सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ अगले कुछ दिनों में रिटायर हो जाएंगे और इससे पहले उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए कोर्ट पर दबाव बनाने की कोशिश करने वाले लोगों को जमकर फटकार लगाई है। सोशल मीडिया पर कुछ समूह अलग-अलग लोगों को लेकर अक्सर कोर्ट पर दबाव बनाने की कोशिश करते नजर आते हैं। हाल के दिनों में सोशल मीडिया के जरिए कुछ खास लोगों ने न्यायपालिका पर भारत को तोड़ने की कथित वकालत करने वाले शरजील इमाम और उमर खालिद जैसे लोगों के पक्ष में फैसला देने का दबाव बनाने की कोशिश की थी।
बीते 11 सितंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीजेआई चंद्रचूड़ के घर गणेश चतुर्थी की पूजा में शामिल हुए थे तो विशेषकर इन्हीं लोगों ने सीजेआई चंद्रचूड़ के खिलाफ मुहिम चला दी थी। सीजेआई ने बीते दिनों जब राम मंदिर पर फैसले से पहले भगवान की पूजा करने और उसका समाधान खोजने से जुड़ी चर्चा की तब भी ऐसे ही लोगों ने उनके खिलाफ अनर्गल आरोप लगा दिए और उनके फैसले पर भी सवाल उठा दिए थे। अब उन्होंने ऐसे लोगों को सख्त लहजे में जवाब दिया है।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका से स्वतंत्रता का मतलब अब भी सरकार से स्वतंत्रता है लेकिन सिर्फ ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया का दायरा बढ़ने के साथ ही ‘इंट्रेस ग्रुप्स’, ‘प्रेशर ग्रुप्स’ और ऐसे ग्रुप्स कि संख्या बढ़ रही है जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उपयोग करके न्यायालयों पर दबाव डालने की कोशिश कर रहे हैं कि न्याय देते समय कुछ खास तरह के फैसले लिए जाएं।”
सीजेआई चंद्रचूड़ ने ऐसे लोगों की समूहों की दबाव बनाने की रणनीति को लेकर कहा, “इनमें से कुछ कहते हैं कि ‘अगर आप मेरे पक्ष में फैसला करते हैं तो आप स्वतंत्र हैं। अगर आप मेरे पक्ष में फैसला नहीं करते हैं तो आप स्वतंत्र नहीं हैं।’ इस बात पर मुझे आपत्ति है। एक जज के पास यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह कानून और संविधान द्वारा निर्देशित अपने विवेक के हिसाब से फैसले कर सके।”
चुनावी बांड के मुद्दे पर जब सीजेआई ने जब फैसला सरकार के विरोध में दिया था तो एक खास समूह ने उनकी जमकर तारीफ की थी लेकिन आगे चलकर इन्हीं लोगों ने सीजेआई की कई अन्य मुद्दों पर सरकार के पक्ष में फैसला देने को लेकर आलोचना की। सीजेआई ने इसे लेकर भी ऐसे समूह के लोगों को लताड़ा है। उन्होंने कहा, “जब आपने चुनावी बांड पर फैसला किया तो कहा गया ‘ओह आप स्वतंत्र हैं!’ लेकिन अगर कोई फैसला सरकार के पक्ष में जाता है तो कहा जाता है कि ‘आप स्वतंत्र नहीं हैं’। यह मेरी स्वतंत्रता की परिभाषा नहीं है।”
चंद्रचूड़ ने कहा, “जजों को यह तय करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए कि उन्हें न्याय का संतुलन कहां लगता है फिर चाहे फैसला किसी के भी पक्ष में जाए।” उन्होंने आगे कहा, “आज यह उम्मीद की जाती है हम आपको एक स्वतंत्र न्यायालय के रूप में व्यवहार करेंगे बशर्ते आप लगातार सरकार के खिलाफ रहें। जिन मामलों में सरकार के खिलाफ फैसला देना होता है हम सरकार के खिलाफ ही फैसला देते हैं।” सीजेआई ने कहा, “लेकिन अगर कानून के अनुसार किसी मामले में सरकार के पक्ष में फैसला होना है, तो आपको कानून के अनुसार फैसला करना होगा।”
देखो भइया
ई तो गजब लतिया दे रहे हैं pic.twitter.com/LLY1XTg1dj— हर्ष वर्धन त्रिपाठी 🇮🇳Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) November 5, 2024
गणपति पूजा के लिए पीएम मोदी के घर आने पर सीजेआई ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस मुलाकात में कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि ये न्यायपालिका और कार्यपालिका बीच सामान्य मुलाकात है और प्रधानमंत्री उनके घर पर एक निजी इवेंट में आए थे। उन्होंने कहा, “न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच बातचीत अदालत के कामों के लिए एक सामान्य अनिवार्यता है। लोगों को ये समझना चाहिए सौदे इस तरह नहीं होते हैं। हमारा भरोसा कीजिए, हम वहां कोई सौदा नहीं कर रहे थे।”
विभिन्न अदालतों द्वारा कई मामलों में बेल ना दिए जाने के मुद्दे को लेकर भी जस्टिस चंद्रचूड़ ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा, “यह गंभीर विषय है। ‘बेल नियम है, अपवाद नहीं’ यह संदेश निचली अदालतों तक नहीं पहुंच पाया है और ये अदालतें जमानत देने से हिचकिचाती हैं।” सीजेआई ने कहा, “जहाँ तक मेरा सवाल है तो मैंने A से Z यानि अर्नब से लेकर जुबैर तक सबको जमानत दी है।” सीजेआई ने बताया कि उनके कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट में जमानत के 21,000 मामले दायर किए गए थे जबकि जमानत के 21,358 मामलों का डिस्पोजल किया गया था।
9 नवंबर 2022 से भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में काम कर रहे सीजेआई चंद्रचूड़ का कार्यकाल आगामी 10 नवंबर को पूरा होने जा रहा है। उनके रिटायरमेंट के बाद जस्टिस संजीव खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे।