पहले बुद्ध की पूजा प्रतीकात्मक रूप में ही हुआ करती थी, लेकिन मथुरा की शिल्पकला ने उन्हें मानव के रूप में प्रस्तुत किया जिसका प्रभाव पूरे दक्षिण भारत की संस्कृति पर पड़ा
TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    ahmedabad plane crash

    अहमदाबाद प्लेन क्रैश में अबतक 133 लोगों की मौत, बचाव और राहत कार्य जारी; बढ़ सकता है आंकड़ा

    plane crash list

    अहमदाबाद एअर इंडिया प्लेन क्रैश से पहले 50 साल में कितने बड़े विमान हादसे हुए हैं?

    Dr Bobby Mukkamala

    अमेरिका में पहली बार भारतीय मूल का डॉक्टर बना AMA अध्यक्ष, कौन हैं डॉ बॉबी मुक्कमाला?

    Axiom-4

    बार-बार क्यों टल रहा है शुभाशुं शुक्ला का अंतरिक्ष मिशन Axiom-4?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    बोईंग शेयर क्रैश

    प्लेन क्रैश के बाद धड़ाम हुए बोइंग के शेयर, प्री-मार्केट में 8% की गिरावट

    GDP

    क्रिसिल का अनुमान: FY26 में फिर घटेंगी ब्याज दरें, भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5% पर टिकी

    इस साल फरवरी से अब तक रेपो रेट में लगातार 100 आधार अंकों की कटौती की गई है

    RBI Repo Rate Cut: 50 बेसिस पॉइंट घटाया गया रेपो रेट, EMI में आएगा ये बदलाव

    6.5% GDP वृद्धि का अनुमान

    वित्त वर्ष 2026 में 6.5% GDP वृद्धि का अनुमान: घरेलू मांग में सुधार भारत की विकास रफ्तार का प्रमुख इंजन बन सकता है – क्रिसिल

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    Pakistan India Defence Budget

    पाकिस्तान ने 20% बढ़ाया रक्षा बजट लेकिन भारत की तुलना में कितना है?

    DGMO Lieutenant General Rajiv Ghai Promoted

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई का प्रमोशन, अब संभालेंगे सेना की रणनीतिक कमान

    चीन कर रहा Bio War की तैयारी!, कितना तैयार है भारत?

    चीन कर रहा Bio War की तैयारी!, कितना तैयार है भारत?

    Air Chief Marshal Amarpreet Singh

    एयरचीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह की चिंता जायज, जानिए क्यों समय से पूरे नहीं हो पाते रक्षा प्रोजेक्ट?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    वैश्विक नेताओं ने जताया दुख (Image Source: IANS)

    अहमदाबाद प्लेन क्रैश पर विश्वभर से शोक: रूस से ब्रिटेन तक नेताओं ने जताई संवेदना, जानिए किसने क्या कहा

    Rabindranath Tagore

    यूनुस राज में जिहादिस्तान बना बांग्लादेश: बंगबंधु से लेकर रवींद्रनाथ टैगोर की विरासत पर हमला, जिम्मेदार कौन?

    France Viral video

    फ्रांस में दिख रहा नया ट्रेंड: मुस्लिम युवकों की छेड़छाड़ से बचने के लिए महिलाएं पाल रहीं सूअर! क्या है वायरल वीडियो की सच्चाई

    अमेरिका का एहतियाती कदम या युद्ध की आहट? मध्य पूर्व से व्हाइट हाउस के कर्मियों की वापसी शुरू

    अमेरिका का एहतियाती कदम या युद्ध की आहट? मध्य पूर्व से व्हाइट हाउस के कर्मियों की वापसी शुरू

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    बिरसा मुंडा

    ‘मैं देह नहीं…जंगल का पुश्तैनी दावेदार हूँ’: जानिए कैसे पादरी के बेटे ने हिला दी थी ब्रिटिश हुकूमत की नींव – बिरसा मुंडा पुण्यतिथि पर विशेष

    ‘चतुः श्लोकी मनुस्मृति: एन इंग्लिश कमेन्ट्री’: मनुस्मृति को लेकर बौद्धिक उपनिवेशवाद के जाल से बाहर निकलने का साधन

