पाकिस्तान के मंदिर: वरुण देव के 1000 साल पुराने मंदिर को बना दिया था शौचालय, अब हिंदू करवा रहे भव्य निर्माण

वरुण मंदिर पाकिस्तान कराची

पाकिस्तान का वरुण देव मंदिर

पाकिस्तान में हिंदुओं और हिंदू मंदिर के हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। भारत के बटवारे से पहले तक जिन मंदिरों में चहल-पहल रहती थी, वे अब वीरान होते जा रहे हैं। कई ऐसे भी मंदिर हैं जिन्हें तोड़ दिया है और खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। पाकिस्तान सरकार द्वारा मंदिरों पर ध्यान न दिए जाने और हिंदुओं का लगातार शोषण होने के बाद भी कुछ हिंदू अपने मंदिरों को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं और मंदिरों की स्थिति सुधारने में जुटे हुए हैं। इनमें से एक वरुण देव मंदिर भी है। हिंदुओं के अल्पसंख्यक होने के चलते इस मंदिर का उपयोग शौचालय के रूप में हो रहा था। अब हिंदू इस मंदिर का जीर्णोद्धार करा रहे हैं।

इतिहास

पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची के मनोरा द्वीप पर समुद्र के किनारे स्थित वरुण देव मंदिर जल के देवता भगवान वरुण को समर्पित है। चूंकि इस्लामिक आक्रांताओं ने मंदिर से जुड़े शिलालेख नष्ट कर दिए हैं, ऐसे में इस मंदिर के निर्माण को लेकर ऐतिहासिक साक्ष्य मौजूद नहीं हैं। हालांकि स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी से पहले किया गया था। यानी यह मंदिर 1000 साल से भी अधिक प्राचीन है।

 

इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि 16वीं शताब्दी के आसपास एक अमीर नाविक भोजोमल नैन्सी भाटिया ने मनोरा द्वीप को बलूचिस्तान के कलात जिले में रहने वाले एक मुस्लिम व्यक्ति से खरीद लिया था। इसके साथ ही भाटिया परिवार ने मंदिर को अपने कब्जे में ले लिया था। इसके बाद की मंदिर की स्थिति या इस पर हुए हमलों की जानकारी स्पष्ट नहीं है। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि साल 1917-1918 में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था।

दरअसल, इस मंदिर में अब भी कुछ शिलालेख बचे हुए हैं। ये शिलालेख देवनागरी और दूसरी लिपि में लिखे गए थे। शिलालेख पर देवनागरी लिपि में लिखा है, ‘ॐ, वरुण देव मंदिर।’ वहीं मंदिर के मुख्य दरवाजे पर सिंधी में लिखा है, ‘भीरिया के सेठ हरचंद मल दयाल दास की पवित्र स्मृति में उनके पुत्रों की ओर से समर्पित।’ बता दें कि भीरिया पाकिस्तान के सिंध प्रांत के खैरपुर में स्थित एक शहर है ।

शौचालय के रूप में हो रहा था मंदिर का उपयोग:

पाकिस्तान में हिंदुओं और हिंदू मंदिरों की बदतर हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लंबे समय तक इस मंदिर का उपयोग शौचालय के रूप में हो रहा था। दरअसल, भारत के बटवारे के बाद से ही मंदिर की हालत खराब होती जा रही थी। हिंदू अल्पसंख्यक थे ऐसे में, कोई भी इस पर ध्यान नहीं दे रहा था। ऐसे में, इस मंदिर की दीवारें और कमरों का उपयोग मनोरा बीच पर जाने वाले पर्यटकों के लिए शौचालय के रूप में किया जाने लगा था। यह सिलसिला साल 2008 तक जारी था।

