कांग्रेस ने एक मुद्दा बड़ी मेहनत से क्रिएट किया, लेकिन पूर्व दिल्ली CM केजरीवाल भारी पड़ गए। कांग्रेस पार्टी ने बाद मुश्किल से संसद में हो-हंगामा कर के ये माहौल बनाने की कोशिश की कि भाजपा ने बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर का अपमान किया है। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का वीडियो भी एडिट कर के चलाया गया। पार्टी को उम्मीद थी कि संविधान, आरक्षण और अंबेडकर के नाम पर वो वैसा ही माहौल बना देगी, जैसा उसने लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान बनाया था। उस समय ‘भाजपा आरक्षण खत्म कर देगी’ वाला झूठ फैलाया गया था और पार्टी 240 सीटों पर रुक गई तो इसे जीत समझ कर कांग्रेस ने जश्न मनाया था।
खैर, अब माहौल दूसरा है। संसद में आंबेडकर-आंबेडकर का रट्टा लगाया गया। उनकी तस्वीरों को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए। राहुल गाँधी से लेकर प्रियंका गाँधी तक ने, पूरे इकोसिस्टम ने एक के बाद एक पोस्ट कर के सोशल मीडिया में भाजपा को आंबेडकर विरोधी पार्टी बताया। अगले वर्ष दिल्ली और बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। हो सकता है कांग्रेस को लगता हो कि वो आंबेडकर के नाम को हथियार बना कर इन चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करेगी। लेकिन, दिल्ली में निकट भविष्य में होने वाले चुनाव में कांग्रेस को इसका जरा सा भी फायदा मिलता हुआ नहीं दिख रहा है।
कांग्रेस को नहीं हो रहा आंबेडकर मुद्दे का फायदा
कारण – अरविंद केजरीवाल और उनकी AAP ने आंबेडकर वाले मुद्दे को हाईजैक कर लिया है। कांग्रेस कहीं परिदृश्य में है ही नहीं, अरविंद केजरीवाल की ड्रामेबाजी, एक्टिंग और स्क्रिप्ट ने कांग्रेस को खेल से बाहर कर दिया है। अरविंद केजरीवाल ने ‘डॉ आंबेडकर सम्मान स्कॉलरशिप’ की घोषणा करते हुए दलित छात्रों की विदेश में पढ़ाई का खर्च उठाने का वादा कर दिया। वो लगातार आंबेडकर को ‘आधुनिक भगवान’ कह कर संबोधित कर रहे हैं। आंबेडकर को खुद का भगवान भी बता रहे हैं। जबकि अरविंद केजरीवाल खुद दलित या जनजातीय समाज से नहीं आते, न ही वो OBC हैं। वो सामान्य कैटेगरी से आते हैं।
इसके बावजूद दिल्ली की 12 आरक्षित सीटों पर AAP का प्रदर्शन पिछले कुछ चुनावों में तगड़ा रहा है और पार्टी न केवल इसे जारी रखना चाहती है बल्कि दिल्ली की 17% दलित जनसंख्या को अपने पाले में करना चाहती है। इन 12 आरक्षित सीटों में से AAP ने 2013 में AAP ने 9 सीटें जीती थीं वहीं 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 12 की 12 आरक्षित सीटें अपने नाम की हैं। इससे पहले शीला दीक्षित के समय में इन पर कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था, पार्टी ने 2008 में 12 में से 9 अपने नाम की थी।
अब दलित वोटों के लिए मुकाबला दिल्ली में भाजपा बनाम AAP का है। प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा समेत भाजपा के तमाम नेता झुगियों में रात्रि-प्रवास कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल इसीलिए भारी पड़ते हैं क्योंकि पहले से ही उनकी फ्री वाली योजनाओं का लाभ दलितों को मिलता आ रहा है। अब कांग्रेस के मुद्दे को भी उन्होंने ही हथिया लिया है। वहीं भाजपा हरियाणा में दलित वोटों के अपनी तरफ रुझान के कारण अब दिल्ली में भी उत्साहित है। कांग्रेस के पास दिल्ली में नेताओं का ही अभाव है, दलित नेता तो छोड़ ही दीजिए। पार्टी के पास उदित राज हैं, जिन्हें कोई सीरियसली नहीं लेता।
अरविंद केजरीवाल ने ऐसे लपक लिया मुद्दा
अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार (19 दिसंबर, 2024) को आनन-फानन में ही एक जनसभा बुला कर अपनी पार्टी के नेताओं के साथ आंबेडकर को ‘भगवान’ घोषित किया। इतना ही नहीं, उन्होंने नाटकीय ढंग से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक को भी पत्र लिखा और उनसे आग्रह किया कि भाजपा से वो जदयू का समर्थन वापस लें। इसी तरह का पत्र उन्होंने भाजपा की एक अन्य सहयोगी पार्टी TDP के मुखिया चंद्रबाबू नायडू को भी लिखा। 18 दिसंबर को ही केजरीवल ने ‘जो बाबा साहेब से करे प्यार, वो बीजेपी को करे इनकार’ का नारा दे दिया था।
