महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ कहे जाने को लेकर अक्सर लोगों के मतों में भिन्नता रहती है। लोग मानते हैं कि राष्ट्र के रूप में भारत अनादि काल से है तो इसका पिता कोई नहीं हो सकता है। वहीं, कई लोग देश की आजादी की लड़ाई में उनके योगदान को लेकर उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहते हैं। अब ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहे जाने पर सवाल उठाए हैं।
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि ‘राष्ट्रपिता’ नाम की कोई चीज भारत में नहीं है। उनका कहना है कि गांधी का जन्म खुद भारत में हुआ है और ऐसे में उन्हें राष्ट्रपिता कहना गलत होगा।
‘अनादि काल से है भारत’
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भारत के राष्ट्रपिता को लेकर कहा है, “भारत कब से है, यह कोई नहीं जानता। इसको जन्म देने वाला कोई नहीं है।” वहीं, शंकराचार्य ने मोहम्मद अली जिन्ना को पाकिस्तान के राष्ट्रपति बताए जाने को लेकर कहा, “जब पाकिस्तान बना और पाकिस्तान के ‘कायदे आजम’, वहां के राष्ट्रपिता मोहम्मद अली जिन्ना बने, क्योंकि वह नया जन्मा था लेकिन भारत पहले से था।”
बकौल अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, भारत में कोई भी राष्ट्रपिता की पदवी पर प्रतिष्ठित नहीं किया जा सकता है।
‘गांधी को राष्ट्रपिता कहना अफवाह है’
शंकराचार्य ने महात्मा गांधी को भारत का राष्ट्रपिता बताए जाने को अफवाह बताया है। उन्होंने कहा, “लोग अफवाह फैलाते हैं और मोहनदास करमचंद गांधी को राष्ट्रपिता बताते हैं।”
शंकराचार्य ने सवाल किया कि गांधी ने भारत को जन्म दिया है या वे खुद भारत में जन्मे हैं। उन्होंने कहा, “अगर महात्मा गांधी राष्ट्रपिता होंगे, तो उनसे प्रश्न होगा कि बताओ तुमने किस राष्ट्र को जन्म दिया। अगर भारत राष्ट्र को जन्म दिया औ तो भारत राष्ट्र में तो तुम जन्मे थे। वो तो तुम्हारे जन्म से पहले से था। तो तुमने क्या जन्म दिया।”
महात्मा गांधी को किसने कहा था ‘राष्ट्रपिता’
आमतौर पर लोगों में यह धारणा है कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने सबसे पहले महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहा था लेकिन असल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सबसे पहले उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा था। दरअसल, जून 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर से एक रेडियो संदेश भेजा था जिसमें महात्मा गांधी को उन्होंने राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था।
वहीं, महात्मा गांधी के देहांत के बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रेडियो के माध्यम से देश को संबोधित किया था और कहा था कि ‘राष्ट्रपिता अब नहीं रहे’।