हालांकि साल 2008 के बाद स्थानीय हिंदुओं ने इस मंदिर के अपमान लेकर विरोध किया था। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई कराई गई और अब जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। यह जीर्णोद्धार स्थानीय हिंदुओं द्वारा स्वयं से पैसे इकट्ठे कर कराया जा रहा है। इसके अलावा अमेरिका द्वारा वित्त पोषित संस्था AFCP ने भी इस मंदिर के लिए 25000 अमेरिकी डॉलर यानि करीब ₹2107136 की सहायता दी है। फिलहाल इस मंदिर की हालत सुधर रही है। स्थानीय हिंदुओं मंदिर के सुधार और उत्थान के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं।

इस बीच साल 1992 में श्रीराम जन्मभूमि पर बनाए गए बावरी ढांचे को ढहाने के बाद इस मंदिर की हालत और खराब हो गई थी। दरअसल, तब इस मदिर के अधिकांश हिस्से को तोड़कर यहां बने कुएं को भी ढहा दिया गया था। यहां यह जानना महत्वपूर्ण हो जाता है कि मोनेरा द्वीप में वरुण देव मंदिर के अलावा दो गुरुद्वारे और एक चर्च भी है। दोनों गुरुद्वारे और चर्च पूरी तरह सुरक्षित रहे। लेकिन दुखद यह है कि मंदिर की स्थिति लगातार दयनीय होती चल गई।

मंदिर की देखभाल करने वाले जीवराज ने साल 2008 में दिए एक बयान में कहा था कि साल 1950 में जब मंदिर भक्तों के लिए खुला था, तो हिंदुओं ने ‘लाल साईं वरुण देव’ का उत्सव मनाया था। अब मंदिर के कमरों और परिसर का उपयोग शौचालय के रूप में किया जाता है। यह हिंदू समुदाय का बहुत बड़ा अपमान है। कोई भी अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान नहीं करता। इसके अलावा जीवराज ने यह भी कहा था कि यह मंदिर के मालिकाना हक के रिकॉर्ड के लिए उन्होंने मनोरा कैंटोनमेंट बोर्ड (MCB) को पत्र लिखा था, लेकिन उन्हें बताया गया कि ऐसा कोई दस्तावेज मौजूद नहीं है। MCB के एक अधिकारी ने कहा था कि चूंकि मंदिर का इलाका पाकिस्तानी नौसेना के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए MCB ज़्यादा कुछ नहीं कर सकता।

वर्तमान स्थिति:

पाकिस्तानी हिंदुओं के संघर्ष को दिखाता भगवान वरुण देवता का मंदिर की हालत में अब सुधार हो रहा है। AFCP से वित्तीय सहायता मिलने के बाद मंदिर का जीर्णोद्धार तेजी से हुआ है। अब इस मंदिर में पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों से हिंदू श्रद्धालुओं के जाने का सिलसिला धीरे-धीरे बढ़ रहा है। मंदिर में टाइल लगाकर इसका सौंदर्यीकरण भी किया गया है। सामने आई तस्वीरों में मंदिर पहले से कहीं बेहतर और सुंदर नजर आ रहा है। इसके अलावा मंदिर के बाहर बॉउन्ड्री वॉल बनाकर भी मंदिर को संरक्षित किया गया है। हालांकि अब भी मंदिर के कुछ हिस्से और इसमें रखी हुई मूर्तियाँ टूटी हुई नजर आती हैं। लेकिन जिस तेजी से मंदिर के सुधार के लिए प्रयास हो रहा है। उससे यह कहा जा सकता है कि जल्द ही मंदिर अच्छी स्थिति में होगा।

कैसे पहुंचे मंदिर:

वरुण देव का यह मंदिर पाकिस्तान के कराची के मनोरा द्वीप पर समुद्र के किनारे स्थित है। भारत से इस मंदिर जाने के लिए दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से कराची एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरनी होगी। इसके बाद कराची एयरपोर्ट से टैक्सी द्वारा मनोरा द्वीप जाना होगा। चूंकि मंदिर के पास ही बीच है, ऐसे में यहां खाने और रुकने के लिए रेस्टोरेंट और होटल भी आसानी से मिल जाते हैं।

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