी लगाएगा। बिल में किसी वक्फ प्रॉपर्टी को जिला कलेक्टर कार्यालय में पंजीकृत कराने का प्रस्ताव है। बिल में मौजूदा वक्फ कानून में 40 संशोधनों का प्रस्ताव है। इसके जरिए वक्फ बोर्ड का कामकाज और संरचना बदलने के लिए धारा 9 और 14 में बदलाव किया जाना है। महिलाओं के प्रतिनिधित्व को भी संशोधनों में शामिल किया गया है। विवादों को निपटाने के लिए वक्फ बोर्डों की ओर से दावे वाली संपत्तियों का नया सत्यापन होगा। जिला मजिस्ट्रेट वक्फ संपत्तियों की निगरानी में शामिल हो सकते हैं। वक्फ बोर्डों को सभी संपत्ति दावों के लिए अनिवार्य सत्यापन कराना होगा।