ढाका: वह बंगाल जो शक्ति साधना का सबसे बड़ा केंद्र है। जहां मां दुर्गा की आराधना और पूजा सदियों से बहुत धूमधाम से होती है। आज उसी बंगाल के एक हिस्से में मां की साधना के आड़े आ रही हैं कट्टरपंथी ताकतें। एक ऐसा देश जिसका जन्म ही भारत की बदौलत हुआ, आज वह हिंदुओं के लिए नासूर बनता जा रहा है। जो पूर्वी बंगाल बंटवारे के वक्त पाकिस्तान को मिला था, वहां जब अत्याचार और दमन का सिलसिला शुरू हुआ, तो भारत ही आगे आया। नतीजा 1971 में पाकिस्तान से कटकर एक राष्ट्र बनता है बांग्लादेश। हाल ही में वहां तख्तापलट हुआ और प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी। इस बीच वहां कट्टरपंथी ताकतें तेजी से हावी होती चली गईं। आज हाल यह है कि दुर्गा पूजा जैसे पर्व पर हिंदू समुदाय डर और दहशत में है। मोहम्मद यूनुस के कमान संभालने के बाद बांग्लादेश का भारत और हिंदू विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है। पहले हिंदुओं को निशाना बनाना, फिर बाढ़ जैसी आपदा के लिए भारत पर तोहमत और अब दुर्गा पूजा में तुगलकी फरमान। यह है नया बांग्लादेश।
बड़ी संख्या में पीछे हटीं पूजा समितियां
शारदीय नवरात्र की 3 अक्टूबर को शुरुआत हो चुकी है। हिंदू समुदाय के लिए आस्था का यह बहुत बड़ा पर्व है। लेकिन बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं को पाबंदियों के बीच दुर्गा पूजा मनानी पड़ रही है। अनुमान है कि बांग्लादेश में हर बार नवरात्र के दौरान 32000 दुर्गा पूजा पंडाल स्थापित किए जाते हैं। लेकिन इस बार वहां ऐसा नहीं हो पा रहा है। सुरक्षा इंतजाम और हमले की आशंका जताते हुए मनमाने प्रतिबंधों के साथ दुर्गा पूजा मनाने की इजाजत मिल रही है। बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार और कट्टरपंथी ताकतों के बवाल की वजह से बड़ी संख्या में दुर्गा पूजा समितियों ने आयोजन नहीं करने का फैसला लिया है। इसके पीछे कई वजहें हैं।
🚨🚨🚨Last night,
Hindus across Bangladesh protested on the streets against the attacks and persecution by jihadists.‼️‼️#SaveBangladeshiHindus pic.twitter.com/KseHN3UUqi
— Bangladeshi Hindus Community🚨🇧🇩 (@Hindubd49346) October 4, 2024
दुर्गा प्रतिमाओं पर हमले
न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में कई जगहों पर दुर्गा प्रतिमाओं पर हमले की घटनाएं सामने आई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार को बत्रिश गोपीनाथ जीउर अखाड़ा में एक नई प्रतिमा खंडित कर दी गई। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोमिला जिले में भी नवनिर्मित दुर्गा प्रतिमा को निशाना बनाया गया है। मंदिर का दानपात्र भी लूट लिया गया। नारायण जिले के मीरापारा में भी कट्टरपंथियों ने कुछ दिन पहले माता के एक मंदिर पर हमला किया था।
Hindus Protest in Dhaka: Stop Temple Attacks, Torture Now! Bangladesh Hindus Unite for Protection! pic.twitter.com/tKgzT62dqq
— Angry Saffron (@AngrySaffron) October 4, 2024
पूजा पंडाल के लिए ‘जजिया कर’
न्यूज 18 की रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि हिंदुओं के बड़ी तादाद में पंडाल स्थापित न करने के पीछे जबरन कर की बात सामने आ रही है। पूजा समितियों से 9 अक्टूबर को पंडाल स्थापित करने से पहले लिखित में प्रति पूजा पंडाल 5 लाख रुपये का ‘जजिया कर’ देने को कहा गया है। इस जबरन धार्मिक टैक्स की वजह से हजारों पूजा समितियों ने आयोजन नहीं करने का फैसला लिया है। जिन पूजा कमिटियों को इजाजत मिली भी है, उनके लिए एक नई शर्त रखी गई है। ऐसी पूजा कमिटियों को नमाज के दौरान शांति बनाए रखने का आदेश दिया गया है। इस शांति का मतलब यह है कि नमाज के बीच न तो पूजा हो सकती है और न ही साउंड सिस्टम या लाउडस्पीकर वगैरह का इस्तेमाल करते हुए भजन बजाया जा सकता है। बांग्लादेश के गृह सलाहकार रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने ऐसी धमकी पहले ही दे दी थी। चौधरी ने कहा था कि अजान और नमाज के वक्त दुर्गा पूजा पंडालों को साउंड सिस्टम बंद करना होगा।
पांच राजदूतों को बुला रहा है बांग्लादेश
इस्लामिक कट्टरपंथ की नई राजधानी बांग्लादेश में ये सारे घटनाक्रम ऐसे वक्त में हो रहे हैं, जब यूनुस की अंतरिम सरकार ने पांच राजदूतों को वापस बुला लिया है। इनमें भारत में तैनात राजदूत भी शामिल हैं। इसके अलावा बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने ब्रसेल्स, कैनबरा, नई दिल्ली, लिस्बन और न्यूयॉर्क में यूएएन के स्थाई मिशन में तैनात राजदूतों को भी ढाका बुलाने का आदेश दिया है।
बांग्लादेश में तख्तापलट और कट्टरपंथी हावी
बांग्लादेश में पांच अगस्त को शेख हसीना को छात्रों के तथाकथित आंदोलन के बाद कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। बदलते घटनाक्रमों से साफ हुआ कि छात्र आंदोलन की आड़ में कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों ने वहां के सिस्टम को हथिया लिया। 1971 के मुक्ति संघर्ष में शामिल लोगों के परिजनों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण के विरोध से वहां तनाव की शुरुआत हुई थी। इसके बाद हिंदुओं पर हमले शुरू हो गए। अगस्त के 15 दिनों के अंदर ही हिंदुओं पर 200 से ज्यादा हमले हुए। इसके साथ ही हिंदुओं से सुरक्षा टैक्स वसूलने की घटनाएं देखने को मिलीं। बांग्लादेश में जिस अंतरिम सरकार का गठन हुआ, उसे सेना का वरदस्त मिला हुआ है। नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस इस सरकार के मुखिया हैं और उनको मुख्य सलाहकार बनाया गया है। जमात-ए-इस्लामी और अंसार-उल-बांग्ला जैसे कट्टरपंथी तत्व वहां मजबूत हुए हैं। वहीं अंसार-उल-बांग्ला के मुखिया मौलाना जसीमुद्दीन रहमानी को भी रिहा कर दिया गया, जो अक्सर भारत के खिलाफ जहर उगलता रहा है।