    ‘चतुः श्लोकी मनुस्मृति: एन इंग्लिश कमेन्ट्री’: मनुस्मृति को लेकर बौद्धिक उपनिवेशवाद के जाल से बाहर निकलने का साधन

    संघ के दूसरे प्रमुख गोलवालकर और जवाहरलाल नेहरू

    नेहरू की निष्क्रियता से 1947 के बाद भी 14 वर्षों तक गुलाम रहा गोवा, RSS ने आज़ादी में निभाई अहम भूमिका

    1950 में जेल से रिहा किए जाने के बाद सावरकर (चित्र: savarkar.org)

    अंग्रेज़ों की ही नहीं, नेहरू सरकार की कैद में भी महीनों रहे थे सावरकर

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    घड़े का पानी गले से लेकर आंतों के लिए अच्छा होता है: एक्सपर्ट

    गर्मियों में ‘अमृत’ के समान है घड़े का पानी; मिलते हैं ये फायदे

    अमेरिका में iPhone बनाना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है

    अमेरिका में बनने लगे iPhone तो क्या हो सकती है कीमत?

    Saudi Arabia AI Clinic

    क्या डॉक्टरों की जगह ले रहा है AI? सऊदी अरब में खुला पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्लीनिक

    जो बाइडन को हुआ ‘तेज़ी से फैलने वाला’ प्रोस्टेट कैंसर; जानें क्या हैं इसके लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव?

    जो बाइडन को हुआ ‘तेज़ी से फैलने वाला’ प्रोस्टेट कैंसर; जानें क्या हैं इसके लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव?

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    ahmedabad plane crash

    अहमदाबाद प्लेन क्रैश में अबतक 133 लोगों की मौत, बचाव और राहत कार्य जारी; बढ़ सकता है आंकड़ा

    plane crash list

    अहमदाबाद एअर इंडिया प्लेन क्रैश से पहले 50 साल में कितने बड़े विमान हादसे हुए हैं?

    Dr Bobby Mukkamala

    अमेरिका में पहली बार भारतीय मूल का डॉक्टर बना AMA अध्यक्ष, कौन हैं डॉ बॉबी मुक्कमाला?

    Axiom-4

    बार-बार क्यों टल रहा है शुभाशुं शुक्ला का अंतरिक्ष मिशन Axiom-4?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    बोईंग शेयर क्रैश

    प्लेन क्रैश के बाद धड़ाम हुए बोइंग के शेयर, प्री-मार्केट में 8% की गिरावट

    GDP

    क्रिसिल का अनुमान: FY26 में फिर घटेंगी ब्याज दरें, भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5% पर टिकी

    इस साल फरवरी से अब तक रेपो रेट में लगातार 100 आधार अंकों की कटौती की गई है

    RBI Repo Rate Cut: 50 बेसिस पॉइंट घटाया गया रेपो रेट, EMI में आएगा ये बदलाव

    6.5% GDP वृद्धि का अनुमान

    वित्त वर्ष 2026 में 6.5% GDP वृद्धि का अनुमान: घरेलू मांग में सुधार भारत की विकास रफ्तार का प्रमुख इंजन बन सकता है – क्रिसिल

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    Pakistan India Defence Budget

    पाकिस्तान ने 20% बढ़ाया रक्षा बजट लेकिन भारत की तुलना में कितना है?

    DGMO Lieutenant General Rajiv Ghai Promoted

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई का प्रमोशन, अब संभालेंगे सेना की रणनीतिक कमान

    चीन कर रहा Bio War की तैयारी!, कितना तैयार है भारत?

    चीन कर रहा Bio War की तैयारी!, कितना तैयार है भारत?

    Air Chief Marshal Amarpreet Singh

    एयरचीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह की चिंता जायज, जानिए क्यों समय से पूरे नहीं हो पाते रक्षा प्रोजेक्ट?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    वैश्विक नेताओं ने जताया दुख (Image Source: IANS)

    अहमदाबाद प्लेन क्रैश पर विश्वभर से शोक: रूस से ब्रिटेन तक नेताओं ने जताई संवेदना, जानिए किसने क्या कहा

    Rabindranath Tagore

    यूनुस राज में जिहादिस्तान बना बांग्लादेश: बंगबंधु से लेकर रवींद्रनाथ टैगोर की विरासत पर हमला, जिम्मेदार कौन?

    France Viral video

    फ्रांस में दिख रहा नया ट्रेंड: मुस्लिम युवकों की छेड़छाड़ से बचने के लिए महिलाएं पाल रहीं सूअर! क्या है वायरल वीडियो की सच्चाई

    अमेरिका का एहतियाती कदम या युद्ध की आहट? मध्य पूर्व से व्हाइट हाउस के कर्मियों की वापसी शुरू

    अमेरिका का एहतियाती कदम या युद्ध की आहट? मध्य पूर्व से व्हाइट हाउस के कर्मियों की वापसी शुरू

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    बिरसा मुंडा

    ‘मैं देह नहीं…जंगल का पुश्तैनी दावेदार हूँ’: जानिए कैसे पादरी के बेटे ने हिला दी थी ब्रिटिश हुकूमत की नींव – बिरसा मुंडा पुण्यतिथि पर विशेष

    ‘चतुः श्लोकी मनुस्मृति: एन इंग्लिश कमेन्ट्री’: मनुस्मृति को लेकर बौद्धिक उपनिवेशवाद के जाल से बाहर निकलने का साधन

    ‘चतुः श्लोकी मनुस्मृति: एन इंग्लिश कमेन्ट्री’: मनुस्मृति को लेकर बौद्धिक उपनिवेशवाद के जाल से बाहर निकलने का साधन

    संघ के दूसरे प्रमुख गोलवालकर और जवाहरलाल नेहरू

    नेहरू की निष्क्रियता से 1947 के बाद भी 14 वर्षों तक गुलाम रहा गोवा, RSS ने आज़ादी में निभाई अहम भूमिका

    1950 में जेल से रिहा किए जाने के बाद सावरकर (चित्र: savarkar.org)

    अंग्रेज़ों की ही नहीं, नेहरू सरकार की कैद में भी महीनों रहे थे सावरकर

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    घड़े का पानी गले से लेकर आंतों के लिए अच्छा होता है: एक्सपर्ट

    गर्मियों में ‘अमृत’ के समान है घड़े का पानी; मिलते हैं ये फायदे

    अमेरिका में iPhone बनाना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है

    अमेरिका में बनने लगे iPhone तो क्या हो सकती है कीमत?

    Saudi Arabia AI Clinic

    क्या डॉक्टरों की जगह ले रहा है AI? सऊदी अरब में खुला पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्लीनिक

    जो बाइडन को हुआ ‘तेज़ी से फैलने वाला’ प्रोस्टेट कैंसर; जानें क्या हैं इसके लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव?

    जो बाइडन को हुआ ‘तेज़ी से फैलने वाला’ प्रोस्टेट कैंसर; जानें क्या हैं इसके लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव?

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

हिन्दू योगी + चक्रवर्ती राजा = बुद्ध की मूर्ति… फर्जी है ‘मंदिरों के नीचे दबे हैं बौद्ध मठ’ वाली थ्योरी, चीख-चीख कर यही कहते हैं सारे साक्ष्य

पहले बुद्ध की पूजा प्रतीकात्मक रूप में ही हुआ करती थी, लेकिन मथुरा की शिल्पकला ने उन्हें मानव के रूप में प्रस्तुत किया जिसका प्रभाव पूरे दक्षिण भारत की संस्कृति पर पड़ा

Anupam K Singh द्वारा Anupam K Singh
4 December 2024
in इतिहास, ज्ञान
बुद्ध, केशव देव मंदिर

गांधार के बुद्ध की मूर्ति जो टोक्यो के म्यूजियम में रखी हुई है (बाएँ), मथुरा के केशव देव मंदिर का ध्वस्तीकरण (दाएँ)

