करीमगंज नहीं अब श्रीभूमि कहिए… असम के CM हिमंत बोले- अज्ञात व्यक्ति के नाम पर क्यों रहे जिले का नाम?

1919 में गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर ने सियालेट का दौरा करते वक्त इस क्षेत्र को श्रीभूमि कहा था।

करीमगंज जिले का नाम अब श्रीभूमि

गुवाहाटी: असम के करीमगंज जिले का नाम बदलकर श्रीभूमि कर दिया गया है। असम कैबिनेट ने इस पर मुहर लगाई है। राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था। बराक घाटी में स्थित करीमगंज जिला बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी देते हुए कहा, ‘100 साल से भी पहले कवि गुरु रबींद्रनाथ टैगोर ने असम के आधुनिक करीमगंज जिले को श्रीभूमि- मां लक्ष्मी की भूमि बताया था। आज असम कैबिनेट ने हमारे लोगों की लंबे समय से चली आ रही इस मांग को पूरा किया है।‘

बहुत पहले बदला जाना चाहिए था नाम: हिमंत

फैसले की आलोचना करने वालों को भी हिमंत ने जवाब दिया है। असम के सीएम ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ‘वे मेरी आलोचना कर सकते हैं, लेकिन वे रबींद्रनाथ टैगोर की आलोचना क्यों कर रहे हैं? असम में किसी जिले का नाम किसी अज्ञात व्यक्ति के नाम पर क्यों रखा जाना चाहिए? इसे बहुत पहले ही बदला जाना चाहिए था।‘

मुझसे नहीं गुरु रबींद्रनाथ टैगोर से नाराज विपक्ष

हिमंत ने आगे कहा, ‘विपक्ष हमसे नाराज़ है कि करीमगंज ज़िले का नाम बदलकर श्रीभूमि रख दिया गया। दरअसल वह मुझसे नहीं, बल्कि कविगुरु रबींद्रनाथ टैगोर से नाराज़ है।‘ सीएम हिमंत ने कहा कि असम के सबसे दक्षिणी जिले करीमगंज के पुराने गौरव को बहाल किया गया है। अब करीमगंज जिले का नाम श्रीभूमि है। अविभाजित भारत के वर्तमान भौगोलिक क्षेत्र को श्रीभूमि नाम देने वाले गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर के दृष्टिकोण का सम्मान करते हुए असम कैबिनेट ने करीमगंज का नाम बदलकर श्रीभूमि जिला करने का फैसला किया है। यह फैसला जिले के लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करेगा।

हिमंत का इशारा- बदले जाएंगे और नाम

हिमंत ने संकेत दिए कि आगे और भी नाम बदले जाएंगे। उन्होंने कहा कि हम धीरे-धीरे उन जगहों के नाम बदल रहे हैं, जिनका कोई ऐतिहासिक संदर्भ या अर्थ नहीं निकलता है। हाल ही में कालापहाड़ का नाम भी बदला गया था। इस पर हिमंत ने कहा कि न तो कालापहाड़ और न ही करीमगंज असमिया या बंगाली शब्दकोश में आता है। करीमगंज के ऐतिहासिक कनेक्शन का जिक्र करते हुए हिमंत ने कहा कि रबींद्रनाथ टैगोर ने 1919 में जब सियालेट का दौरा किया था, तब उन्होंने इस क्षेत्र को सुंदरी श्रीभूमि कहा था। उस समय सियालेट असम का हिस्सा था। अब यह क्षेत्र बांग्लादेश में आता है। उन्होंने इशारा किया कि आने वाले दिनों में असमिया संस्कृति के अनुसार कई जिलों और जगहों के नाम बदले जा सकते हैं।

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