अरविंद केजरीवाल का निशाना सिर्फ भाजपा नहीं बल्कि कांग्रेस भी है और ये उनके उस पोस्ट से समझा जा सकता है, जिसे उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जवाब देते हुए लिखा था। पीएम मोदी ने ‘X’ पर एक थ्रेड के रजिए बताया था कि कैसे कांग्रेस ने आंबेडकर के साथ गलत बर्ताव किया। केजरीवाल का जवाब पढ़िए, “कांग्रेस बाबा साहेब से ग़लत बर्ताव करती थी तो क्या आप भी करोगे?” यानी, केजरीवाल कहीं से भी कांग्रेस का बचाव करने के मूड में नहीं दिखे। वैसे भी I.N.D.I. गठबंधन अलग-थलग पड़ चुका है।
बिखरा-बिखरा I.N.D.I. गठबंधन
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला EVM के मुद्दे पर राहुल गाँधी को घेर रहे हैं। सपा के मुखिया अखिलेश यादव कह चुके हैं कि कांग्रेस पार्टी ख़त्म हो चुकी है। झारखंड में हेमंत सोरेन की JMM ने कांग्रेस को डिप्टी सीएम का पद नहीं दिया, ठीक वैसा ही जैसे जम्मू कश्मीर में हुआ। दिल्ली में अखिलेश यादव ने AAP के पक्ष में सभा की। ऐसे में, I.N.D.I. गठबंधन अंबेडकर वाले फर्जी मुद्दे का लाभ सामूहिक रूप से तो नहीं ही ले सकता है, किसी को लाभ होगा तो किसी को नुकसान। दिल्ली में, कांग्रेस को नुकसान होगा और AAP को फायदा।
दिल्ली में फ़िलहाल कांग्रेस के पास कोई विधायक नहीं है। पिछले चुनाव में कांग्रेस का चेहरा रहे अजय माकन इस बार निष्क्रिय हैं। संदीप दीक्षित को नई दिल्ली से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ही उतार दिया गया है, बीच में उनकी नाराज़गी की खबर भी आई थी। वो अपनी विधानसभा में ही व्यस्त रहेंगे। उदित राज सांसद का चुनाव हार चुके हैं। सोशल मीडिया के बयानवीर हैं। ऊपर से राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी की एक्टिंग परफॉर्मेंस से बढ़िया प्रदर्शन अरविंद केजरीवाल ने कर दिया। अरविंद केजरीवाल इसी के लिए जाने जाते हैं। कभी उन्होंने बाबरी टूटने पर अपनी नानी के दुःखी होने की कहानी सुनाई थी, अब वो राम मंदिर का स्वागत करते हैं।
अरविंद केजरीवाल ओढ़ते-उतारते रहते हैं आंबेडकरवाद का चोला
राजनीति अरविंद केजरीवाल की भी आंबेडकरवादी नहीं है। ये तो सिर्फ उन चोलों में से एक है, जिन्हें वो समय-समय पर पहनते-उतारते रहते हैं। बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाने समय एक शपथ ली थी, जिनमें से कुछ बिंदु आपत्तिजनक थे। AAP के मंत्री रहे राजेंद्र पाल के मंच से भी 2022 में हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा न करने की शपथ दोहराई गई थी। उस समय केजरीवाल ने राजेंद्र पाल गौतम का इस्तीफा लेकर आंबेडकरवाद को खूँटी से कोने में बाँध दिया था। राजेंद्र पाल गौतम का धर्मांतरण कार्यक्रम में शामिल होना उनके लिए तब चुनावी रूप से फायदेमंद नहीं लगा था।
बीजेपी वालों, तुम बाबा साहेब को गाली दो, मैं उन्हें सम्मान दूँगा। बाबा साहेब को मेरी श्रद्धांजलि… https://t.co/5qB2c9AMn2
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 21, 2024
यही अरविंद केजरीवाल हैं, यही उनकी राजनीति है। एक तरफ वो भगवान राम की 30 फुट ऊँची मूर्ति के निर्माण को भी अपनी उपलब्धि के रूप में गिनाते हैं, वहीं दूसरी तरफ 2021 के बजट में वो डॉ आंबेडकर के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए सरकारी खजाने से 10 करोड़ रुपए का भी आवंटन करते हैं। कांग्रेस को अभी ड्रामेबाजी के इस तरह तक पहुँचने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। अरविंद केजरीवाल ने तो AI का इस्तेमाल कर के अपने हैंडल से एक वीडियो तक डाल दिया, जिसमें डॉ आंबेडकर उन्हें आशीर्वाद देते हुए दिख रहे हैं। ये अलग बात है कि फिर उसी AI का इस्तेमाल कर लोगों ने दिखा दिया कि आंबेडकर उन्हें थप्पड़ जड़ रहे हैं।