महाराजा रणजीत सिंह का 27 जून 1839 को लाहौर के किले में निधन हो गया। उनकी राख को लाहौर के बादशाही मस्जिद के पास 'महाराजा रणजीत सिंह की समाधि' नामक स्मारक में आज भी रखा गया है। उनकी मृत्यु के बाद उनका बेटा खड़क सिंह सिख साम्राज्य के शासक बने।
TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

    रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    लक्ष्मणपुर बाथे: एक रात, जब 58 ज़िंदगियां बुझा दी गईं, भारत के दलितों का शोकगीत

    लक्ष्मणपुर बाथे: एक रात, जब 58 ज़िंदगियां बुझा दी गईं, भारत के दलितों का शोकगीत

    “सैलून का मायाजाल” हिमाचल के लिए खतरे की घंटी

    “सैलून का मायाजाल” हिमाचल के लिए खतरे की घंटी

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य

    “डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य”

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

    पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

    ऑपरेशन पोलो के बाद सरदार पटेल का झुक कर अभिवादन करते हैदराबाद के निजाम

    हैदराबाद का भारत में पूर्ण विलय: जब पटेल ने कहा- नेहरू अपने आप को समझते क्या हैं? आज़ादी की लड़ाई दूसरे लोगों ने भी लड़ी है

    लक्ष्मणपुर बाथे: एक रात, जब 58 ज़िंदगियां बुझा दी गईं, भारत के दलितों का शोकगीत

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

    रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    लक्ष्मणपुर बाथे: एक रात, जब 58 ज़िंदगियां बुझा दी गईं, भारत के दलितों का शोकगीत

    लक्ष्मणपुर बाथे: एक रात, जब 58 ज़िंदगियां बुझा दी गईं, भारत के दलितों का शोकगीत

    “सैलून का मायाजाल” हिमाचल के लिए खतरे की घंटी

    “सैलून का मायाजाल” हिमाचल के लिए खतरे की घंटी

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य

    “डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य”

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

    पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

    ऑपरेशन पोलो के बाद सरदार पटेल का झुक कर अभिवादन करते हैदराबाद के निजाम

    हैदराबाद का भारत में पूर्ण विलय: जब पटेल ने कहा- नेहरू अपने आप को समझते क्या हैं? आज़ादी की लड़ाई दूसरे लोगों ने भी लड़ी है

    लक्ष्मणपुर बाथे: एक रात, जब 58 ज़िंदगियां बुझा दी गईं, भारत के दलितों का शोकगीत

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

कश्मीर और लाहौर को मुक्त कराने वाले सिख सम्राट: नाम से ही काँपते थे पठान आक्रांता, सिर पर धारण करते थे कोहिनूर

महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी पहली लड़ाई सिर्फ 10 साल की उम्र में लड़ी थी। इतनी ही उम्र में वे मिसल के नेता भी बन गए।

khushbusingh1 द्वारा khushbusingh1
13 November 2024
in इतिहास, ज्ञान
महाराजा रणजीत सिंह, सिख सम्राट

महाराजा रणजीत सिंह ने मात्र 10 वर्ष की उम्र में लड़ा था पहला युद्ध

Share on FacebookShare on X

महाराजा रणजीत सिंह भारतीय इतिहास के सबसे प्रभावशाली और साहसी शासकों में से एक थे। उनका जीवन एक प्रेरणा की तरह है, जिसमें वीरता, दूरदृष्टि और संघर्ष की अद्वितीय कहानी है। उनका जन्म, उनके संघर्ष और उनकी नीतियाँ न केवल पंजाब राज्य के लिए, बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए महत्वपूर्ण थीं। महाराजा रणजीत सिंह ने अफगान, मुग़ल और ब्रिटिश साम्राज्य जैसी बड़ी शक्तियों के खिलाफ संघर्ष किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी। आज महाराजा रणजीत सिंह की जयंती है। यह समय है उनके त्याग एवं बलिदान को नमन करने का।

