जहां बना है भगवान शिव के आंसुओं का कुंड, यक्ष ने पांडवों से पूछे थे सवाल…जानिए कैसा है पाकिस्तान के कटासराज मंदिर का हाल

भगवान शिव को समर्पित कटासराज मंदिर हिंदुओं के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है

कटासराज मंदिर पाकिस्तान

पाकिस्तान का कटासराज मंदिर

भारत के बंटवारे के बाद से पाकिस्तान में स्थित हिंदू मंदिरों की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। कई मंदिर ऐसे हैं जिन्हें तोड़कर वहां पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनवा दिए गए तो वहीं कुछ मंदिरों पर अतिक्रमण कर लिया गया। हालांकि पाकिस्तानी हिंदुओं के साहस और जिद के चलते कई मंदिर अब भी सुरक्षित हैं। इन्हीं में से एक है 5000 साल पुराना कटासराज मंदिर।

इतिहास

भगवान शिव को समर्पित कटासराज मंदिर हिंदुओं के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव के मना करने के बाद भी माता सती अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में चली गईं थीं। जहां दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का अपमान कर दिया। माता सती भगवान शिव का अपमान सहन नहीं कर सकीं और यज्ञ कुंड में कूदकर भस्म हो गईं। इस घटना से भगवान शिव बेहद दुखी हुए। दुख के कारण उनके आँसू बहने लगे। इन्हीं आँसुओं की एक बूंद कटासराज में तो वहीं दूसरी बूंद राजस्थान के तीर्थ क्षेत्र पुष्कर में गिरी थी। भगवान शिव के अश्रु की बूंद कटासराज में गिरने से वहां एक कुंड का निर्माण हो गया था। इस कुंड को कटाक्ष कुंड के नाम से जाना जाता है। यह कुंड आज भी कटासराज में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं।

कहा जाता है कि हिमालय राज दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव पर कटाक्ष किए थे, इस कारण ही कुंड का नाम कटाक्ष कुंड पड़ा और इस स्थान को कटाक्षराज कहा जाता था। लेकिन बाद में यह अपभ्रंश होकर कटासराज हो गया और अब इसे इस नाम से ही जाना जाता है। इस कुंड का उल्लेख महाभारत काल में भी मिलता है। महाभारत काल की सबसे चर्चित घटना ‘यक्ष प्रश्न’ इसी कुंड के किनारे हुई थी।

महाभारत में वर्णन है की वनवास के दौरान पांडव भ्रमण कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें प्यास लगी तो युधिष्ठिर ने अपने सबसे छोटे भाई सहदेव को पानी लेने के लिए भेजा। सहदेव पानी लेने के लिए जिस कुंड के पास पहुंचे थे वह कटाक्ष कुंड ही था। सहदेव जैसे ही पानी लेने के लिए कुंड में गए उन्हें एक आवाज सुनाई दी। आवाज में सहदेव से कहा गया था की यदि वह पानी लेना चाहते हैं तो उन्हें प्रश्नों का उत्तर देना होगा। लेकिन सहदेव ने इस आवाज पर ध्यान नहीं दिया और पानी पीने लगे। इससे वह तुरंत ही मूर्छित हो कर गिर गए। इसी प्रकार क्रमश: नकुल, अर्जुन और भीम भी पानी लेने गए और मूर्छित हो गए। अंत में युधिष्ठिर आए और उन्होंने यक्ष के सभी प्रश्नों का उत्तर दे दिया।

यक्ष के प्रश्न और उस पर युधिष्ठिर के जवाब कुछ इस प्रकार थे:

यक्ष प्रश्न: पृथ्वी से भी भारी और आकाश से ऊंचा क्या है? युधिष्ठिर का उत्तर: माता पृथ्वी से भी भारी है और पिता आकाश से भी ऊंचे हैं।

यक्ष प्रश्न: हवा से भी तेज चलने वाला क्या है और तिनकों से भी ज्यादा संख्या किसकी है? युधिष्ठिर का उत्तर: मन हवा से भी तेज चलता है और चिंता की संख्या तिनकों से भी ज्यादा है।

यक्ष प्रश्न: रोगी का मित्र कौन है और मृत्यु के समीप व्यक्ति का मित्र कौन है? युधिष्ठिर का उत्तर: वैद्य रोगी का मित्र है और मृत्यु के समीप व्यक्ति का मित्र दान होता है।

यक्ष प्रश्न: यश का मुख्य स्थान क्या है और सुख का मुख्य स्थान क्या है? युधिष्ठिर का उत्तर: यश का मुख्य स्थान दान है और सुख का मुख्य स्थान शील है।

इसके बाद यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछा कि वह अपने 4 भाइयों में से किसे जीवित देखना चाहते हो? इस पर युधिष्ठिर ने कहा कि माता कुंती का एक पुत्र मैं जीवित हूँ। इसलिए माता माद्री का भी एक पुत्र नकुल जीवित रहना चाहिए। युधिष्ठिर की बात सुनकर यक्ष प्रसन्न हो गए और वह धर्मराज के रूप में अपने वास्तविक स्वरूप में आकर कहा, हे युधिष्ठिर, मैं तुम्हारे विचारों से अत्यन्त प्रसन्न हूं। इसलिए अब मैं तुम्हारे सभी भाइयों को जीवित करता हूं।

वास्तुकला

कटासराज मंदिर में सतग्रह यानी सात प्राचीन मंदिरों का समूह है। इसके अलावा, पांच अन्य मध्ययुगीन मंदिर भी यहां बने हुए हैं। कुल मिलाकर कटाक्ष कुंड के किनारे 12 मंदिरों का उल्लेख मिलता है। कटासराज मंदिर के चबूतरे आयताकार आकृति में बने हैं। इन चबूतरों के ऊपर चूड़ीदार खंभों का निर्माण किया गया है, इन खंभों के ऊपर धारीदार गुंबदों की स्थापना की गई है। सातों प्राचीन मंदिरों का निर्माण कश्मीरी मंदिरों के समान स्थापत्य शैली में किया गया था, जिसमें दांतेदार व नालीदार खंभे तथा तीन पत्ती वाले मेहराब और गुंबदनुमा छतें हैं। ऐसी किंवदंती है कि कटास राज के प्राचीन मंदिरों का निर्माण पांडवों ने कराया था। वहीं, इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर निर्माण या पुनर्निर्माण खटाना गुर्जर राजवंश ने 7वीं शताब्दी में इन मंदिरों का निर्माण कराया था।

मंदिर का नक्शा, साभार: REMINISCENT OF HINDUISM: AN INSIGHT OF KATAS RAJ MANDIR

कटासराज मंदिर में रामचंद्र मंदिर भी स्थित है। इसका प्रवेश द्वार पूर्व की ओर है, शेष तीनों तरफ से मंदिर बंद है। यह मंदिर दो मंजिला इमारत की शक्ल में बना हुआ है। पहली मंजिल में आठ कमरे हैं, इसी मंजिल की दक्षिण दिशा की ओर से दूसरी मंजिल तक जाने के लिए सीढ़ी बनी हुई है। मंदिर में दो बालकनी भी हैं जो अब बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। वहीं मंदिर के पश्चिमी भाग में दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर भी बाकी मंदिरों की तरह एक आयताकार चबूतरे पर स्थित है। इस मंदिर के दक्षिण और उत्तर दिशा में प्रवेश द्वार हैं।

वर्तमान स्थिति

भारत के बंटवारे के बाद से हिंदुओं के इस प्राचीनतम मंदिर की हालत लगातार खराब होती जा रही थी। मंदिर की दीवारों पर उकेरी गई मूर्तियों की स्थिति भी अच्छी नहीं थी। यहां तक कि पवित्र कटाक्ष कुंड में भी कचड़ा भर चुका था। इसी दौरान, साल 2005 में पूर्व उप प्रधानमंत्री और भारत रत्न लाल कृष्ण आडवाणी ने इस मंदिर समेत पाकिस्तान में स्थित अन्य मंदिर का दौरा किया था। आडवाणी के इस दौरे के एक साल बाद यानी साल 2006 में पाकिस्तानी सरकार ने मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए प्रस्ताव रखा था। इसके बाद से इस मंदिर की हालत में आहिस्ते-आहिस्ते बदलाव आना शुरू हुआ था।

पाकिस्तानी सरकार द्वारा मंदिरों के लिए स्पेशल बजट जारी कर इस मंदिरों परिसर में स्थित 7 प्राचीन मंदिरों में 7 मूर्तियों की स्थापना कराई थी। इनमें से कुछ मूर्तियां भारत तो कुछ नेपाल और श्रीलंका से मंगवाई गई थीं। मंदिर का जीर्णोद्धार तो हो गया था, लेकिन साल 2012 आते-आते तालाब सूखने की स्थिति में आ गया था। तालाब सूखने का कारण, मंदिर के पास सीमेंट फैक्ट्री थी।

दरअसल, सीमेंट फैक्ट्री अपने उपयोग के लिए पानी इसी कुंड से ले रही थी। चूंकि कुंड की गहराई अधिक नहीं है और इसमें पानी भरने का कोई अन्य स्रोत भी नहीं है। पानी प्राकृतिक रूप से ही इस कुंड में आता है। सीमेंट फैक्ट्री द्वारा लगातार पानी लेने से कुंड की स्थिति दयनीय होती जा रही थी। ऐसे में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की सुनाई की और फिर फैक्ट्री को फटकार लगाते हुए कुंड के जल के उपयोग पर रोक लगा दी थी।

इस दौरान पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश मियां साकिब निसार ने कहा था, “यह मंदिर न केवल हिंदुओं के लिए सांस्कृतिक महत्व का स्थान है, बल्कि हमारी राष्ट्रीय विरासत का भी हिस्सा है। हमें इसकी रक्षा करनी होगी।” यही नहीं कोर्ट ने मंदिर की मूर्तियों को लेकर भी चिंता भी व्यक्त की थी। कोर्ट ने मंदिर में मूर्तियों के न होने को लेकर सवाल उठाए थे। साथ ही पूछा था कि श्रीराम और हनुमान मंदिर में मूर्तियां क्यों नहीं थीं? इसके लिए पाकिस्तान सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने वक्फ बोर्ड को जिम्मेदार ठहराया था।

हिंदुओं के इस प्राचीनतम मंदिर का मनोरम दृश्य तथा भगवान शिव के आंसुओं से बना सुंदर कुंड मंदिर परिसर में साक्षात भगवान की उपस्थिति का एहसास कराता है। इस मंदिर में आज भी स्थानीय हिंदू श्रद्धालु दर्शन के लिए जाते हैं। इसके अलावा महाशिवरात्रि में श्रद्धालुओं का एक जत्था भारत से भी इस मंदिर के दर्शन हेतु जाता है। धीरे-धीरे मंदिर की स्थिति में सुधार हो रहा है।

कहां है मंदिर…

कटासराज मंदिर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले के अंतर्गत नमक कोह पर्वत शृंखला में स्थित है। यह क्षेत्र चोआ सैदानशाह नगर पालिका समिति का हिस्सा है। 2,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर टिल्ला जोगियन परिसर से सड़क मार्ग से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित है। इसके अलावा कटासराज मंदिर इस्लामाबाद को लाहौर से जोड़ने वाले एम2 मोटरवे से कल्लर कहार शहर के पास स्थित इंटरचेंज होते हुए भी पहुंचा जा सकत है।

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