Share on FacebookShare on X

अयोध्या में राम मंदिर को ध्वस्त कर बाबरी मस्जिद बना दी गई। 500 वर्षों के संघर्ष और न्यायिक लड़ाई के बाद आख़िरकार हम कानूनी तरीके से इसे वापस लेने में सफल रहे। अंततः न्याय हुआ। काशी में स्पष्ट देखा जा सकता है कि मंदिर को ध्वस्त कर इसके ऊपर मस्जिद बना दी गई और इसे ज्ञानवापी मस्जिद नाम दे दिया गया। जबकि ज्ञानवापी का अर्थ है ज्ञान का कुआँ। ये एक संस्कृत शब्द है। काशी को शिव की नगरी कहा जाता है। इसी तरह, मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर को ध्वस्त कर शाही ईदगाह मस्जिद खड़ी कर दी गई। काशी-मथुरा के लिए लड़ाई अब तक जारी है।

इन सबके बीच संभल में स्थित तथाकथित ‘जामा मस्जिद’ को लेकर याचिका दाखिल हुई, अदालत ने सर्वे का आदेश दिया। यहाँ हिन्दू कुआँ पूजन करते थे, जिसे रुकवा दिया गया। हिन्दुओं की मान्यता है कि यहाँ हरिहर मंदिर हुआ करता था। ये शहर सिकंदर लोदी की राजधानी रहा है। ऐसे में, सोचा जा सकता है कि दिल्ली सल्तनत ने कैसी तबाही मचाई होगी। 1978 में भी यहाँ दंगा हुआ था, एक मिल में 14 हिन्दू ज़िंदा जला डाले गए थे। हम जहाँ एक तरफ सदियों चले इस अत्याचार के न्याय के रूप में सिर्फ अपनी जगह वापस माँग रहे हैं, वो भी अपने ही देश में – वहीं दूसरी तरफ, एक नया प्रपंच शुरू कर दिया गया है।

संबंधितपोस्ट

पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिमों के ईद मनाने पर पाबंदी, क्या है इनका इतिहास?

कृष्ण नगरी मथुरा में अवैध रूप से रह रहे 90 बांग्लादेशी को पुलिस ने दबोचा, जानें क्या है पूरा मामला

कृष्ण की नगरी में लव जिहाद! फलाहारी बाबा ने CM योगी को लिखा पत्र, कहा- ‘ब्यूटी पार्लर में मुस्लिम युवक फंसा रहे हिंदू लड़की’

और लोड करें

जिन्हें बुद्ध का B भी नहीं पता, वो भी दे रहे ज्ञान

ये प्रपंच है, सनातन के छत्र चले आने वाले सभी पंथों को आपस में लड़ाने का। पूरे इकोसिस्टम ने जानबूझकर एक साजिश के तहत ये प्रपंच शुरू किया है। जैसे, अखिलेश यादव हिन्दुओं को ‘बहुसंख्यक प्रभुत्ववादी’ बताते हुए दावा किया कि गिरनार की पहाड़ी पर जैन धर्मस्थलों पर कब्ज़ा किया जा रहा है। इसके लिए उन्होंने 2006 की खबर का स्क्रीनशॉट शेयर किया। ये मामला कब का सुलझ चुका है, लेकिन तारीख़ छिपा कर इसे फिर से हवा देने की कोशिश की गई। यही अखिलेश यादव अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णु शंकर जैन को भला-बुरा कहते रहते हैं। कारण – वो न्यायालय में हिन्दू मंदिरों का पक्ष रखते हैं।

नितिन मेश्राम, बुद्ध
ऐसे ही गँवार प्रपंची सोशल मीडिया पर रीच खाने के लिए फैला रहे प्रोपेगंडा

इसके अलावा एक और प्रपंच चल रहा है, हम जिसकी पड़ताल करेंगे। सोशल मीडिया पर कई इन्फ्लुएंसर हैंडलों द्वारा कहा जा रहा है कि जिस तरह मस्जिदों के नीचे मंदिर खोजे जा रहे हैं, उसी तरह मंदिरों की खुदाई की जाए तो नीचे बुद्ध मिलेंगे। बौद्ध समाज के लोग ऐसा नहीं कह रहे हैं, बल्कि खुद को सुविधानुसार कभी बौद्ध तो कभी हिन्दू मानने वाले मौकापरस्त गिरोह के लोग ऐसा कह रहे हैं। ये वही लोग हैं, जिन्हें न तो बौद्ध दर्शन का ज्ञान है और न बुद्ध का। क्षत्रिय कुल में पैदा हुए महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं की ABCD भी इन्हें शायद ही मालूम हो।

अगर इनसे पूछ दिया जाए कि बुद्ध के अनुसार 4 ‘आर्य सत्य’ क्या हैं, इन्हें नहीं पता होगा। इन्हें बुद्ध द्वारा बताए गए ‘अष्टांग पथ’ के बारे में नहीं पता होगा। ‘त्रिशिक्षा’ का तो इन्होंने नाम भी नहीं सुना होगा। ‘प्रतीत्यसमुत्पाद’ का तो ये उच्चारण भी न कर पाएँ ठीक से। ‘द्वादश निदान’ से इनका कोई लेना-देना नहीं। लेकिन हाँ, ज्ञान फेंक कर रीच खाने के ये तो विशेषज्ञ हैं।

बुद्ध का पंथ भी सनातन का ही अंग

आइए, अब ज़रा बौद्ध और सनातन हिन्दू धर्म के इतिहास को देख लेते हैं। दोनों ही सनातन के अंग हैं। जहाँ सनातन धर्म किसी एक व्यक्ति, पुस्तक या विचार द्वारा नहीं लाया गया, वहीं बौद्ध धर्म का बुद्ध से पहले कोई अस्तित्व नहीं था। ठीक वैसे ही, जैसे पैगंबर मुहम्मद से पहले इस्लाम और जीसस क्राइस्ट से पहले ईसाई मजहब का कोई नामोंनिशान नहीं था। सनातन धर्म आदिकाल से चला आ रहा है। वहीं बुद्ध का काल 500-400 ईसापूर्व का है। एक तरफ यही ‘नवबौद्ध’ कहते हैं कि बुद्ध ने ब्राह्मणों द्वारा थोपी गई परंपराओं के विरुद्ध क्रांति की और अपने दर्शन से लोगों को प्रभावित किया, वहीं दूसरी तरफ वो ये भी कहते हैं कि हिन्दू धर्म तो बुद्ध के पहले था ही नहीं। एक तरफ ये मूर्तिपूजा को हिन्दू धर्म का पाखंड बताते हुए कहते हैं कि बुद्ध ने इसका विरोध किया था, वहीं दूसरी तरफ कहते हैं कि हर मंदिर के नीचे बुद्ध की प्रतिमा है। इतना विरोधाभास?

ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिलता है, जहाँ महात्मा बुद्ध ने वेदों की आलोचना की हो। हाँ, उन्होंने कुछ कर्मकांड के विरोध किए, लेकिन हिन्दू शास्त्रों के वो विरोधी नहीं थे। हिन्दू धर्म में 6 दर्शन माने गए हैं, जिन्हें षट्दर्शन कहा जाता है। बुद्ध का दर्शन इन्हीं में से एक दर्शन का हिस्सा है, कुछ का मिलाजुला रूप है, कुछ उनके स्वयं के अनुभव से उपजे विचार हैं। आइए, अब थोड़ा इतिहास की बात कर लेते हैं, साक्ष्यों की बात कर लेते हैं। मथुरा की ही बात करते हैं। नितिन मेश्राम नाम का एक प्रपंची बुद्ध की तस्वीर के साथ अपनी फोटो डालते हुए लिखा है कि मथुरा में खुदाई में बुद्ध ही बुद्ध मिले हैं।

बुद्ध से प्राचीन हैं कृष्ण-बलराम की मूर्तियाँ, देखें साक्ष्य

मथुरा और उसके आसपास मिली मूर्तियों और शिलालेखों का डॉ वासुदेव S अग्रवाल ने गहन अध्ययन किया था। मथुरा और लखनऊ में जो म्यूजियम हैं, उनमें इनका ही योगदान है। VS अग्रवाल स्पष्ट लिखते हैं कि यहाँ मिलीं हिन्दू प्रतिमाएँ पहली शताब्दी ईसापूर्व में हुए भागवत आंदोलन का नतीजा थीं, जो बताती हैं कि मथुरा इसका एक बड़ा केंद्र हुआ करता था। वो अपनी पुस्तक ‘Masterpieces of Mathura sculpture’ में लिखते हैं कि पहले बुद्ध की पूजा प्रतीकात्मक रूप में ही हुआ करती थी, लेकिन मथुरा की शिल्पकला ने उन्हें मानव के रूप में प्रस्तुत किया जिसका प्रभाव पूरे दक्षिण भारत की संस्कृति पर पड़ा। वो लिखते हैं कि मथुरा की शिल्पकला में दिव्य मानव रूप की संरचना ईसा के जन्म से सैकड़ों वर्ष पूर्व से तैयार की जाती रही है, उदाहरण के लिए वो यक्ष प्रतिमाओं और जुनसुटी गाँव से मिली दूसरी शताब्दी ईसापूर्व की बलराम की प्रतिमा का उदाहरण देते हैं। यदुवंशी नायकों की मूर्तियाँ मोरा नामक एक गाँव से भी मिलीं। VS अग्रवाल लिखते हैं कि प्रतिमा में मनुष्य के खड़े होने की मुद्रा, हाथों की स्थिति, आभूषण, वस्त्र और चेहरे की अभिव्यक्तियाँ पहले से ही तैयार थीं – बुद्ध और बोधिसत्व की प्रतिमाओं के निर्माण में इन्हीं का इस्तेमाल किया गया।

बुद्ध की मूर्ति कैसे बनी?
बुद्ध को पहले मनुष्य के रूप में पूजा ही नहीं जाता था

यानी साफ़ है, पहले से मौजूद हिन्दू प्रतिमाओं की नक़ल की गई बुद्ध की प्रतिमा बनाने के लिए। ऐसे में ये दावा हास्यास्पद है कि बुद्ध की प्रतिमा मंदिरों के नीचे गड़ी पड़ी हैं। VS अग्रवाल लिखते हैं कि तपस्वी परंपरा से बुद्ध की जटा, अभय मुद्रा और पद्मासन में बैठने के तरीके लिए गए। उस समय तपस्वियों का समाज में सम्मान था। शोध के बाद इस पुस्तक में वो आगे लिखते हैं, “चँवरधारी परिचारक, सिंहासन, पुष्पवर्षा करने वाली दिव्य आकृतियाँ, और अन्य विशेषताएँ चक्रवर्ती की प्रतीकात्मकता का हिस्सा थीं। बड़ी बुद्धिमानी से योगी और चक्रवर्ती की छवि का सम्मिश्रण किया गया और यही बुद्ध की मूर्ति का आधार बना।” वो आगे लिखते हैं कि बुद्ध की मूर्ति बनाने के लिए शिल्पकला के जो भी तत्व चाहिए थे, वो सब उससे पूर्व की मूर्तियों में मौजूद थे। यानी, बुद्ध को मानव आकृति के रूप में प्रदर्शित करने की छूट मिली – सिर्फ यही एक नई बात थी।

जैसे, बुद्ध के भिक्षापात्र को ही ले लीजिए। VS अग्रवाल लिखते हैं कि इंडो-सीथियन काल में जब ईरान से आए शक राजवंश का शासन था, तब इस भिक्षापात्र जैसी चीज का इस्तेमाल अनुष्ठानों में किया जाता रहा होगा। यानी, साफ़ है कि बुद्ध की मूर्ति बनाए जाने से पहले ही मथुरा में मूर्तिपूजा होती थी, श्रीकृष्ण की पूजा होती थी। अब इसे थोड़ा हिन्दू धर्म से जोड़िए। महाभारत में कथा है कि सूर्य देव ने द्रौपदी को अक्षय पात्र दिया था। इसी तरह ईरान में ‘जमशेद के प्याले’ की चर्चा है। मान्यता है कि इसमें भविष्य दिखाई देता था और पारसी शासकों की सफलता का लंबे समय तक यही राज़ था। शायद यहीं से बुद्ध के प्याले की परिकल्पना आई हो। तो हमने देखा कि कैसे बुद्ध की प्रतिमा के निर्माण से पहले मथुरा में न केवल केशवदेव का मंदिर था, बल्कि हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ अस्तित्व में थीं।

बुद्धि की मूर्ति कैसे गढ़ी गई
बुद्ध की मूर्ति में इस्तेमाल किए गए शिल्पकला के सारे तत्व पहले से थे मौजूद

इसे साबित करने के लिए एक और प्रमाण मौजूद है, मथुरा के संग्रहालय में। इसे ‘सुदास के तोरणलेख’ के रूप में जाना जाता है। इससे पता चलता है कि प्रथम शताब्दी ईसापूर्व में मथुरा में केशव देव का मंदिर था। इस शिलालेख में लिखा है, “भगवान वासुदेव प्रसन्न हों और स्वामी महाक्षत्रप सुदास का कल्याण करें।” ये पहली शताब्दी ईसापूर्व का माना जाता है, जबकि बुद्ध की सबसे पुरानी प्रतिमा जो मिली है वो ईसा के बाद दूसरी शताब्दी की मानी जाती है। यानी, इस हिसाब से भी देखें तो हमारे पास प्रमाण मौजूद है कि बुद्ध की पहली मूर्ति बनने से 300 वर्ष पूर्व भी कृष्ण की मूर्ति की पूजा हो रही थी। बुद्ध की सबसे पुरानी प्रतिमाएँ गांधार क्षेत्र में मिली हैं, जिनमें से एक टोक्यो के म्यूजियम में रखी हुई हैं।

मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि को बौद्ध स्थल साबित करने की विदेशी कोशिश

अब आपको बताते हैं ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति के बारे में। अंग्रेजों ने हिन्दुओं को आपस में लड़ाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इन्हीं साजिशों में से एक था – मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि को बौद्ध स्थल साबित करने की कोशिश। इतिहासकार सीताराम गोयल ने अपनी पुस्तक ‘Hindu Temples: What happened to them’ में इस साजिश का पर्दाफाश किया है। सीताराम गोयल के अनुसार, डच पुरालेखशास्त्री जीन फिलिप वोगेल ने लिखा है कि ब्रिटिश आर्मी के इंजीनियर अलेक्ज़ैंडर कनिंघम ने 1853 से 1962 के बीच मथुरा के कटरा में खुदाई की थी, जहाँ उन्हें बुद्ध की खड़ी मूर्ति मिली थी। ये प्रतिमा गुप्तकाल की बताई जाती है, यानी 550 ईस्वी के आसपास की। फ़िलहाल ये लखनऊ म्यूजियम में रखी गई है।

वोगेल लिखते हैं कि इसके बाद जर्मन पुरातत्व सर्वेक्षक एलोइस एंटोन फ्यूहरर ने कटरा स्थित कंकाली टीला में पुरातत्व सर्वेक्षण का कार्य किया, लेकिन उनकी रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है। वोगेल ने लिखा कि कनिंघम ने प्राचीन केशवपुरा स्थित कटरा के मंदिर को बौद्ध मठ के खँडहर के ऊपर खड़ा बताया। यानी, वोगेल, फ्यूहरर और कनिंघम ने मथुरा में मंदिर के नीचे बौद्ध मठ होने की थ्योरी गढ़ी। सीताराम गोयल ने इसका तगड़ा खंडन किया है। सीताराम गोयल लिखते हैं कि सिर्फ एक मूर्ति मिलने के बाद यहाँ बौद्ध मठ होने की बात कह दी गई, जबकि मठ का कोई नींव या अवशेष अब तक नहीं मिला है।

दूसरी बात, डॉ वोगेल जनरल कनिंघम के इस दावे को तो स्वीकार करते हैं कि मंदिर के नीचे बौद्ध मठ रहा होगा, लेकिन इस दावे को नकार देते हैं कि इस स्थल का नाम केशवपुरा था। उन्होंने अपनी पूर्व-निर्धारित सोच के हिसाब से एक बात मानी और एक नकार दी। वहाँ बौद्ध स्तूप के एक जुलूस-पथ होने की बात भी फ्यूहरर ने कही, लेकिन 1911-12 में पंडित राधाकृष्ण द्वारा की गई खुदाई में ऐसा कुछ भी नहीं मिला। वहाँ मंदिर से कुछ दूर पर स्तूप का जिक्र मिलता है, लेकिन वो छठी शताब्दी से पहले का नहीं है। डॉ फ्यूहरर ने वहाँ स्थित एक शिलालेख के आधार पर उस स्तूप के हुविष्क के शासनकाल के होने की बात कही। उसने 150 ईस्वी के बाद राज किया था। हालाँकि, वहाँ पंडित राधाकृष्ण की खुदाई में उस शिलालेख का कोई अता-पता नहीं था।

सीताराम गोयल, हिन्दू मंदिर
विदेशियों ने मिल कर गढ़ी मथुरा में मंदिर के नीचे बौद्ध मठ दबे होने वाली थ्योरी

अंत में इसी तरह, काशी को भी ले लीजिए। प्राचीन काल में देश के कोने-कोने से विद्वानों को अपनी विद्वत्ता साबित करने के लिए काशी आना पड़ता था, यहाँ के पंडितों से शास्त्रार्थ के बाद तय होता था कि कौन कितना प्रकांड पंडित है। बुद्ध ने अपना पहला उपदेश काशी के सारनाथ में ही दिया था, इससे ये भी संकेत मिलता है कि बुद्ध काशी के महत्व से परिचित रहे होंगे और इसीलिए उन्होंने इस स्थल को चुना। कालांतर में शंकर भी काशी में ही आकर जगद्गुरु शंकराचार्य बने।

स्रोत: Mathura, मथुरा, Buddhist, बौद्ध, Hindu Temple, हिन्दू मंदिर, इतिहास, History
Tags: BuddhaBuddhistHindu TempleHistoryMathuraइतिहासबुद्धबौद्धमथुराहिन्दू मंदिर
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

समंदर वापस लौट आया: फडणवीस फिर बनेंगे महाराष्ट्र के CM; ऐसा रहा उनका सबसे युवा मेयर से CM तक का सफर

अगली पोस्ट

भारतीय नौसेना के ‘त्रिशूल’ ने तबाह कर दिया था कराची बंदरगाह, 7 दिन तक धधकती रही आग: ऑपरेशन ट्राइडेंट ने निकाल दी थी पाकिस्तान और अमेरिका की हेकड़ी

संबंधित पोस्ट

बिरसा मुंडा
इतिहास

‘मैं देह नहीं…जंगल का पुश्तैनी दावेदार हूँ’: जानिए कैसे पादरी के बेटे ने हिला दी थी ब्रिटिश हुकूमत की नींव – बिरसा मुंडा पुण्यतिथि पर विशेष

9 June 2025

भारत के इतिहास में कुछ नाम केवल स्मृति नहीं, चेतना बन जाते हैं। बिरसा मुंडा उन्हीं में से एक हैं एक ऐसा नाम जिसने जंगलों...

‘चतुः श्लोकी मनुस्मृति: एन इंग्लिश कमेन्ट्री’: मनुस्मृति को लेकर बौद्धिक उपनिवेशवाद के जाल से बाहर निकलने का साधन
ज्ञान

‘चतुः श्लोकी मनुस्मृति: एन इंग्लिश कमेन्ट्री’: मनुस्मृति को लेकर बौद्धिक उपनिवेशवाद के जाल से बाहर निकलने का साधन

3 June 2025

मैं जब छठी कक्षा में पढ़ता था तब एक श्लोक पढ़ा था: अभिवादन शीलस्य, नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य वर्धन्ते, आयुर्विद्या यशो बलम्।। भावार्थ: जो सदैव...

संघ के दूसरे प्रमुख गोलवालकर और जवाहरलाल नेहरू
इतिहास

नेहरू की निष्क्रियता से 1947 के बाद भी 14 वर्षों तक गुलाम रहा गोवा, RSS ने आज़ादी में निभाई अहम भूमिका

30 May 2025

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के बड़े नेताओं ने शुक्रवार (30 मई) को गोवा के स्थापना दिवस के मौके पर बधाई दी...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

From parliament to primetime: smriti irani is Tulsi again!

From parliament to primetime: smriti irani is Tulsi again!

00:03:24

Islam is on the track to become the fastest growing religion in the world.

00:09:34

BJP, bakrid and the cow. CM Manik Saha in eye of the storm.

00:03:56

Pakistan needs money from IMF to feed their people

00:15:20

Vacate PoK and more: Steps Pakistan needs to take to avoid Indian military action

00:06:36
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited