सभी भारत विरोधी ताक़तें मोदी को रोकने के लिए एकजुट हो गई हैं, जबकि मोदी का एजेंडा है एक नया भारत बनाने का, उनका एजेंडा है उन्हें रोकने का। उनके पास कोई सकारात्मक एजेंडा नहीं है। अगर आप मोदी के साथ हैं, आप भारत के साथ हैं। अगर आप मोदी के साथ नहीं हैं, तो आप भारत विरोधी ताक़तों को मज़बूत कर रहे हैं। 22 मार्च 2019 को तेजस्वी सूर्या ने अपने ट्विटर अकाउंट (अब एक्स) से यह पोस्ट किया। इस पोस्ट के कुछ दिनों बाद तेजस्वी सूर्या का बेंगलुरु साउथ से टिकट फाइनल हुआ। तेजस्वी 2019 से उस सीट की अगुआई कर रहे हैं, जहां से बीजेपी के दिग्गज अनंत कुमार छह बार सांसद रहे थे।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की कर्नाटक यूनिट ने अनंत कुमार की पत्नी तेजस्विनी अनंत कुमार का नाम भेजा था। हालांकि पार्टी हाईकमान तेजस्वी सूर्या पर मुहर लगाई। इसके पीछे उनकी युवा चेहरे और प्रखर वक्ता की छवि कारगर रही। बेंगलुरु में युवा मतदाताओं की संख्या भी ज्यादा है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी सूर्या का नाम सुझाया था। उस समय वह बीजेपी युवा मोर्चा के महासचिव थे। उनके चाचा रवि सुब्रमान्या बसावानागुड़ी उस वक्त बीजेपी के विधायक थे। 28 साल की उम्र में तेजस्वी सूर्या बेंगलुरु साउथ से सांसद निर्वाचित हुए। बीके हरिप्रसाद को हराकर सूर्या ने अनंत कुमार की सीट पर बीजेपी का कब्जा बरकरार रखा। 2024 में लगातार दूसरी बार सूर्या ने इस सीट से जीत दर्ज की।
9 साल में करगिल फंड में दान की पेंटिंग से मिली रकम
राष्ट्रवाद और देशप्रेम का जोश, जुनून, जज्बा तेजस्वी सूर्या के अंदर बचपन से ही कूट-कूटकर भरा था। साल- 1999। तेजस्वी सूर्या महज 9 साल के थे और करगिल का युद्ध चल रहा था। भारतीय सेना के जवान पाकिस्तान को चोटी दर चोटी धूल चटा रहे थे। सेंट पॉल हाई स्कूल बेलगाम में पढ़ रहे तेजस्वी के मन में भी देश के लिए कुछ कर गुजरने के भाव उमड़ रहे थे। उन्होंने अपनी पेंटिंग बेची और इससे मिले पैसे को करगिल फंड में दान कर दिया था। तेजस्वी ने सबसे पहले बीजेपी की विद्यार्थी शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को ज्वाइन किया। 2001 में राष्ट्रीय बालश्री सम्मान पाने वाले तेजस्वी ने बैंगलोर इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज से 2013 में कानून की डिग्री ली है। बेंगलुरू साउथ से जीतने के बाद सूर्या ने लोकसभा में कन्नड़ भाषा में शपथ ली थी। कट्टर हिंदुत्व की बुलंद आवाज सूर्या अक्सर अपने भाषणों में पीएम मोदी के विजन का जिक्र करते हैं। स्वामी विवेकानन्द, गुरु अरबिंदो, वीर सावरकर और बाबासाहेब आंबेडकर के बारे में भी वह बात करते हैं।
2020 में बने BJYM के अध्यक्ष
चिकमंगलुरु में 17 नवंबर 1990 में जन्मे तेजस्वी सूर्या के अंदर समाज सेवा के प्रति रुझान बढ़ रहा था। 18 साल की उम्र में 2008 में अराइस इंडिया नाम से सूर्या ने एक एनजीओ बनाया। इसके पीछे उनका उद्देश्य ग्रामीण विकास के कामों में अपना योगदान था। सांसद बनने के एक साल के अंदर ही पार्टी ने उन्हें 26 सितंबर, 2020 को भारतीय जनता युवा मोर्चा की कमान सौंप दी। अब भी वह इसके अध्यक्ष बने हुए हैं। तेजस्वी सूर्या का पूरा नाम लक्ष्य सूर्यनारायण तेजस्वी सूर्या है। उनके पिता का नाम एलए सूर्यनारायण और मां का नाम रमा है।
कट्टर हिंदुत्व की तेजस्वी आवाज
तेजस्वी सूर्या एक ओजस्वी वक्ता हैं। अपने एक भाषण में तेजस्वी सूर्या ने कहा, ‘अब हम जानते हैं कि हमारा दुश्मन कौन है और हमारा जवाब क्या होना चाहिए। पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक उम्मीदवार जो भी हो और चुनाव जो भी हो, जो भी वोट देने में सक्षम है उसको चाहिए कि वो देखे कौन हिंदू की रक्षा कर सकता है। सावरकर ने कहा था कि सारी राजनीति का हिंदूकरण करो। 2014 से पहले धर्मनिरपेक्ष पार्टियों की मस्जिद जाने की प्रतियोगिता होती थी। अधिकतर ने दाढ़ी बढ़ा ली थी और मेहंदी लगा ली थी। सिर्फ़ 2014 में हिंदू ने एक साथ संदेश दिया कि अगर आप हिंदू को सुरक्षित नहीं रखते हैं तो आप नहीं चुने जाएंगे।’
हाल ही में एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में तेजस्वी सूर्या ने कर्नाटक कांग्रेस के विज्ञापन पर कहा, ‘टोपी में धर्म देखने की नजर के हम खिलाफ हैं। टोपी में धर्म देखना आपकी दिक्कत है। कौन सी टोपी किसकी है और किसकी नहीं… ये देखना आपकी प्रॉब्लम है। हर टोपी को एक धर्म से जोड़ना पॉलिटिकल डिस्कोर्स में प्रॉब्लेमेटिक है। हम चाहते है कि समाज एक रहे। एक हैं तो सेफ हैं कहने में बुराई नहीं है।’
इसी इंटरव्यू में सूर्या ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी अपने वोट को बढ़ाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। ये लोग बाबा साहेब अंबेडकर से भी परेशान हैं कि वो इस्लाम में क्यों परिवर्तित नहीं हुए? मुसलमानों को 4 प्रतिशत रिजर्वेशन की बात कौन कर रहा है? कर्नाटक में पिछले तीन हफ्ते में किसानों की हजारों एकड़ जमीन वक्फ बोर्ड को कौन दे रहा है? ये सब कांग्रेस का ही तो काम है।’