शिवसेना और बीजेपी के बीच पिछले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद मतभेद हुआ था और शिवसेना-बीजेपी अलग हो गईं। इसके बाद स्थिति बदली और शिवसेना में भीतरी टूट के बाद दो फाड़ हो गई और वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले एक धड़े ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति का लंबे समय तक ऐसा दौर रहा था जब शिवसेना-बीजेपी को स्वाभाविक सहयोगी माना जाता था। 1995 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने जीत दर्ज की और बालासाहेब ठाकरे के विश्वासपात्र मनोहर गजानन जोशी राज्य के मुख्यमंत्री नियुक्त किए गए। जोशी, बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के पहले मुख्यमंत्री थे।
2 दिसंबर 1937 को रायगढ़ के नंदवी गांव में जन्मे मनोहर जोशी मूलतः बीड के रहने वाले थे। मुंबई के वीरमाता जीजाबाई टेक्नीकल इंस्टीट्यूट से सिविल इंजीनियरिंग की और मुंबई यूनिवर्सिटी से एमए व एलएलबी की पढ़ाई किया। जोशी आरएसएस से भी जुड़े रहे थे और उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1970 के दशक में की थी। मनोहर जोशी 1968-70 के बीच मुंबई में नगर निगम पार्षद और 1970 में मुंबई नगर निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष रहे थे। वह 1976-1977 के दौरान मुंबई के मेयर भी रहे थे। मनोहर महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य रहे और 1990 में शिवसेना के टिकट पर महाराष्ट्र विधानसभा पहुंचे थे।1995 में महाराष्ट्र में पहली बार शिवसेना-भाजपा गठबंधन की सरकार बनी तो वे 1995-1999 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे थे। मनोहर जोशी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने वाले शिवसेना के पहले नेता थे।
अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान मनोहर जोशी ने कामधेनु नीति, बुजुर्गों के लिए मातोश्री वृद्धाश्रम योजना और युवाओं के लिए सैनिक स्कूल की शुरुआत की थी। मनोहर जोशी पर 1999 में अपने दामाद और रियल स्टेट कारोबारी गिरीश व्यास के लिए पुणे में स्कूल के लिए आरक्षित प्लॉट का स्टेटस बदलने के आरोप लगे थे। इस जगह पर व्यास ने एक इमारत बनाई थी जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था। इस मामले को सामने आने के बाद बालासाहेब ठाकरे ने मनोहर जोशी को इस्तीफा देने को कहा था और उन्होंने इसके बाद इस्तीफा दे दिया।
1999 के लोकसभा चुनावों मे मनोहर जोशी, मुबंई उत्तर-मध्य लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए और वे अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में उद्योग मंत्री भी रहे थे। 2002 से 2004 के बीच वे लोकसभा के अध्यक्ष भी रहे थे। उन्हें सर्वसम्मति से लोकसभा का स्पीकर चुना गया था। कार्डियक अरेस्ट के चलते 23 फरवरी 2004 को मुंबई के एक अस्पताल में मनोहर जोशी का निधन हो गया था।