पिता ने की थी छोटे से राज्य की स्थापना

महाराजा रणजीत सिंह का जन्म 13 नवम्बर 1780 को पंजाब के छोटे से गाँव गुज्जरावाला (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता का नाम महान सिंह सुकरचकिया और माता का नाम राज कौर था। उनके पिता महान सिंह ने सुकरचकिया नाम के छोटे राज्य की स्थापना की थी। रणजीत सिंह का बचपन मुश्किलों और संघर्षों से भरा हुआ था। वे चार साल के थे, तभी चेचक के कारण उनके एक आंख की रौशनी चली गई। हालाँकि, इससे उनकी दृढ़ता और साहस कमजोर नहीं हुआ।

संबंधितपोस्ट

कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

‘लाहौर से इस्लामाबाद तक सब धुआं-धुआं’: पहले हवा में उड़ाए पाकिस्तानी ड्रोन, अब भारत ने की काउंटर स्ट्राइक

पाकिस्तान के लाहौर सहित कई शहरों में हार्पी ड्रोन ने किया तबाही का तांडव, जानें क्या है इसकी खासियत

और लोड करें

18वीं शताब्दी में पंजाब में 12 सिख मिसल (मूल रूप से सिखों का स्वतंत्र क्षेत्र) थे। महान सिंह इन मिसलों के प्रमुख थे। 1790 में महान की मृत्यु के बाद रणजीत सिंह मिसल के नेता बने और 1795-96 में मेहताब कौर से शादी की। इसके बाद रणजीत सिंह की सास रानी सदा कौर रणजीत सिंह की सलाहकार बनीं। ये वो समय था जब भारत या पंजाब पर अफगानों का हमला हो रहा था। अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली के पंजाब पर बार-बार हमले किए जा रहे थे। देश में भी मुगलों का शासन कमजोर हो चुका था।

अब्दाली ने भारत पर आठ बार आक्रमण करने का प्रयास भी किया। 1762 में अपने छठे आक्रमण के दौरान उसने लाहौर और अमृतसर के हज़ारों लोगों को बेरहमी से हत्या कर दी। इतना ही नहीं, अब्दाली ने कई पवित्र स्थलों को भी नष्ट कर दिया। ऐसी ही एक जगह थी हरमंदर साहिब। अब्दाली की मौत के बाद उसका पोता जमान शाह 1783 में काबुल का राजा बना। उसने 1798 में चौथी बार भारत पर आक्रमण किया और लाहौर पर कब्ज़ा कर लिया। 16 जुलाई 1799 को रणजीत सिंह ने लोगों के आग्रह पर लाहौर पर हमला करके उसे अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद गुरु गोबिंद सिंह के नाम पर इसे ‘गोबिंदगढ़’ नाम दिया। उन्होंने ज़मज़मा तोप भी अपने कब्ज़े में ले ली। यह अब अब भी लाहौर में है।

लाहौर और कश्मीर को महाराजा रणजीत सिंह ने कराया स्वतंत्र

महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी पहली लड़ाई सिर्फ 10 साल की उम्र में लड़ी थी। इतनी ही उम्र में वे मिसल के नेता भी बन गए। लाहौर पर कब्जा करने के बाद रणजीत सिंह ने कई अन्य क्षेत्रों में भी अपनी शक्ति का विस्तार किया और अफगान आक्रमणों से मुक्त होने के बाद पंजाब को एक नई दिशा दी। रणजीत सिंह ने 2 अप्रैल, 1801 में बैसाखी के दिन खुद को ‘महाराजा’ घोषित किया और इस प्रकार सिख साम्राज्य की नींव रखी। इसकी राजधानी उन्होंने लाहौर को बनाया।

महज 20 साल की उम्र में उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की थी। इसके बाद 1802 में उन्होंने अमृतसर को अपने साम्राज्य में मिला लिया और 1807 में उन्होंने अफगानी शासक कुतुबुद्दीन को हराकर कसूर पर कब्जा किया। 1809 तक कांगड़ा, 1813 तक अटॉक और 1818 तक मुल्तान पर कब्ज़ा कर लिया था। उन्होंने 1819 में कश्मीर पर कब्जा कर लिया।

