मध्य प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में भी भाजपा की जीत के साथ राज्य के दोनों चुनाव प्रभारियों की ख़ूब चर्चा है। ये हैं केंद्रीय मंत्रीगण भूपेंद्र यादव और अश्वनी वैष्णव। दोनों राजस्थान से ही आते हैं। हालाँकि, अश्विनी वैष्णव बतौर प्रशासनिक अधिकारी ओडिशा कैडर में कार्यरत रहे। उनका लंबा कॉर्पोरेट करियर भी रहा है। प्रभारी और सह-प्रभारी के रूप में इन दोनों ने महाराष्ट्र में जी-तोड़ मेहनत की। एक लेख में हमने भाजपा की दूसरी पंक्ति के ऐसे नेताओं की बात की थी जिन्हें भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है। वहीं पिछले लेख में आपको भूपेंद्र यादव के राजनीतिक सफर के बारे में बताया था। अब बात करते हैं अश्विनी वैष्णव की।
अश्विनी वैष्णव को भूपेंद्र यादव के साथ ही जुलाई 2021 में हुए मंत्रिमंडल फेरबदल में दूरसंचार मंत्री बना कर लाया गया था। साथ ही उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स एवं IT मंत्री भी बनाया गया था। वो अभी भी इस मंत्रालय को सँभाल रहे हैं। उन्हें रेलवे जैसा बड़ा मंत्रालय भी सौंपा गया, जिसे वो आज तक सँभाल रहे हैं। हमने देखा कि कैसे जून 2024 में पश्चिम बंगाल के रंगपानी स्टेशन पर 2 ट्रेन टकराए तो दुर्घटना के बाद अश्विनी वैष्णव खुद घटनास्थल पर पहुँच कर राहत व बचाव कार्य का जायजा ले रहे थे।
कॉर्पोरेट का लंबा करियर, काम आता है प्रशासनिक अनुभव
जब इस साल तीसरी बार मोदी सरकार बनी तो अश्विनी वैष्णव को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भी सौंपा गया। 1994 में IAS बने अश्विनी वैष्णव बालासोर और कटक के कलक्टर रहे, 1999 के तूफान के दौरान उन्होंने बारीकी से रियल टाइम डेटा एनालिसिस किया जिसके आधार पर सरकार ने बचाव कार्य चलाया। 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें PMO में डिप्टी सेक्रेटरी बनाया। इस दौरान उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप का खाका तैयार किया। 2004 में NDA की भले ही हार हुई लेकिन वाजपेयी का भरोसा उन पर कायम रहा और उन्होंने उन्हें अपना निजी सचिव बनाया।
अश्विनी वैष्णव ने पेंसिलवेनिया स्थित व्हार्टन बिजनेस स्कूल से MBA की पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने भारत में ‘GE ट्रांसपोर्टेशन’ में मैनेजिंग डायरेक्टर का पद सँभाला। फिर वो Siemens कंपनी में भी बड़े पद पर रहे। इसके बाद उन्होंने गुजरात में ऑटोमेटिव कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित की। उन्हें जून 2019 में ओडिशा से राज्यसभा सांसद बना कर भेजा गया। अश्विनी वैष्णव निवेश आकर्षित करने में विश्वास रखते हैं और उनका मानना है कि अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए खपत की जगह निवेश को बढ़ावा दिया जाना अधिक आवश्यक है।
अश्विनी वैष्णव के बारे में ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि वो भाजपा के चुनावी वॉररूम एक्सपर्ट भी हैं। लोकसभा चुनावों के दौरान दिल्ली में जो वॉररूम स्थापित किया जाता है, उसका सारा प्रबंधन अश्विनी वैष्णव ही देखते रहे हैं। ग्राउंड से आने वाले डेटा का विश्लेषण से लेकर उस आधार पर अपने वोट बैंक को मजबूत बनाने के लिए रणनीति बनाने वाले कार्यों में वो दक्ष हैं। तकनीक के मामले में उनका कोई सानी नहीं है और भाजपा को उनकी इन क्षमताओं का लाभ मिलता रहा है।
साफ़-सुथरी छवि, महाराष्ट्र में अश्विनी वैष्णव ने की ख़ूब मेहनत
उनकी छवि ऐसी है कि जब उन्हें राज्यसभा लड़ाया जाना था तब विरोधी पार्टी के होने के बावजूद ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने उनका समर्थन किया था। ताज़ा चुनाव की बात करें तो महाराष्ट्र में भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी मराठा आरक्षण आंदोलन से उपजे असंतोष को साधना और विभिन्न असंतुष्ट गुटों को साधना। ये काम इन दोनों ने बखूबी किया। इसके अलावा पिछड़े समाज को भाजपा के मतदाताओं के रूप में जोड़ना भी एक चुनौती थी, क्योंकि इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने ‘भाजपा संविधान खत्म कर देगी’ का नैरेटिव चलाया था और महाराष्ट्र में उसे सफलता भी मिली थी।
अश्विनी वैष्णव भी भूपेंद्र यादव की तरह ही ग्राउंड पर लगे हुए थे। सितंबर महीने में उन्होंने मुंबई की लोकल ट्रेन में आम लोगों के साथ 27 किलोमीटर सफर किया। यात्रियों ने उनसे साथ सेल्फी ली, उन्हें समस्याओं को लेकर अवगत कराया। अगले ही महीने अक्टूबर 2024 में उन्होंने महाराष्ट्र के देवलाली से बिहार के दानापुर तक ‘शेतकरी समृद्धि‘ विशेष किसान रेलगाड़ी का शुभारंभ देवलाली रेलवे स्टेशन से किया। इसके तहत किसान मात्र 4 रुपए प्रति किलो की दर से अपनी फसल बिहार तक भेजने के लिए भी देख सकते हैं। बड़ी बात ये देखिए कि जिस महाराष्ट्र को 2014 से पहले रेलवे के लिए मात्र 1171 करोड़ रुपए का सालाना बजट मिलता था, 2024 में उसी महाराष्ट्र को 15,940 करोड़ रुपए का रेलवे बजट मिला। अक्टूबर में अश्विनी वैष्णव ने नासिक में लोको पायलट्स से बातचीत की।
रेल मंत्री के रूप में भी छोड़ी छाप
बताया जा रहा था कि लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को किसानों की नाराज़गी का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस नए ट्रेन की मदद से केंद्र सरकार ने उन्हें सही समय पर आसानी से फ़सल बेचने की सुविधा दी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की एक और ख़ासियत है – वो अपने मंत्रालय को अच्छी तरह सँभाल रहे हैं, तमाम विरोधों के बावजूद। ओडिशा के बालासोर में जब ट्रेन दुर्घटना हुई और उसमें 288 लोग मारे गए, तब रेल मंत्री खुद ग्राउंड पर पहुँच कर वहाँ कई दिनों जमे रहे। लोगों ने शायद पहली बार किसी रेल मंत्री को दुर्घटना के बाद घटनास्थल पर कैम्प करते, राहत-बचाव कार्य में जमे स्थानीय लोगों से मिलते-जुलते, अस्पताल में जाकर घायलों का हालचाल लेते और रोज स्थानीय अधिकारियों से बातचीत करते हुए देखा।
अश्विनी वैष्णव का भले ही विपक्ष कितना भी मजाक बना ले, लेकिन वो भाजपा के लिए एक ऐसे एसेट हैं जो न केवल पार्टी को तकनीकी संबल प्रदान करते हैं, बल्कि पार्टी के रणनीतिकार जिन आँकड़ों और विश्लेषण के आधार पर जमीन की राजनीति तैयार करते हैं, वो इनके माध्यम से ही छन कर आता है।