पंजाब के किसान डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) खाद के संकट से जूझ रहे हैं। रबी की फसल की बुवाई के लिए तैयार बैठे किसानों को डीएपी खाद नहीं मिल पा रही है। पंजाब की भगवंत मान सरकार, केंद्र से डीएपी न मिलने की बात कह रही थी। वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि पंजाब में डीएपी खाद की पर्याप्त आपूर्ति की गई है। दूसरी ओर देखें तो पंजाब में डीएपी की कालाबाजारी की खबरें भी सामने आ रही हैं। इसके अलावा धान की सही कीमत न मिल पाने को लेकर भी पंजाब के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।
दरअसल, बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर सामने आ रहे फ़ोटो, वीडियो में पंजाब के किसान डीएपी खाद की एक बोरी के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगे नजर आ रहे हैं। बीते दिनों किसानों के प्रदर्शन की खबरें भी सामने आईं थीं। इसके अलावा राज्य में डीएपी खाद की जमाखोरी और कालाबाजारी भी जमकर हो रही है। हालांकि इस पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार ने कदम उठाए हैं। लेकिन फिर भी पूरी तरह रोक नहीं लग पाई है।
पंजाब में खाद की सैंपलिंग से लेकर उसकी गुणवत्ता और जमाखोरी के खिलाफ हुई कार्रवाई में अब तक 91 फर्म के लाइसेंस रद्द किए जा चुके हैं। इनमें से 3 के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई है। इसके अलावा, जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए राज्य सरकार ने 5 फ्लाइंग सक्वाड टीमें गठित कर कार्रवाई करने की भी बात कही है। साथ ही, हेल्प लाइन भी जारी किए हैं। लेकिन फिलहाल इसका असर दिखाई नहीं दे रहा है। चूंकि, रबी की फसल के लिए किसानों को हर वर्ष डीएपी खाद की आवशकता होती है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या पंजाब सरकार डीएपी खाद की जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए तैयार नहीं थी? यदि तैयारी की गई थी तो समय रहते ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए।
क्या झूठ बोल रही थी भगवंत मान सरकार?
इन तमाम सवालों के बीच एक सवाल यह भी है कि क्या पंजाब सरकार डीएपी खाद की सप्लाई को लेकर झूठ बोल रही थी? दरअसल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा था कि पंजाब को डीएपी खाद का उसका हिस्सा नहीं मिल रहा है, इसको लेकर केंद्र सरकार को ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा कृषि मंत्रालय द्वारा भी केंद्र को पत्र लिखकर डीएपी खाद की मांग की गई थी। इसके अलावा यह भी कहा गया था कि केंद्र सरकार द्वारा पंजाब को 1 जुलाई तक 150000 मीट्रिक टन डीएपी खाद उपलब्ध कराई गई है।
वहीं अब केंद्र सरकार ने एक बयान जारी कहा है कि पंजाब को डीएपी खाद की पर्याप्त आपूर्ति की जा चुकी है। केंद्र के बयान में साफ शब्दों में कहा गया है, “हाल ही में मीडिया में कुछ रिपोर्ट्स प्रकाशित की गई हैं। इनमें पंजाब में डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) की कमी और इसके परिणामस्वरूप रबी की फसल प्रभावित होने का दावा किया गया है। ऐसी सभी बातें भ्रामक, गलत और तथ्यहीन हैं।”
केंद्र सरकार द्वारा जारी बयान में यह भी कहा गया है कि अक्टूबर 2024 की शुरुआत में पंजाब के स्टॉक में 99000 मीट्रिक टन डीएपी खाद था। साथ ही 29 अक्टूबर 2024 तक केंद्र सरकार द्वारा पंजाब को 191000 मीट्रिक टन डीएपी खाद भेजी जा चुकी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि केंद्र के इस बयान में पंजाब सरकार द्वारा डीएपी खाद की खपत का आंकड़ा भी जारी किया गया है। केंद्र ने कहा है कि पंजाब ने 29 अक्टूबर 2024 तक 100000 मीट्रिक टन डीएपी खाद की खपत की है।
अब अगर पंजाब सरकार के दावे को देखें तो भगवंत मान ने यह कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा पंजाब को 1 जुलाई तक 150000 मीट्रिक टन डीएपी खाद उपलब्ध कराई गई है। मतलब साफ है कि केंद्र द्वारा पंजाब सरकार को डीएपी खाद की जितनी मात्रा जुलाई में उपलब्ध करा दी गई थी। वह भी अब तक खर्च नहीं हो पाई है। लेकिन भगवंत मान अपनी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल की राह में चलते हुए हर बात के लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि राज्य सरकार केंद्र द्वारा भेजी गई डीएपी खाद की न तो सप्लाई व्यवस्था कर पाई और न ही जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने में कामयाब हुई।
एक ओर जहां दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पंजाब मॉडल का गुणगान करते फिरते हैं। वहीं, पंजाब सरकार गेहूं और आलू की फसल के किसानों को डीएपी खाद की सप्लाई तक नहीं कर पा रही है। इसके बाद अपनी गलती मानने की जगह केंद्र सरकार पर आरोप मढ़ रही है। अब सवाल यह है कि डीएपी खाद की भरपूर आपूर्ति होने के बाद भी पंजाब सरकार झूठ क्यों बोल रही थी? और राज्य के किसानों को आखिर कब तक डीएपी खाद मिल पाएगी? वास्तव में देखें तो, पंजाब सरकार के भरोसे बैठे किसान वितरण केंद्रों के बाहर लंबी-लंबी लाइन लगाए एक बोरी डीएपी खाद मिलने की आश लगाए हुए हैं। लेकिन भगवंत मान सरकार आरोप-प्रत्यारोप का खेल, खेल रही है।
गौरतलब है कि दिल्ली में अराजकता फैलाने वाले किसान आंदोलन को पंजाब सरकार और दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा भरपूर सहयोग और समर्थन मिलता रहा है। यहां तक कि केजरीवाल ने आंदोलनजीवियों को पानी के टैंकर भी भेजे थे। लेकिन अब किसान परेशान हैं और खाद के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। यही नहीं पंजाब में किसानों को धान की सही कीमत नहीं मिल पा रही है। इसको लेकर किसान आंदोलन भी कर रहे हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि राजनीतिक फायदे के लिए आंदोलनजीवियों को भरपूर सहयोग करने वाले केजरीवाल और उनकी ही पार्टी की सरकार तथा चहेते भगवंत मान के मुख्यमंत्री होने के बाद भी सच्चे किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।