जिस समय महाराजा रणजीत सिंह ने कश्मीर को अपने अधीन किया, उस समय कश्मीर पर जब्बार खान शासन कर रहा था। जब्बार खान के शासन में क्रूरता चरम पर थी। वह हिंदुओं पर तरह-तरह से अत्याचार कर रहा था। और पड़ोस में पठानों के खतरों के बारे में जानने के बाद, महाराजा ने कश्मीर पर विजय प्राप्त करने की तैयारी शुरू की। शोपियाँ में महाराजा रणजीत सिंह ने जब्बार खान के नेतृत्व में पठान सेना को पूरी तरह पराजित किया। इसके बाद जुलाई 1819 में श्रीनगर में प्रवेश किए।

उन्हें कश्मीर की जनता के लिए कई काम किए। उन्होंने दीवान मोती राम को कश्मीर के शासक के रूप में नियुक्त किया। बाद में उन्हें हटाकर उनके स्थान पर हरि सिंह नलवा को शासक बनाया। महाराजा रणजीत ने अपने शासनकाल के दौरान ‘नानकशाही’ सिक्कों को सोने और चाँदी में ढालकर बनवाया था। इन सिक्कों पर विभिन्न सिख गुरुओं के नाम उकेरे गए थे। हालाँकि, उनके राज्य में हर जाति एवं धर्म के लोग बराबर थे। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं था।

पेशावर से लेकर खैबर पख्तूनख्वा तक फहराया झंडा

हरि सिंह नलवा के साथ मिलकर उन्होंने 1820 में हज़ारा, 1823 में पेशावर और फिर खैबर पख्तूनख्वा पर कब्ज़ा कर लिया। यह पहला मौका था जब पश्तूनों पर किसी गैर-मुस्लिम ने राज किया। महाराजा रणजीत सिंह ने अफगानों के खिलाफ कई लड़ाइयाँ लड़ीं और उन्हें पश्चिमी पंजाब की ओर खदेड़ दिया था। उन्होंने पेशावर और पश्तून क्षेत्र पर भी कब्जा कर लिया। अफगानों और सिखों के बीच 1813 और 1837 के बीच कई युद्ध हुए। 1837 में जमरुद का युद्ध उनके बीच आखिरी भिड़ंत थी। इस युद्ध में रणजीत सिंह के एक बेहतरीन सिपाहसालार हरि सिंह नलवा मारे गए थे। इस तरह उन्होंने सिख साम्राज्य को सिंध के पार तक पहुँचा दिया।

महाराजा रणजीत सिंह का 27 जून 1839 को लाहौर के किले में निधन हो गया। उनकी राख को लाहौर के बादशाही मस्जिद के पास ‘महाराजा रणजीत सिंह की समाधि’ नामक स्मारक में आज भी रखा गया है। उनकी मृत्यु के बाद उनका बेटा खड़क सिंह सिख साम्राज्य के शासक बने। हालाँकि, खड़क सिंह महाराजा रणजीत सिंह जैसे कुशल शासक साबित नहीं हुए। आपसी खींचतान के कारण सिख साम्राज्य का पतन शुरू हो गया। इस बीच अंग्रेजों ने 1845 में सिख साम्राज्य पर हमला करके उसे ब्रिटिश भारत में मिला लिया। इस तरह एक महान सिख साम्राज्य पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया।

ऐसे रणजीत सिंह के पास आया नायाब कोहिनूर हीरा

महाराजा रणजीत सिंह ने अपने अनेकों युद्धों के दौरान विश्वप्रसिद्ध कोहिनूर हीरा और तैमूर रूबी को भी हासिल किया था। दरअसल, 1812 में पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह कश्मीर को सूबेदार अता मोहम्मद से मुक्त कराना चाहते थे। अता मोहम्मद ने शाह शुजा को शेरगढ़ के किले में कैद कर रखा था। शाह शुजा की बेगम ‘वफा’ ने महाराजा रणजीत सिंह से आग्रह किया कि वह शाह शुजा को मुक्त करा देंगे तो वह उन्हें बेशकिमती कोहिनूर हीरा भेंट करेगी। शाह शुजा के जेल में होने के कारण वफा बेगम अफगानिस्तान पर शासन कर रही थी। महाराजा रणजीत सिंह ने कश्मीर को जीतकर शाह शुजा को आजाद किया था।

