फेक न्यूज और आधी-अधूरी वीडियो क्लिप वायरल करने के लिए कुख्यात ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) के खिलाफ भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने के मामले में केस दर्ज किया गया है। जुबैर के खिलाफ यह केस यति नरसिंहानंद (Yeti Narasimhanand) से जुड़ा कथित वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करने के मामले में दर्ज किया गया है। इस मामले की जांच कर रहे अधिकारी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में इसकी जानकारी दी।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थित डासना पीठ के यति नरसिंहानंद के सहयोगी ने मोहम्मद जुबैर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले की जांच कर रहे अधिकारी ने कोर्ट में पुलिस की ओर से अपना पक्ष रखा था। ऐसे में कोर्ट ने जांच अधिकारी को जुबैर के खिलाफ जिन धाराओं में केस दर्ज किया गया है, उसकी जानकारी प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। इसके बाद अब 27 नवंबर, 2024 को जांच अधिकारी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को बताया है कि जुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर में दो नई धाराएं आईटी एक्ट की धारा 66 और भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने के आरोप में बीएनएस की धारा 152 जोड़ी गई हैं।
क्या है मामला:
मोहम्मद जुबैर ने एक्स पर यति नरसिंहानंद का एक वीडियो शेयर किया था। इस वीडियो में यति नरसिंहानंद कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद और कुरान को लेकर विवादित बयान देते हुए नजर आए थे। यह वीडियो वायरल होने के बाद गाजियाबाद के डासना मंदिर से लेकर बुलंदशहर और अमरावती समेत उत्तर प्रदेश के कई स्थानों में पथराव और नारेबाजी की घटना सामने आई थी।
इसको लेकर यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी ने मोहम्मद जुबैर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। उदिता त्यागी का आरोप है कि जुबैर ने 3 अक्टूबर को यति नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम का वीडियो पोस्ट किया था। इसका उद्देश्य मुस्लिमों को उनके खिलाफ उकसाकर हिंसा भड़काना था।
उदिता ने अपनी शिकायत में यह भी आरोप लगाया था कि जुबैर ने यति नरसिंहानंद के खिलाफ कट्टरपंथी भावनाओं को भड़काने के लिए पैगंबर मोहम्मद से जुड़ी हुई वीडियो एडिट कर एक्स पर शेयर की थी।
यति नरसिंहानंद की सहयोगी उदिता त्यागी की शिकायत पर जुबैर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196 (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 228 (झूठे साक्ष्य गढ़ना), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य करना), 356 (3) (मानहानि) और 351 (2) (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
जुबैर ने खटखटाया था हाई कोर्ट का दरवाजा:
मोहम्मद जुबैर ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए 20 नवंबर, 2024 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। साथ ही उसके खिलाफ संभावित कार्रवाई पर भी रोक लगाने की भी मांग की थी। जुबैर ने अपनी याचिका में यह भी कहा था कि उसके द्वारा एक्स पर किए गए पोस्ट में नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा करने की बात नहीं कही गई थी। उसने केवल पुलिस को नरसिंहानंद की हरकतों के बारे में सूचित करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। जुबैर ने इस याचिका में यह भी कहा था कि उसने जो भी वीडियो शेयर किए थे वे पहले से ही पब्लिक डोमेन में उपलब्ध थे। साथ ही यह भी कहा था कि पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के समय नरसिंहानंद एक अन्य विवादास्पद भाषण देने के मामले में जमानत पर थे। इस जमानत की शर्त यह थी कि वह ऐसा कोई बयान नहीं देंगे जिससे सांप्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा मिले।