आप हैरान होंगे कि इस सर्वे में सबसे ज्यादा वोट रतन टाटा को मिले। जब क्रू से वजह पूछी गई तो बताया गया कि अकेले वीआईपी थे जो अकेले चलते थे। उनके साथ उनका बैग उठाने के लिए भी कोई असिस्टेंट नहीं होता था। उन्होंने कभी भी किसी फ़्लाइट अटेंडेंट या क्रू को डांटा नहीं, डिमांडिंग नहीं रहे।
रोल्स-रॉयस कार की जगह स्कूल से पैदल आते थे
हम आपको बता रहे हैं रतन टाटा के जीवन के कुछ अनसुने किस्से। यह किस्सा लग्ज़री कार रोल्स रॉयस से जुड़ा है। अक्सर रोल्स रॉयस को लेकर लोगों में एक जुनून होता है लेकिन रतन टाटा ऐसे नहीं थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने स्कूल के दिनों का एक किस्सा याद करते हुए बताया था कि जब वो 10 साल के थे, तभी उनके पिता और मां का तलाक हो गया था, बाद में दोनों ने ही अलग अलग शादियां कर लीं।
ऐसे में रतन टाटा की परवरिश उनकी दादी ने की। दादी उन्हें स्कूल से लाने के लिए अपनी रोल्स रॉयस कार भेजती थीं लेकिन रतन टाटा को उस लक्जरी गाड़ी में बैठने में शर्म आती थी और वो अक्सर पैदल ही घर जाते थे।
रतन टाटा की लव स्टोरी, चीन के कारण टली शादी
रतन टाटा नहीं रहे लेकिन उनकी कहानियां सदियों तक रहेंगी। ऐसी ही एक कहानी है उनकी लव स्टोरी को लेकर। वे ताउम्र अविवाहित ही रहे। लेकिन ऐसा नहीं है कि वो प्रेम में नहीं पड़े। उन्होंने बताया था कि चार बार ऐसे मौके आए जब वो प्रेम में थे और शादी करने के काफी करीब थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। और एक बार तो इसकी वजह बना भारत-चीन का युद्ध। उनकी एक लव स्टोरी अमेरिका के लॉस ऐंजिलिस में शुरू हुई थी। वो बताते हैं कि उनके पास अपना घर और अपनी गाड़ी थी। वहां उनकी एक गर्लफ्रेंड भी बनी, जिससे वो शादी करना चाहते थे।
लेकिन, उसी वक्त उनकी दादी की तबियत काफी खराब हो गई, उन्हें दादी के कहने पर भारत लौटना पड़ा। लेकिन उस वक्त तक भारत-चीन के बीच युद्ध शुरू हो चुका था। और उनकी प्रेमिका के पिता ने उसे भारत भेजने से साफ इनकार कर दिया। इस तरह उनका ये रिश्ता आगे नहीं बढ़ सका। उनकी प्रेम कहानी का दूसरा किस्सा मशहूर एक्ट्रेस सिमी ग्रेवाल से जुड़ा है। सिमी ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि उन्होंने कुछ वक्त के लिए रतन टाटा को डेट किया था। उनके निधन के बाद सिमी ग्रेवाल ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी है।
जानवरों से ऐसा लगाव कि रतन टाटा ने ठुकरा दिया किंग का निमंत्रण
रतन टाटा का लोगों से जुड़ाव तो हमने देखा है, लेकिन उनका जानवरों से लगाव किस हद तक था ये आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। उनके पास दो जर्मन शैफ़र्ड कुत्ते थे ‘टीटो’ और ‘टैंगो’। एक बार की बात है कि 6 फ़रवरी, 2018 को ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्स बकिंघम पैलेस में रतन टाटा को चैरिटी के लिए एक लाइफ़टाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार देने वाले थे। मशहूर कारोबारी और लेखक सुहैल सेठ भी वहां पहुंच रहे थे। सुहैल बताते हैं कि वो हीथ्रो एयरपोर्ट पर पहुंचे ही थे कि रतन टाटा ने उन्हे फोन किया और बोला कि वो अवार्ड लेने नहीं आ पाएंगे।
सेठ ने पूछा कि क्यों। तो रतन टाटा ने बताया कि उनके कुत्ते टीटो की तबियत खराब है और वो उसे छोड़कर नहीं आ सकते। सेठ ने जब प्रिंस चार्ल्स को ये कहानी बताई तो उन्होंने कहा ये होते हैं असली मर्द। उन्हें आवारा कुत्तों से भी प्रेम था। और जब भी वो अपने दफ़्तर बॉम्बे हाउस पहुंचते थे, सड़क के आवारा कुत्ते उन्हें घेर लेते थे और उनके साथ लिफ़्ट तक जाते थे। ये कुत्ते बेरोकटोक अक्सर बॉम्बे हाउस की लॉबी में टहला करते थे।
रतन टाटा की दौलत की बात हम जानते हैं उन्होंने हज़ारों करोड़ का दान दिया। टाटा ग्रुप की कुल कमाई पाकिस्तान की जी़ड़ीपी से भी ज्यादा है, लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि उन्होने कॉलेज के दिनों में बर्तन धोकर अपने लिए पैसे जुटाए थे। रतन टाटा ने कूमी कपूर को दिए इंटरव्यू में बताया था कि उन दिनों वो अमेरिका में पढ़ाई कर रहे थे, जबकि विदेश में पढ़ने के लिए रिज़र्व बैंक काफी कम डॉलर के इस्तेमाल की मंजूरी देता था।
रतन टाटा ने बताया कि उनके पिता ब्लैक में डॉलर खरीद कर कानून तोड़ने के फेवर में नहीं थे, ऐसे में अक्सर होता था कि महीना ख़त्म होने से पहले मेरे सारे पैसे ख़त्म हो जाते थे। कभी कभी मुझे अपने दोस्तों से पैसे उधार लेने पड़ते थे। कई बार तो कुछ अतिरिक्त पैसे कमाने के लिए मैंने बर्तन तक धोए।