कहा जाता है कि इसके बाद वफा बेगम अपने वादे से मुकर गई। उसने महाराजा रणजीत सिंह को कोहिनूर हीरा नहीं दिया। कई माह बीतने के बाद महाराजा ने उस पर दबाव बनाया तो वफा बेगम ने एक नकली हीरा महाराजा रणजीत सिंह को सौंप दिया। इससे महाराजा रणजीत सिंह को क्रोध आ गया और उन्हें वफा बेगम की घेराबंदी कर दी। 1813 में महाराजा ने शाहशुजा को पकड़ा और उससे कोहिनूर के बारे में पूछा। उसने कोहिनूर को अपनी पगड़ी में छिपा रखा था। इसकी जानकारी महाराजा को मिली तो उन्होंने एक चालाकी की।

कहा जाता है कि महाराजा रणजीत सिंह ने शाह शुजा को काबुल की गद्दी दिलाने का वादा किया। इसके बाद ‘पगड़ी-बदल भाई’ बनकर उसकी पगड़ी ले ली। इस तरह कोहिनूर उनके हाथ आ गया। महाराजा की मृत्यु के बाद अंग्रेजों ने 1845 में सिख साम्राज्य पर हमला कर दिया और हार के बाद कोहिनूर हीरा ले लिया। बाद में भारत के गवर्नर जनरल लार्ड हार्डिंग ने इग्लैंड की रानी विक्टोरिया को खुश करने के लिए इस कोहिनूर हीरे को लंदन भेजवा दिया।

स्रोत: Maharaja Ranjit Singh, महाराजा रणजीत सिंह, Kohinoor, कोहिनूर, Sikh Emperor, सिख सम्राट, Lahore, लाहौर
Tags: LahoreMaharaja Ranjit SinghSikh Emperorमहाराजा रणजीत सिंहलाहौरसिख सम्राट
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

‘आधी हुई जनजातीय आबादी’: संथाल में रोटी, बेटी, माटी से छल… मोदी ने विदेशी घुसपैठ को बताया सबसे बड़ी चिंता

अगली पोस्ट

भारत के आगे घुटने टेकेगा Pak या झेलेगा ₹5484846250 का नुकसान: चैंपियंस ट्रॉफी के लिए टीम इंडिया नहीं जाएगी पाकिस्तान, ICC के पाले में गेंद

संबंधित पोस्ट

पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात
इतिहास

पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

17 September 2025

तमिलनाडु की राजनीति और समाज में एक नाम दशकों से छाया हुआ है—ई.वी. रामासामी नायकर, जिन्हें उनके अनुयायी “पेरियार” यानी “महान व्यक्ति” कहते हैं। उन्हें...

ऑपरेशन पोलो के बाद सरदार पटेल का झुक कर अभिवादन करते हैदराबाद के निजाम
इतिहास

हैदराबाद का भारत में पूर्ण विलय: जब पटेल ने कहा- नेहरू अपने आप को समझते क्या हैं? आज़ादी की लड़ाई दूसरे लोगों ने भी लड़ी है

16 September 2025

82,698 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की हैदराबाद रियासत की गिनती हमेशा से भारत के प्रमुख और अमीर रियासतों में की जाती थी। इसका क्षेत्रफल ब्रिटेन और...

लक्ष्मणपुर बाथे: एक रात, जब 58 ज़िंदगियां बुझा दी गईं, भारत के दलितों का शोकगीत
इतिहास

जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

16 September 2025

बिहार, जिसे भारतीय इतिहास और संस्कृति का धनी राज्य कहा जाता है, जहां चाणक्य की राजनीति जन्मी, जहां बुद्ध ने ज्ञान का प्रकाश फैलाया और...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Inside the Waqf Case: What SC’s Interim Order Really Means?

Inside the Waqf Case: What SC’s Interim Order Really Means?

00:19:34

Where Is Kerala Heading? | The Shocking Truth of CPM’s Hate Towards Hindus

00:05:16

How China’s Military Reach Rises on the Backs of Its Silenced Citizens?

00:08:27

Why Congress Wants to Erase Chhatrapati Shivaji Maharaj from Public Memory?

00:06:37

Epic Battle of Saragarhi : A Tale of Unmatched Bravery That Every Indian Should Know

00:07:14
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited